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सहसपुर लोहारा नपं अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास:दो साल पहले अध्यक्ष बनी थीं

नगर पंचायत सहसपुर लोहारा में नपं अध्यक्ष उषा श्रीवास और उपाध्यक्ष आभा श्रीवास्तव के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव एक वोट से पास हो गया। अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोनों ही अपनी कुर्सी नहीं बचा सकीं। नगर पंचायत भवन में सोमवार दोपहर 12 बजे अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर सम्मेलन शुरू हुआ। अतिरिक्त कलेक्टर इंद्रजीत बर्मन पीठासीन अधिकारी बनकर पहुंचे थे।

सम्मेलन में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के बाद फ्लोर टेस्ट के लिए मतदान शुरू हुआ। अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में कुल 15 में से 10 वोट पड़े। जबकि अध्यक्ष के पक्ष में सिर्फ 5 वोट पड़े। इस तरह एक वोट से अध्यक्ष की कुर्सी छिन गई। वहीं उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी एक वोट से पास हो गया। वोटिंग के दौरान पुलिस की तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही। अविश्वास प्रस्ताव को लेकर 5 दिसंबर को फ्लोर टेस्ट की तिथि तय हुई।

डेट फाइनल होने के बाद अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले सभी 10 पार्षद परिवार समेत 28 नवंबर को अज्ञातवास पर चले गए।वैसे भी अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान में लेटलतीफी को लेकर पार्षदों को बिलासपुर हाईकोर्ट की लड़ाई लड़ना पड़ा था। इसलिए 7 दिन तक अज्ञातवास में रहे। फिर सोमवार मतदान के आधे घंटे पहले यानी सुबह साढ़े 11 बजे सीधे नगर पंचायत कार्यालय पहुंचे। दो साल पहले नगर पंचायत लोहारा में निकाय चुनाव हुआ था और उषा श्रीवास अध्यक्ष बनी थीं। नगर के कुल 15 वार्डों में हुए चुनाव में भाजपा व कांग्रेस के 7- 7 पार्षद चुनकर आए थे।

यानी दोनों बराबरी पर थे। वहीं एक पार्षद आभा श्रीवास्तव निर्दलीय चुनकर आई थी। निर्दलीय पार्षद आभा के सपोर्ट से उषा श्रीवास अध्यक्ष बन पाई थी। वहीं निर्दलीय पार्षद चुनकर आई आभा श्रीवास्तव उपाध्यक्ष बनी थी। लेकिन अविश्वास प्रस्ताव पर हुए मतदान में दोनों अपनी कुर्सी नहीं बचा पाई।

पार्षदों का आरोप- अध्यक्ष के पति कामकाज में करते हैं हस्तक्षेप
नगर पंचायत की कांग्रेस समर्थित अध्यक्ष उषा श्रीवास और उपाध्यक्ष आभा श्रीवास्तव के खिलाफ 10 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव लाया था। इनमें से 3 पार्षद कांग्रेस के थे। सात महीने पहले कलेक्टर को अविश्वास प्रस्ताव के लिए आवेदन दिया था। पार्षदों का आरोप था कि नपं अध्यक्ष व उपाध्यक्ष अपनी मनमानी करती हैं। पार्षदों से सम्मानजनक व्यवहार नहीं करती। वहीं निर्वाचित अध्यक्ष- उपाध्यक्ष की कुर्सी पर उनके पति आकर बैठ जाते हैं। इसकी तस्वीरें भी पार्षदों ने साझा की थीं। आरोप यह भी था कि अध्यक्ष पति नगर पंचायत के कार्यों में हस्तक्षेप करते हैं।

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