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पति की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने रखा वट सावित्री का व्रत

सोलह श्रृंगार कर वट वृक्ष के पास पहुंचकर महिलाओं ने विधि विधान के साथ व्रत को पूरा किया

पति की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने रखा वट सावित्री का व्रत

सोलह श्रृंगार कर वट वृक्ष के पास पहुंचकर महिलाओं ने विधि विधान के साथ व्रत को पूरा किया

सुहागिन महिलाएं ने अपने पति की लंबी उम्र और संतान प्राप्ति के लिए की पूजा

के. पी. पटेल की खास रिपोर्ट

छत्तीसगढ़:- छत्तीसगढ़ सहित पुरे भारत मे पति की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने वट सावित्री का व्रत रखा जहाँ महिलाएं सोलह श्रृंगार कर वट वृक्ष के पास पहुंचकर विधि विधान के साथ व्रत रखकर भोलेनाथ पार्वती, सत्यवान एवं सावित्री माता की पूजा अर्चना कर व्रत को पूरा किया.

वहीँ नगर पंचायत भटगांव मे सुहागिन महिलाओं ने पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख शांति के लिए वट सावित्री व्रत रखकर पूजा अर्चना की। जहां वट सावित्री व्रत पर महिलाओं ने दुल्हन की तरह सोलह श्रृंगार कर वट वृक्ष के पास पहुंचकर महिलाओं ने विधि विधान के साथ व्रत को पूरा किया। नगर के कई स्थानो मे वट वृक्ष के नीचे सुबह से ही सुहागिनों की भीड़ लगी रही। पूजा अर्चना के बाद सुहागिनों ने वटवृक्ष की परिक्रमा कर पूजा की। तथा ग्राम पंचायत खटियापाटी मे भी गांव की सुहागिन महिलाओं बड़े तालाब किनारे बरगद वृक्ष के निचे सरपंच महिला सहित अधिकांश सुहागिन महिलाओ ने यह व्रत रखकर विधिविधान से पूजा अर्चना की.

वट सावित्री व्रत मे वट और सावित्री दोनो का खास महत्व माना गया है। पीपल की तरह वट या बरगद का पेड़ का भी विशेष महत्व है। पुराणों की माने तो वट वृक्ष मे ब्रम्हा, विष्णु व महेश तीनों का वास है। वट सावित्री व्रत के दिन बरगद पेड़ के नीचे बैठकर पूजन, व्रत कथा सुनने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस व्रत मे महिलाएं सावित्री सत्यवान की कथा सुनाये एवं वट वृक्ष के नीचे बैठकर ही सावित्री ने अपने पति सत्यवान को दोबारा जीवित कर लिया था। विदित हो कि दूसरा कथा के अनुसार मार्कडेय ऋषि को भगवान शिव के वरदान से वट वृक्ष के पत्ते मे पैर का अंगूठा चूसते हुए बाल मुकुंद के दर्शन हुए थे, तभी से वट वृक्ष की पूजा की जाती है। वट वृक्ष की पूजा से घर मे सुख शांति, धनलक्ष्मी का भी वास होता है। वही छत्तीसगढ़ मे प्रमुख रूप से सुहाग पर्व के रूप मे मनाए जाने वाले वट सावित्री को लेकर नगर नव विवाहितों मे खास उत्साह देखा गया। सोलह श्रृंगार के साथ नई साड़ी, गहनों से सजी संवरी सुहागिने पूरे विधि विधान से वट वृक्ष की पूजा की। कच्चे सूत को लेकर परिक्रमा कर सुहागिनों महिलाओं ने चना, पकवान, मौसमी फल सहित सुहाग की सामग्री भी चढ़ायी। वही नव ब्याहताओं ने बताया कि उसके पहले व्रत को लेकर ससुराल मे काफी उत्साह था।

हमेशा उसने अपनी मां, चाची, मामी को यह व्रत करते देखी थी और आज उसने यह व्रत रखा है, पति की लंबी उम्र और दीर्घायु के लिए वट सावित्री की पूजा अर्चना कर वरदान मांगी है। बरगद वृक्ष के नीचे सुहागिनों ने शिव पार्वती की पूजा की। इसके साथ अपनी सुहाग की लंबी उम्र की कामना भी की। फल, पुड़ी, भीगे हुए चने भी अर्पित किए गए। महिलाएं पूजन सामग्री के तौर पर सिंदूर, दर्पण, मौली, काजल, मेहंदी, चूड़ी माथे की बिंदी, साड़ी, सात तरह की अनाज और सत्यवान सावित्री की प्रतिमा लेकर पहुंची थी। वही व्रत रखने वाली महिलाओं ने बताया कि इस दिन माता सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और श्राध्दा से यमराज द्वारा अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस पाए। इसलिए महिलाओं के लिए ये व्रत बेहद ही फलदायक माना जाता है।

इस दिन सुहागन महिलाएं पूरा श्रृंगार कर बरगद के पेड़ की पूजा करती है। वही आगे बताया कि धार्मिकता के अनुसार इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और संतान प्राप्ति के लिए रखती है। इस व्रत को रखने से अखंड सौभाग्य व सुख समृध्दि की प्राप्ति होती है।

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