
भानुप्रतापपुर विधानसभा उप चुनाव में पार्टी उम्मीदवार तय करने के लिए सोमवार को प्रदेश कांग्रेस चुनाव समिति की बैठक में तीन नामों का पैनल हाईकमान को भेजा गया है। सीएम भूपेश ने बताया कि नाम पर आलाकमान की मुहर लगते ही एक दो दिन में प्रत्याशी का ऐलान कर दिया जाएगा। चुनाव समिति की पिछली बैठक में 14 दावेदारों के नाम सामने आए थे। वैसे स्वर्गीय विधायक मनोज मंडावी की पत्नी सावित्री मंडावी का टिकिट तय माना जा रहा है।
बस्तर के भानुप्रतापपुर में होने वाले उपचुनाव को लेकर हलचलें तेज हो गई हैं। कांग्रेस से तय प्रत्याशी मानी जा रही सावित्री मंडावी ने सोमवार को नामांकन पत्र खरीद लिया। आज उनके पति और यहां के पूर्व विधायक स्वर्गीय मनोज मंडावी का जन्मदिन भी है। इस दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर मनोज मंडावी को याद किया और श्रद्धांजलि दी। इससे पहले रायपुर में प्रदेश चुनाव समिति की बैठक कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन में सुबह 11.30 बजे शुरू हुई। बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम, प्रभारी महामंत्री अमरजीत चावला मौजूद रहे। चुनाव समिति भानुप्रतापपुर से पार्टी उम्मीदवारी के 14 दावेदारों में सावित्री मंडावी, राजेंद्र सलाम, जीवन राम ठाकुर, ठाकुर राम कश्यप, धनीराम धुर्वा, विजय ठाकुर, हेमंत कुमार ध्रुव, बीरेश ठाकुर, ललित नरेटी, सुनाराम तेता, राजेश पोटाई, तुषार ठाकुर और अनिता उइके हैं। योग्य नामों के लिए पार्टी ने आंतरिक सर्वे कराया था। बातचीत में यह बात सामने आई कि स्थानीय नेताओं को सावित्री मंडावी की दावेदारी पर सबसे बड़ी आपत्ति उनका संगठन से सीधे न जुड़ा होना था। स्थानीय नेताओं का कहना था कि जिले में तीन विधानसभा क्षेत्र हैं।
कांकेर विधायक शिशुपाल शोरी पूर्व अफसर हैं। अंतागढ़ विधायक अनूप नाग भी सरकारी सेवा से रिटायरमेंट लेकर चुनाव लड़ने आये। अब भानुप्रतापपुर से सावित्री मंडावी भी सरकारी सेवा सेवा से सीधे चुनाव मैदान में आएंगी तो पार्टी कैडर के समर्पित कार्यकर्ताओं को क्या मिलेगा। पार्टी ने सर्वे और दूसरे समीकरणों को आधार बनाकर असंतुष्टों को सावित्री के नाम पर सहमत करने की कोशिश की है। बताया जा रहा है, प्रत्याशी की घोषणा मंगलवार को हो जाएगी। उम्मीदवार का नामांकन 17 नवम्बर को होगा। इसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी शामिल होंगे।
सावित्री मंडावी का दावा अभी सबसे मजबूत
प्रदेश चुनाव समिति की इस बैठक के बाद नामों का पैनल केंद्रीय चुनाव समिति को भेजा गया है। इसमें सावित्री मंडावी और बीरेश ठाकुर का नाम सबसे मजबूत दावेदारों में है। इससे पहले जो सर्वे हुआ है उसमें सावित्री मंडावी का दावा मजबूत बताया जा रहा है। सावित्री मंडावी दिवंगत विधायक मनोज मंडावी की पत्नी है। उन्होंने सरकारी सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए पहले ही आवेदन दे दिया है। कांग्रेस के रणनीतिकारों का कहना है, सावित्री को समाज की सहानुभूति मिलेगी। दूसरे उनकी छवि एक भद्र महिला की है, इससे विपक्षी उम्मीदवारों को उनपर सीधा हमला करने का कोई तरीका नहीं मिलेगा। बीरेश ठाकुर 2019 में कांकेर लोकसभा सीट से पार्टी के उम्मीदवार थे।
