छत्तीसगढ़

मरार पटेल समाज कल मनाएगा शाकम्भरी जयंती एवं छेर छेरा पुन्नी दान पुन्न महोत्सव…देवी को अर्पित की जाएगी फल एवं सब्जी

के पी पटेल भटगांव:- नगर सहित पूरे प्रदेश मे छ ग मरार पटेल महासंघ द्वारा पटेल समाज के आराध्य देवी माता शाकम्भरी पूर्णिमा एवं छेर छेरा दान पुन्न महोत्सव का आयोजन किया जायेगा , प्रदेश के विभिन्ना स्थानों पर इस दिन मरार समाज द्वारा भव्य सब्जी प्रसादी वितरण सहित शोभायात्रा, कलश यात्रा के साथ झांकी एवं कई प्रकार के आकर्षक आयोजन किये जाएंगे , वही प्रदेश के रायपुर में मुख्यमंत्री निवास मे भी शाकम्भरी जयंती एवं छेरा छेरा पुन्नी महोत्सव का आयोजन किया जायेगा.

आइये जानते है माता शाकम्भरी की कहानी…
मान्यता है कि मां दुर्गा ने धरती से अकाल और गंभीर खाद्य संकट से पृथ्वी को निजात दिलाने के लिए शाकम्भरी माता का अवतार लिया था। जब इनकी पूजा की जाती है तो उन्हें सब्जियों और फल चढ़ाए जाते हैं। इन्हें सब्जियों और फलों की देवी कहा जाता है। इस दिन व्यक्ति अगर अपने सार्म्थयनुसार गरीबों को अन्न, कच्ची सब्जी, फल व जल दान करता है तो इससे देवी दुर्गा प्रसन्न होती है।

देवी शाकंभरी की पौराणिक ग्रंथों में लिखी कथा के अनुसार, एक समय जब पृथ्‍वी पर दुर्गम नामक दैत्य ने आतंक मचाया हुआ था। इस तरह करीब सौ वर्ष तक वर्षा न होने के कारण अन्न-जल के अभाव में भयंकर सूखा पड़ा, जिससे  सभी मनुष्य मर रहे थे। पृथ्वी पर जीवन लगभग खत्म हो रहा था।

उस दैत्य ने ब्रह्माजी से चारों वेद चुरा लिए थे। तब आदिशक्ति मां दुर्गा का रूप मां  देवी शाकंभरी के रूप में अवतरित हुई, जिनके सौ नेत्र थे। उन्होंने रोना शुरू किया, रोने से देवी के आंसू निकले और इस तरह पूरी धरती में जल का प्रवाह हो गया।
अंत में देवी शाकंभरी ने दुर्गम दैत्य का अंत कर दिया।

एक अन्य कथा के अनुसार शाकंभरी देवी ने 100 वर्षों तक तप किया था
और महीने के अंत में एक बार शाकाहारी भोजन कर तप किया था।
ऐसी निर्जीव जगह जहां पर 100 वर्षों तक पानी भी नहीं था,
वहां पर पेड़-पौधे उत्पन्न हो गए थे।

यहां पर साधु-संत माता का चमत्कार देखने के लिए आए और उन्हें शाकाहारी भोजन दिया गया। इसका तात्पर्य यह था कि माता केवल शाकाहारी भोजन का भोग ग्रहण करती हैं और इस घटना के बाद से माता का नाम ‘शाकंभरी माता’ पड़ा।

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