

हरेन्द्र बघेल रायपुर : सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में आरक्षण विवाद पर आज यानी 16 दिसंबर को अर्जेंट सुनवाई तय की थी। आदिवासी समाज के लोगों की नजरें कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण का मामला टल गया है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार का पक्ष जानना भी जरुरी है। इसलिए इसकी सुनवाई टाल दी जा रही है। आरक्षण मामले में अब 16 जनवरी को अगली सुनवाई होगी।
छत्तीसगढ़ में 76 फीसदी आरक्षण को लेकर पारित आरक्षण संशोधन विधेयक पर विवाद गहराता जा रहा है। राजभवन से 10 बिंदुओं पर जानकारी मांगने के बाद मुख्यमंत्री ने भी इस प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं। अब आदिवासी आरक्षण पर CM बघेल का बड़ा बयान भी सामने आया है। CM बघेल ने कहा- राजभवन के अधिकारी भाजपा के हाथों की कठपुतली बने हुए हैं।

बता दें कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 58% आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है। इसके बाद राज्य सरकार ने संशोधन विधेयक पारित कर 76% आरक्षण का प्रावधान किया है। इसे मंजूरी के लिए राज्यपाल अनुसुइया उइके को भेजा गया है, मगर दो हफ्ते बाद भी राज्यपाल ने दस्तखत नहीं किए हैं। राज्यपाल उइके के मुताबिक वे सभी कानूनी पहलुओं को जानने के बाद ही दस्तखत करेंगी। राज्यपाल ने शासन से 10 सवाल पूछे हैं। इसमें इंदिरा साहनी केस के परिप्रेक्ष्य में क्या प्रावधान किए गए हैं, उसे लेकर भी सवाल हैं।
बीके. मनीष ने योगेश ठाकुर, प्रकाश ठाकुर और विद्या सिदार की एसएलपी पर गुरु घासीदास अकादमी और छत्तीसगढ़ शासन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से अक्टूबर में नोटिस कराया था। तब अंतरिम राहत इसलिए नहीं मिल सकी थी कि हाईकोर्ट के पक्षकार, विशेषत: छत्तीसगढ़ शासन, सुप्रीम कोर्ट नहीं पहुंचे थे। इस नोटिस का जवाब देने के बजाए छत्तीसगढ़ शासन ने विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की और अंतरिम राहत के प्रश्न पर 18 नवंबर को नोटिस जारी कराया।





