
लाइफस्टाइल डेस्क न्यूज़ :Valentines Day special
आखिर 14 फ़रवरी को ही क्यों वैलेंटाइन डे मनाया जाता है? पहली बार कब मनाया गया वैलेंटाइन्स डे
अगर नहीं जानते तो चलिए जानते हैं, इस खास दिन के जुड़े इतिहास के बारे में…
भारत मे हिन्दू धर्म या भारतीय संस्कृति को मानने वाले 14 फ़रवरी को मनाते है मातृ पितृ दिवस
आप आज के दिन को क्या मानेंगे – वेलेंटाइन दिवस, पुलवामा का शोक दिवस या मातृ पितृ दिवस
छत्तीसगढ़ (एडिटर के. पी. पटेल की खास रिपोर्ट ) : फरवरी का महीना प्यार करने वाले लोगों के लिए बेहद खास होता है। इस महीने में लोग प्यार के रंग में रंगे नजर आते हैं। रोज डे के साथ शुरू होने वाला वैलेंटाइन वीक आज वैलेंटाइन डे के साथ खत्म होने वाला है। ऐसे में लोगों के अंदर इस दिन को लेकर काफी उत्साह देखने को मिलता है। प्यार के इस दिन को काफी धूमधाम से सेलिब्रेट किया जाता है। 7 फरवरी से शुरू होने वाला वैलेंटाइन वीक 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे के साथ खत्म होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर 14 फरवरी को मनाए जाने वाले इस दिन का इतिहास क्या है और आखिर 14 तारीख को ही क्यों वैलेंटाइन डे मनाया जाता है। अगर नहीं जानते तो चलिए जानते हैं, इस खास दिन के जुड़े इतिहास के बारे में-
संत वैलेंटाइन से जुड़ी है कहानी –
वैलेंटाइन डे को मनाने की कहानी रोम के एक संत वैलेंटाइन से जुड़ी हुई है। दरअसल, ऐसा माना जाता है कि रोम के राजा क्लाउडियस प्यार के सख्त खिलाफ थे, क्योंकि उनका मानना था कि अगर सैनिक प्यार करने लगेंगे,तो उनका मन काम से भटक जाएगा और इससे रोम की सेना कमजोर होगी। यही वजह थी कि उन्होंने सैनिकों के शादी करने पर भी रोक लगा रखी थी। वहीं, दूसरी तरफ संत वैलेंटाइन प्यार का प्रचार करते थे। इतना ही नहीं उन्होंने राजा के खिलाफ जाकर कई लोगों की शादियां भी करवाई थी।
संत वैलेंटाइन को मिली फांसी की सजा –
संत वैलेंटाइन ने लोगों की शादियां करवाकर राजा क्लाउडियस की धारणा को गलत साबित किया, जिसकी वजह से रोम के राजा ने उन्हें फांसी की सजा सुना दी। इसके बाद 14 फरवरी के दिन ही संत वैलेंटाइन को फांसी दी गई और उसी दिन से वैलेंटाइन डे मनाने की शुरुआत हुई। इस दिन के बाद से ही रोम समेत दुनियाभर में 14 फरवरी को प्यार का दिन मनाने का प्रचलन शुरू हुआ जो आज भी जारी है।
पहली बार कब मना वैलेंटाइन्स डे –
वैलेंटाइन डे की शुरुआत रोमन फेस्टिवल से हुई थी। दुनिया में पहली बार 496 में वैलेंटाइन डे सेलिब्रेट किया गया था। इसके बाद पांचवी शताब्दी में रोम के पोप गेलैसियस ने 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे के रूप में मनाने का एलान किया। इस दिन से रोम समेत दुनिया भर में हर साल धूमधाम से 14 फरवरी का दिन वैलेंटाइंस डे के रूप में मनाया जाने लगा। इतना ही नहीं इस दिन रोम के कई शहरों में सामूहिक विवाह का आयोजन भी किया जाता है। लेकिन आज भी भारत देश के सभी राज्यों मे अधिकांश युवाओं द्वारा वेलेंटाइन दिवस को केवल एक प्रेम प्रपोजल दिन माना जाता है और उसी तरीके से अपने प्रेमिका को लाइफ टाइम के लिये नहीं टाइम पास के लिये प्रपोज़ किया जाता है उसके बाद फिर दूसरे वर्ष के वेलेंटाइन दिवस पर एक नई लड़की या लड़का एक दूसरे को पुनः एक नये साथी के इस दिन को प्रपोजल के रूप मे मनाते है लेकिन मेरे विचार से इस दिन को यादगार मनाने का एक सुनहरा दिन माना जा सकता है जब एक प्रेमिका अपने दोस्त को एक जीवन साथी के रूप मे अपनाये या एक दूसरे को स्वीकार करें. या एक अच्छे और सच्चे दोस्त की तरह एक दूसरे को अपनाये जो हर सुख दुःख मे एक दूसरे का और एक दूसरे परिवार का जीवन भर सहयोग कर सकें.