कांग्रेस विधायक के निधन से खाली हुई है सीट
भानुप्रतापपुर से कांग्रेस विधायक मनोज कुमार मंडावी का 16 अक्टूबर की सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। उसके बाद इस सीट को रिक्त घोषित कर दिया गया। निर्वाचन आयोग ने चुनाव की अधिसूचना 10 नवम्बर को जारी कर दिया है। 17 नवम्बर तक मतदान की अंतिम तिथि है। नया विधायक चुनने के लिए पांच दिसम्बर को मतदान होगा। आठ दिसम्बर को मतगणना होगी और परिणाम घोषित किया जाएगा।
उपचुनाव का स्ट्राइक रेट बरकरार रखना चाहेगी कांग्रेस
2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद छत्तीसगढ़ में हर साल उप चुनाव हुए हैं। दंतेवाड़ा, चित्रकोट, मरवाही, खैरागढ़ में सत्ताधारी कांग्रेस के उम्मीदवारों ने एकतरफा जीत दर्ज की है। पिछले चार चुनाव में एकमात्र चित्रकोट सीट ही 2018 के आम चुनाव में कांग्रेस के खाते में थी। इसका मतलब है कि इन चुनावों में कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 100% था। इस कार्यकाल में यह विधानसभा का पांचवा उपचुनाव होगा। पार्टी इस स्ट्राइक रेट को बरकरार रखने की कोशिश में है।
ऐसा रहेगा चुनाव का पूरा शेड्यूल
1.नामांकन-10 नवम्बर से 17 नवम्बर
2.नामांकन की जांच -18 नवम्बर
3.नाम वापसी का मौका -21 नवम्बर तक
4.मतदान-5 दिसम्बर
5.मतगणना- 8 दिसम्बर
6.चुनाव खत्म-10 दिसम्बर
ऐसा रहा है भानुप्रतापपुर का चुनावी मिजाज
संयुक्त मध्य प्रदेश के समय 1962 में पहली बार भानुप्रतापपुर का विधानसभा क्षेत्र घोषित किया गया। पहले चुनाव में निर्दलीय रामप्रसाद पोटाई ने कांग्रेस के पाटला ठाकुर को हराया। 1967 के दूसरे चुनाव में प्रजा सोसलिस्ट पार्टी के जे हथोई जीते। 1972 में कांग्रेस के सत्यनारायण सिंह जीते। 1979 में जनता पार्टी के प्यारेलाल सुखलाल सिंह जीत गए। 1980 और 1985 के चुनाव में कांग्रेस के गंगा पोटाई की जीत हुई। 1990 के चुनाव में निर्दलीय झाड़ूराम ने पोटाई को हरा दिया। 1993 में भाजपा के देवलाल दुग्गा यहां से जीत गए। 1998 में कांग्रेस के मनोज मंडावी जीते। अजीत जोगी सरकार में मंत्री रहे। 2003 में भाजपा के देवलाल दुग्गा फिर जीत गए। 2008 में भाजपा के ही ब्रम्हानंद नेताम यहां से विधायक बने। 2013 में कांग्रेस के मनोज मंडावी ने वापसी की। 2018 के चुनाव में भी उन्होंने जीत दर्ज की।
चार सालों में पांचवी बार हो रहा है उपचुनाव
छत्तीसगढ़ के 22 सालों में अब तक 13 बार उप चुनाव हो चुके हैं। अब तक सबसे अधिक चार उपचुनाव 2008-13 के दौर में हुए। उस समय देवव्रत सिंह के सांसद बन जाने से खाली खैरागढ़ सीट पर उप चुनाव हुए। केशकाल में महेश बघेल, भटगांव में रविशंकर त्रिपाठी और संजारी बालोद में मदनलाल साहू के निधन के बाद उप चुनाव की नौबत आई। 2018 से 2023 के पहले चार सालों में चार उपचुनाव पहले ही हाे चुके हैं। पहला उपचुनाव दंतेवाड़ा से भाजपा विधायक भीमा मंडावी की हत्या के बाद कराया गया। दीपक बैज के सांसद चुन लिए जाने पर चित्रकोट में नया विधायक चुना गया। अजीत जोगी के निधन से खाली मरवाही विधानसभा और देवव्रत सिंह के निधन से खाली खैरागढ़ में उपचुनाव हुआ है। पिछले चार सालों में यह पांचवां उपचुनाव होगा। इस लिहाज से यह भी अपने आप में रिकॉर्ड है।