
हरेन्द्र बघेल रायपुर। सुप्रीम कोर्ट ने व्यापार एवं उद्योग विभाग के संयुक्त सचिव आईएएस अनिल टूटेजा को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने आईएएस अनिल टूटेजा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। अब ईडी उनकी गिरफ्तारी नहीं कर सकेगी।
आज जस्टिस संजय किशन कौल, और जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ में आईएएस अफसर अनिल टुटेजा व उनके पुत्र यश टुटेजा की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के अनुसार ईडी ने इस बात का खुलासा ही नहीं किया कि इस रेड का आधार क्या है। जबकि 30 तारीख को ईडी के समक्ष हाजिर हुए थे, और उनसे जानकारी चाही थी। मगर ईडी ने इसकी जानकारी नहीं दी।
कोर्ट ने इस मामले में अनिल टुटेजा, और यश टुटेजा को राहत देते हुए दोनों की गिरफ्तारी या इसी तरह की किसी दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है। साथ ही जुलाई में अगली सुनवाई की बात कही है।
मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप
गौरतलब है कि ईडी ने आईएएस टुटेजा के निवास पर छापा मारा था। यह छापा पूर्व के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा मारे गए छापे से जुड़ा बताया जा रहा है, जिसमें हाल ही में तीस हजारी कोर्ट ने अलग एफआईआर करने के निर्देश दिए थे। तीस हजारी कोर्ट के फैसले को ही आईएएस अफसर ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। ईडी द्वारा छापे के बाद आईएएस टुटेजा से पूछताछ की गई थी। इसके बाद उन्हें फिर से कोर्ट में पेश होने के लिए समंस जारी किया गया था।
ईडी ने चीफ सेक्रेटरी को भेजा था पत्र और समंस
इस मामले में ईडी ने चीफ सेक्रेटरी अमिताभ जैन को पत्र भेजा था. इसमें कहा था कि, उन्हें (ईडी) को एपी त्रिपाठी और अनिल टूटेजा की तलाश है। दोनों को ही नोटिस जारी किया गया है, लेकिन वे जांच में उपस्थित नहीं हो रहे हैं। ईडी ने पत्र के साथ समन की कॉपी भेजी थी और यह आग्रह किया था कि, चूकि चीफ सेक्रेटरी पूरे राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था का प्रमुख होता है, इसलिए वे अपने अधीनस्थ दोनों को यह समंस तामील कराएं और उन्हें ईडी के रायपुर कार्यालय में उपस्थित कराएं।
टूटेजा ने पत्र में क्या लिखा है?
IAS टूटेजा ने भी प्रमुख सचिव को पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने कहा था कि, ईडी की जांच अवैध और अनाधिकृत है। ईडी जिस मसले पर जांच कर रही है, उसकी विधिक अधिकारिता को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है। ईडी किसी शेड्यूल अपराध के बगैर जांच नहीं कर सकती और इस मामले में ईडी के पास कोई आईपीसी में दर्ज शैड्यूल अपराध नहीं है। ED के समन का या तो मैंने जवाब दिया है या मेरे प्रतिनिधियों ने जवाब दिया है। हमने इसमें विधिक मसले भी उठाए हैं। हमने दो हफ्ते का समय मांगा है, क्योंकि इस संबंध में मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।