
नगर निगम ने बारिश में हादसों से बचने के लिए शहर के जर्जर भवनों की लिस्ट तैयार कर ली है। शहर में इस समय 122 जर्जर भवन हैं। ज्यादातर भवन 70 से 100 साल पुराने हैं। शहर में सबसे ज्यादा जर्जर भवन जोन-4 में हैं। निगम के ही रिकार्ड के अनुसार यहां 29 मकान और भवन जर्जर हैं।
दूसरे नंबर पर जोन-8 है। इसी तरह जोन-5 और 7 में भी जर्जर भवनों की संख्या काफी है। शहर के ज्यादातर खतरनाक और जर्जर भवन सदरबाजार, रामसागर पारा, बैजनाथपारा, बूढ़ापारा, पुरानी बस्ती तथा एेसे इलाकों में हैं जहां कार्रवाई करने में निगम के अफसर हाथ डालने से कतरा रहे हैं।
कुछ राजनीतिक लोगों के मकान हैं तो कुछ उनसे जुड़े रसूखदारों के। कुछ मकान पारिवारिक और किरायदारी विवाद में है। निगम के अफसर कार्रवाई करने से बचने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि यदि कोई मकान जर्जर है और उससे किसी की जान को खतरा है तो उसे गिराना निगम की जिम्मेदारी है।
तोड़फोड़ का खर्च वसूलना समस्या : जर्जर मकान हो या किसी अवैध निर्माण को ध्वस्त करना, नगर निगम हमेशा खर्च को लेकर असमंजस में रहता है। निगम अफसरों का कहना है कि निगम नोटिस देता है, लेकिन तोड़फोड करने की जिम्मेदारी संबंधित भवन मालिक की होती है।
बार-बार नोटिस के बाद भी जब भवन नहीं तोड़ा जाए तो निगम को ही उसे तोड़ना होता है। इसके खर्च को लेकर निगम हाथ पीछे खींच लेता है। तोड़फोड़ में मशीन, लेबर इत्यादि का खर्च और उसके बाद मलबा उठाकर फेकने की भी जिम्मेदारी होती है। कई बार इन वजहों से भी निगम कार्रवाई करने से बचता है।

पिछले साल गिरे थे कई घर-छज्जे
बारिश के समय तेज पानी गिरने और हवा चलने पर इनके गिरने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए इन भवनों ही नहीं आसपास रहने वाले लोगों और राह चलते लोगों को भी खतरा रहता है। सुंदर नगर में पिछले साल इस तरह एक मकान भरभराकर गिर गया था।
गुढ़ियारी में भी ऐसा ही एक हादसा हुआ था। पंडरी गुरुद्वारा के पास पिछले साल एक दुकान का झज्जा भी बारिश में भरभराकर गिर गया था। इससे वहां एक अन्य दुकान में काम करने वाला व्यक्ति घायल हुआ था। इसके बावजूद निगम अफसर सिर्फ नोटिस-नोटिस खेल रहा है।
जर्जर भवनों में अभी भी रह रहे लोग
शहर के कुछ इलाकों के जर्जर भवनों में न केवल लोग रह रहे हैं बल्कि कई जगहों पर उसका बकायदा व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है। यह खतरनाक है। सदर बाजार में गणेश विसर्जन रूट में कई पुराने मकान हैं।
ये मकान देखने से ही इतने खतरनाक हैं कि उसके आसपास भी कोई फटकना नहीं चाहिए, लेकिन वहां लोग रह रहे हैं। बैजनाथपारा और रामसागर पारा में भी कई पुराने और जर्जर मकानों में लोग रह रहे हैं और व्यावसायिक उपयोग भी हो रहा है।
निगम के पास जर्जर और खतरनाक भवनों को गिराने का अधिकार
जानकारों के अनुसार निगम ने मकानों की जो लिस्ट तैयार की है, उसके अनुसार वे जर्जर और खतरनाक हैं। यानी उन मकानों या भवनों का रहने या अन्य किसी तरह का उपयोग नहीं किया जा सकता। उसे तत्काल खाली कराया जाना चाहिए।
यदि भवन कभी भी गिरने की स्थिति में है तो उसको तत्काल गिरा देना चाहिए। यह जिम्मेदारी निगम के जोन अफसरों की है। जोन स्तर पर कार्रवाई की जानी चाहिए, पर अफसर मकानों के गिरने का इंतजार करते रहते हैं। नियम यह भी है कि यदि भवन मालिक भवन को नहीं तोड़ता तो निगम को तोड़कर मलबा उठवाकर उसकी भरपाई करवानी चाहिए। अफसरों का तर्क होता है कि विवादों और न्यायालय प्रकरण होने के कारण वे कार्रवाई नहीं कर पाते।
कार्रवाई करेंगे जल्द
जर्जर भवनों और मकानों के मालिकों को नोटिस भेजे जाने और कार्रवाई की अपडेट जानकारी मंगाई जा रही है। बारिश से पहले नोटिस भेजकर कार्रवाई होनी चाहिए। लापरवाही करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
एजाज ढेबर, महापौर रायपुर