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सड़क दुर्घटना में सिपाही की मौत, बीमा कंपनी की इस अपील को हाईकोर्ट ने किया खारिज

बिलासपुर: सडक़ दुर्घटना में सिपाही की मौत की एफआईआर दो माह बाद दर्ज कराये जाने के आधार पर दावा खारिज करने की बीमा कंपनी की अपील को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने दुर्घटना दावा अधिकरण में पारित आदेश को बरकरार रखा है।

छत्तीसगढ़ पुलिस के सिपाही नरसिंह मरावी की बस्तर के डब्बाकोंटा ग्राम के पास सडक़ दुर्घटना में मौत हो गई। 29 अगस्त 2020 को एक बोलेरो ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी थी। 31 अगस्त को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। मरावी ने अपना बीमा करा रखा था और अपनी पांच साल की बेटी को नामिनी बनाया था। पीडि़त परिवार दुर्घटना से मौत की एफआईआर 20 अक्टूबर 2020 को दर्ज कराई।

बीमा कंपनी ओरिएंटल इंश्योरेंस ने दावे को इस आधार पर नहीं माना क्योंकि रिपोर्ट देर से दर्ज कराई थी। इस पर मृतक सिपाही की पत्नी गंगा मंडावी ने धारा 166 के तहत मोटर दावा अधिकरण में दावा पेश किया।

अधिकरण ने 54 लाख 88 हजार 200 रुपये का अवार्ड पारित किया। इसके साथ ही भुगतान में विलंब करने पर 6 प्रतिशत ब्याज भी निर्धारित किया। हाईकोर्ट में इस अधिकरण के आदेश को बीमा कंपनी ने चुनौती दी।

हाईकोर्ट में जस्टिस पी. सैम कोशी की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि एफआईआर में दो माह का विलंब किसी कारण से हो सकता है। संभव है कि परिवार के शोक में होने के कारण देरी हुई। यह स्पष्ट है कि दुर्घटना हुई है और बीमित व्यक्ति की मृत्यु हुई है। अतएव, बीमा कंपनी दावा भुगतान से मना नहीं कर सकती। कोर्ट ने अधिकरण के आदेश को सही माना।

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