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कथा श्रवण कर कथा को ह्रदयंगम करें –पंडित देवकृष्ण शर्माजी  विवेक के जागृति हेतु सत्संग जरूरी –पंडित देव कृष्ण शर्माजी

कथा श्रवण कर कथा को ह्रदयंगम करें –पंडित देवकृष्ण शर्माजी 

विवेक के जागृति हेतु सत्संग जरूरी –पंडित देव कृष्ण शर्माजी

बिलाईगढ–स्वर्गीय रेशमलाल देवांगनजी के पावन स्मृति में वार्षिक श्राद्ध के निमित्त नगर पंचायत बिलाईगढ़ के दीवान बाड़ा थाना मोड में संगीतमयी श्री श्रीमदभागवत कथा का आयोजन दिनांक 9/7/2024से16/7/2024तक किया गया है। कथा प्रतिदिन दोपहर 2:30 बजे से हरी इच्छा तक चल रही है ।ग्राम टेमर ,सक्ति //छत्तीसगढ़ //से आए हुए पंडित देवकृष्ण शर्माजी अपनी सरल व सुबोध शैली में भजनों के साथ-साथ भागवत कथा का बखान कर रहे हैं ।दिनांक 10.7.2024 को आरती मंगलाचरण के बाद कथा का शुभारंभ करते हुए बताये कि कथा श्रवण करने के बाद कथा को हृदयंगम करना चाहिए। आजकल की सबसे बड़ी समस्या है कि कुछ गिने-चुने व्यक्तियों को छोड़कर कोई किसी को सुनना ही नहीं चाहता है। पुत्र पिता का नहीं सुनता है, नौकर मालिक का नहीं सुनता है तो पत्नी पति का नहीं सुनना चाहती है ।

यदि ये सभी सुनकर कही गई हित की बातों को करने लगे तो घर परिवार सहित करने वालों का भी भला हो जाता है ।लोग बाग कथा श्रवण करने आते हैं जरूर परंतु अधिकांश लोक कथा को धारण ही नहीं करते हैं, जिससे कथा श्रवण का पूरा-पूरा लाभ नहीं मिलता है। कथा का पूरा लाभ लेने के लिए कथा में कही गई सार सार बातों को ह्रदयंगम कर उसे अमल में लाने से होता है। हितकारी बातों को जीवन में क्रियान्वयन करने से स्वयं के साथ-साथ घर परिवार, देश समाज का भला होता है। कथा में कही गई बातों पर विचार करके विवेक पूर्वक समयनुसार कार्य करने से व्यक्ति परिवार सहित देश समाज का उन्नति होता ही है ।कथाव्यास पंडित देवकृष्ण शर्मा जी ने आगे बताये कि विवेक की जागृति के लिए सत्संग जरूरी है। बिना सत्संग के विवेक जागृत नहीं होता है ,इसलिए समाज के अच्छे लोगों के साथ उठने- बैठने, विचार विमर्श करने के साथ-साथ सच्चे संतों का संगति करना चाहिए ।आज भी हमारे देश में अच्छे विचारक एवं संत विद्यमान हैं, उनसे लाभ उठाना चाहिए। टीवी मोबाइल में व्यर्थ की बातों को देखने सुनने के बजाय संतो को सुनना चाहिए एवं उनके बताए गए बातों को अमल में लाना चाहिए, तब व्यक्ति का भला होता है ।मानस में प्रातः स्मरणीय पूज्यपाद गोस्वामी तुलसीदासजी लिखे हैं कि– बिनु सत्संग विवेक न होई । राम कृपा बिनु सुलभ न सोई।।

कथाव्यास पंडित देवकृष्ण शर्माजी द्वारा आत्मदेव ब्राह्मण, उसके पत्नी धुंधली, गौकर्ण जी महाराज और धुंधकारी के कथा को कहकर श्रीभागवत जी के महिमा का भली प्रकार से प्रतिपादन कर श्रोता समाज को सुनाया गया। उसके बाद राजा परीक्षित महाराज द्वारा कलियुग को दंडित कर चार स्थानों में रहने के लिए स्थान बताकर नियंत्रित करने की कथा को विस्तार पूर्वक सुनाया गया ।कथा आयोजक बलराम देवांगन ,नरोत्तम देवांगन, प्रदीप, मधुकांत देवांगन उनके परिवार के सदस्यों एवं पंडित देव कृष्ण शर्माजी ने आसपास के गांव सहित नगर पंचायत बिलाई गढ़ के अधिक से अधिक लोगों को उपस्थित होकर इस कथा को श्रवण कर लाभ उठाने के लिए निवेदन किये हैं।

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