आप आज के दिन को क्या मानेंगे – वेलेंटाइन दिवस, पुलवामा का शोक दिवस या मातृ पितृ दिवस –
आज के दिवस को सभी अपने अपने विचार और तर्क के आधार पर मानते है. युवा वर्ग जो आज के दिन को प्रपोजल दिवस के रूप मे मानेंगे तो उसके लिये वेलेंटाइन दिवस है और जो दो दोस्त आज के दिन लाइफ पार्टनर के रूप मे एक दूसरे को मानेंगे तो उसके लिये मित्र दिवस है और जो देश के रक्षक के बारे मे विचार करते है उनका सम्मान करते है उनके लिये आज का दिन एक शोक दिवस या शहीद दिवस है और वहीं बच्चे या युवा साथी आज के दिन को अपने माता पिता और परिवार के लोगों को आदर सम्मान करते है और हर सुख दुःख मे परिवार के सदस्यों का सहयोग करते हैं तो आज उनके लिये मातृ पितृ दिवस एक बहुत ही विशेष दिवस है.
भारत मे आज हिन्दू धर्म या भारतीय संस्कृति को मानने वाले 14 फ़रवरी को मनाते है मातृ पितृ दिवस या मित्र दिवस –
आजकल कोई भी पर्व या स्पेशल दिन मनाना युवाओं के लिये एक फैशन बन गया है चाहे ओ बर्थडे पार्टी हो, नव वर्ष या होली, फ्रेंड्शिप दिवस या अन्य विशेष पर्व या प्रोग्राम… सभी को युवाओं द्वारा एक अलग अंदाज और पश्चिमी सभ्यता मे मनाने और सेलिब्रेशन करने का दौर प्रारम्भ हो चूका है जिससे खर्चे होना तो आम बात हो गई है और ऐसे खर्चे वाले प्रोगाम पैसे वाली पार्टियां ही प्राथमिकता देते है. युवा पीढ़ी द्वारा आज बिना किसी जाम, नशा या रंगीन पार्टी से उनका प्रोग्राम पूरा नहीं माना जाता.
वहीं भारत के गाँव मे आज भी पुराने रीति रिवाजो और भारतीय संस्कृति को जीवित रखने मे सहायक सिद्ध हो रहें हैं. आज उसी क्रम मे हिन्दुओ धर्म और भारतीय संस्कृति को मानने वाले संगठन एवं भारतवासियों द्वारा अंग्रेजो द्वारा छोड़े गये कई पर्व एवं पाश्चात्य संस्कृति को अभी भी नकराते है जो हमारे समाज एवं परिवार के लिये अभी भी घातक है. वहीं एक वेलेंटाइन दिन को भी विरोध किया जाता रहा है लेकिन अब लोग जागरूक होकर आज के दिवस को मातृ पितृ दिवस के रूप मे मनाते है. स्कूल, कॉलेज एवं कई संस्थानो मे वेलेंटाइन दिवस को मातृ पितृ दिवस या मित्र दिवस के रूप मे धूम धाम से मनाते है जहाँ बच्चों द्वारा शिव, पार्वती, गणेश जी की झांकी के साथ अभिभावक माता – पिता, दादा -दादी का पूजन किया जाता है और उनके आदर्शो को मानने व उनका सम्मान करने हेतु जागरूक किया जाता है जिससे आज बच्चे बचपन से ही संस्कारवान बनते जा रहें हैं.जिससे आने वाली युवा पीढ़ी भी संस्कारवान बने. बच्चे एक मिट्टी के समान हैं आप जिस प्रकार उसको ढालेंगे उसी प्रकार वो ढलते जायेगा.. जिस प्रकार के वातावरण मे वे आगे बढ़ते जायेंगे वह उसी प्रकार बनते चला जायेगा. अच्छे वातावरण मे पालन पोषण होगा तो अच्छा व्यक्ति बनेगा और ख़राब वातावरण या मौहाल मे पालन पोषण होगा तो बच्चे गलत संगति रहकर गलत आचरण सीखेगा और गलत कार्य करेगा जो अपने परिवार सहित समाज और राष्ट्र के लिये घातक होगा. इसलिए पालक/ अभिभावक अपने बच्चे के प्रत्येक एक्टिविटी को ध्यान रखना जरुरी है जबतक वे अपना करियर बना नहीं लेते और पारिवारिक जिम्मेदारी का अहसास नहीं हो जाता.