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जजों की नियुक्ति पर RAW और IB रिपोर्ट हुई सार्वजनिक, खुफिया विभाग पर उठने लगे सवाल

न्यायाधीशों की नियुक्ति से जुड़े कॉलेजियम सिस्टम को लेकर बीते कुछ महीनों से केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट में मतभेद चल रहा है. कॉलेजियम विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार जजों के बारे में सारी जानकारी को सार्वजनिक करने का फैसला किया है. सूत्रों के हवाले से एनडीटीवी ने कहा कि केंद्र सरकार की आपत्तियों का जवाब देने के लिए चीफ जस्टिस की अगुवाई में कॉलेजियम ने तय किया कि इस बार सारे मामले सार्वजनिक किए जाएं. इससे खुफिया एजेंसियों में बेचैनी पैदा हो गई है.

केंद्र सरकार की आपत्तियों को सार्वजनिक नहीं करने की प्रथा रही है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के पदों के लिए संभावित उम्मीदवारों की छानबीन करती हैं. खुफिया एजेंसियों की गोपनीयता को बनाए रखने की भी प्रथा रही है. हालांकि, अब इन सभी बातों के खुलासे ने सरकार के भीतर बड़ी चिंता पैदा कर दी है, जिसे लगता है कि इसका खुलासा नहीं किया जाना चाहिए था और सार्वजनिक रूप से इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए था.

सूत्रों के हवाले से एनडीटीवी ने कहा कि आजादी के बाद से चली आ रही इस प्रथा के बारे में चीफ जस्टिस को संवेदनशील बनाने के लिए अंतिम फैसला लिया जाएगा. सरकार के सूत्रों का कहना है कि न्यायाधीशों के पुनर्मूल्यांकन की विधिवत प्रक्रिया की जाएगी और अगले सप्ताह के अंत में अंतिम निर्णय लिया जाएगा. सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों की पदोन्नति पर केंद्र के साथ अपने संवाद को सार्वजनिक करने का अभूतपूर्व कदम उठाने से पहले चार दिनों तक विचार-विमर्श किया था.

CJI ने परामर्श करके लिया फैसला

सूत्रों के अनुसार, चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूरे मामले को सार्वजनिक करने से पहले न केवल कॉलेजियम के न्यायाधीशों के साथ परामर्श किया था, बल्कि कॉलेजियम के भावी न्यायाधीशों से भी चर्चा की थी. दरअसल, कॉलेजियम की ओर से सीनियर एडवोकेट सौरभ कृपाल को जज के तौर पर नियुक्ति देने की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने आपत्ति जताई थी.

सौरभ कृपाल के नाम पर था मतभेद

सरकार ने सौरभ के विदेशी पार्टनर होने के चलते सुरक्षा के मद्देनजर कॉलेजियम से उनके नाम पर फिर विचार करने के लिए कहा था. विदेशी पार्टनर होने के चलते इंटेलिजेंस ब्यूरो ने भी सौरभ के खिलाफ ही रिपोर्ट दी थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट भी अड़ गया. कॉलेजियम ने हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति में RAW और IB रिपोर्ट को भी सार्वजनिक कर दिया.

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