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भटगांव मे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बलौदाबाजार के दिशा निर्देश में महिलाओं के सशक्तीकरण हेतु एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

भटगांव मे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बलौदाबाजार के दिशा निर्देश में महिलाओं के सशक्तीकरण हेतु एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

जागरूक होने प्रत्येक महिला को हो कानून व संविधान की जानकारी

भटगांव : रविवार को विधिक सेवा प्राधिकरण एवं राष्ट्रीय महिला आयोग नई दिल्ली के आदेशानुसार छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बलौदाबाजार के दिशा निर्देश में महिलाओं के सशक्तीकरण हेतु एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन भटगांव के केशरवानी भवन में की गई । कार्यशाला की अध्यक्षता जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बलौदाबाजार के सचिव/न्यायाधीश मयूरा गुप्ता द्वारा की गई।

शिविर में विभिन्न विभाग जैसे पुलिस विभाग, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन,स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग,स्व सहायता समूह,नगर पंचायत आदि के महिला कर्मचारियों, शा कन्या उ.मा. विद्यालय भटगांव के विद्यार्थियों एवं अभिभाषक संघ भटगांव के श्रीमती पुष्पा गुप्ता नोटरी अधिवक्ता, श्रीमती सुनीता प्रधान शपथ आयुक्त अधिवक्ता ने कार्यक्रम का संचालन की।

उक्त कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बलौदाबाजार के सचिव मयूरा गुप्ता न्यायिक मजिस्ट्रेट के स्वगात कार्यशाला में उपस्थित समस्त विभाग के प्रमुख महिलाओ ने पुष्प गुच्छ से स्वागत किए।

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न्यायिक मजिस्ट्रेट गुप्ता जी ने महिलाओं के मौलिक अधिकारों और मौलिक कर्तव्यों के विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि टोनही प्रताड़ना अधिनियम में महिलाओं के साथ पुरूष भी शामिल है। पोस्को एक्ट के थाना में FIR की प्रक्रिया से लेकर न्यायालय में न्याय दान की न्यायालयीन प्रोसिडिंग तक की जानकारी को विस्तार से समझाया। गुड टच बैड टच महिलाओं पर होने वाले छेड़छाड़ ,घरेलू हिंसा, शिक्षा का अधिकार, जन्म मृत्यु का प्रमाण पंजीकरण,कामकाजी महिलाओं के अधिकार के बारे में जानकारी दी।देश के 80 प्रतिशत लोग गांव में निवास करते है ,शिक्षा दीक्षा एवं जागरूकता के अभाव में आज भी हमारे समाज मे कई तरह की कुप्रथाएं, रूढ़ि व अंधविश्वास व्यप्त है, ग्रामीण क्षेत्रों में झाड़-फूंक व जादू-टोना कर लोगों का अहित करती है। इसके नाम पर महिलाओं को प्रताड़ित व अपमानित करना उचित नहीं है।आज के वैज्ञानिक युग में इस तरह की धारण मात्र एक सामाजिक बुराई व अंधविश्वास के अलावा कुछ नहीं है । इसे समाप्त करने के लिए छत्तीसगढ़ टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम 2005 पारित किया गया है। इस अधिनियम के तहत किसी व्यक्ति को टोनही के रूप में चिन्हित किया जाना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। जब कोई व्यक्ति स्वयं अथवा अन्य व्यक्ति के माध्यम से पहचान किए गए व्यक्ति को अर्थात टोनही को शारीरिक व मानसिक रुप से प्रताड़ित करेगा या नुकसान पहुंचाएगा उसे 5 वर्ष के कठोर कारावास एवं जुर्माने से दंडित किए जाने का प्रावधान है। बाल विवाह प्रतिषेद कानून,हिंदू विवाह अधिनियम एवं महिलाओं के लिए हिन्दू कोड बिल में विशेष प्रावधान निहित है।जिसमें महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान है। निःशुल्क विधिक सहायता महिलाएं जिनकी आय एक लाख से कम है या जेल में निरुद्ध है उन्हें न्यायालय में अपने पैरवी करने के लिए निःशुल्क अधिवक्ता मिलता है। इसी तरह प्रत्येक माह में एक शनिवार को लोक अदालत का आयोजन किया जाता है। जिसे पक्षकार अपना राजीनामा कर प्रकरण समाप्त करा सकते है। जिसके संवैधानिक अधिकार के बदौलत महिलाएं आत्मनिर्भर हो पाई है। विधिक जागरूकता शिविर में 150 से अधिक महिलाओं ने लिया हिस्सा। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा निर्धन, कमजोर व असहाय व्यक्तियों की सहायता के लिए नि:शुल्क अधिवक्ता नियुक्त किए जाने का प्रावधान है।

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उक्त शिविर में भटगांव के व्यवहार न्यायाधीश श्री के.एम.शर्मा जी, तहसीलदार करुना आहेर जी, अधिवक्तागण एवं शासकीय स्कूल के शिक्षिकाएं , छात्राएं ,पुलिस महिला आरक्षक, मितानिन महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता , डॉ संतोष टण्डन , डॉ विजय बंजारे के टीम द्वारा स्वास्थ्य शिविर ,आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुपरवाइजर परियोजना अध्यक्ष श्रीमती धनेश्वरी भास्कर , सुशिला सहाय, वर्षा बंजारे ,विजयलक्ष्मी सोनवानी , संतरा प्रेमी, हीरमणी वैष्णव आदि समस्त आंगन बाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका नगर पंचायत भटगांव आदि समस्त विभाग महिलाएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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