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निजीकरण का निर्णय छत्तीसगढ़ के लिए दुर्भाग्यपूर्ण CM ने लिखा PM को पत्र।

निजीकरण का निर्णय छत्तीसगढ़ के लिए दुर्भाग्यपूर्ण CM ने लिखा PM को पत्र।।

हरेन्द्र बघेल की रिपोर्ट, 29.08.2020

रायपुर। सीएम भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर बस्तर के नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण के निर्णय पर पुनः विचार करने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है- एनएमडीसी द्वारा लगभग 20 हजार करोड़ रूपए से अधिक के लागत से बस्तर स्थित निर्माणाधीन नगरनार स्टील प्लांट का निकट भविष्य में प्रारंभ होना संभावित है।इस स्टील प्लांट के प्रारंभ होते ही बस्तर की बहुमूल्य खनिज सम्पदा का दोहन बस्तर स्थित एनएमडीसी के नगरनार स्टील प्लांट में उपयोग से राष्ट्र निर्माण में अपनी अमिट सहयोग प्रदान होने एवं इस औद्योगिक इकाई के शुभारंभ होने से क्षेत्र में हजारों प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उपलब्ध होने की संभावनाओं से गौरान्वित महसूस कर रहे थे।

किन्तु विगत दिनों कुछ समाचार पत्रों एवं अन्य माध्यमों से यह जानकारी प्राप्त हुई है कि केन्द्र सरकार बस्तर के नगरनार स्टील प्लांट को निजी लोगों के हाथों में बेचने की तैयारी में है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण होगा कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल में सार्वजनिक क्षेत्र के प्रस्तावित स्टील प्लांट का निजीकरण किया जाए। केन्द्र सरकार के इस कदम से लाखों आदिवासियों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को गहरा आघात पहंुचेगा।

नगरनार स्टील प्लांट का इस प्रकार के निजीकरण के समाचार से समुचे प्रदेश के साथ-साथ बस्तरवासियों को गहरा धक्का लगा है। भारत सरकार के इस प्रकार फैसले से आदिवासी समुदाय आंदोलित हो रहे है तथा इनके मध्य शासन-प्रशासन के विरूद्ध असंतोष की भावना व्याप्त हो रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखा कि आप इस बात से भली-भांति अवगत होंगे कि राज्य शासन काफी अथक प्रयासों से नक्सल गतिविधियों पर अंकुश लगाने में सफल हुई है। इन परिस्थितियों मंे नगरनार स्टील प्लांट का इस प्रकार के निजीकरण के समाचार से समुचे प्रदेश के साथ-साथ बस्तरवासियों को गहरा धक्का लगा है।

भारत सरकार के इस प्रकार फैसले से आदिवासी समुदाय आंदोलित हो रहें है तथा इनके मध्य शासन-प्रशासन के विरूद्व असंतोष की भावना व्याप्त हो रही है। आप इस बात से भली-भांति अवगत होंगे कि राज्य शासन, काफी अथक प्रयासों से नक्सल गतिविधियों पर अंकुश लगाने में सफल हुई है। इन परिस्थितियों में नगरनार स्टील प्लांट का निजीकरण होने से नक्सलियों द्वारा आदिवासियों के असंतोष का अनुचित लाभ उठाने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता।

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