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जेल में ही रहेंगे IAS विश्नोई:रायपुर की अदालत ने नहीं दी जमानत, मनी लांड्रिंग के आरोप में 20 दिन से सलाखों के पीछे हैं

रायपुर की विशेष अदालत ने IAS समीर विश्नोई काे जमानत नहीं दी। उनके वकील बुधवार को जमानत की अर्जी लेकर अदालत पहुंचे थे। इस मामले में बहस हुई। जज अजय सिंह राजपूत की अदालत ने वकीलों की दलीलों को सुना मगर जमानत देने से इंकार कर दिया। IAS विश्नोई अब रायपुर की जेल में ही रहेंगे। पिछली पेशी में उन्हें 23 नवंबर तक न्यायिक रिमांड पर रखा गया है। खबर है कि अब रायपुर की अदालत के बाद विश्नोई के वकील हाईकोर्ट में भी जमानत की याचिका लगा सकते हैं। वैसे माना भी जा रहा था कि इस अदालत से उन्हें राहत नहीं मिलेगी।

बुधवार को अदालत में बचाव पक्ष के वकीलों ने कहा- ED ने कर्नाटक के बेंगलुरु में दर्ज जिस केस के आधार पर शिकायत दर्ज की थी, उसपर कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्टे कर दिया है। आज की सुनवाई में बचाव पक्ष ने कहा, अगर मूल एफआईआर पर किसी कार्रवाई से स्टे मिल गया है तो उससे संबंधित सभी कार्रवाईयां रुक जानी चाहिए। रायपुर की अदालत ने इस तर्क को नहीं माना, सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पूर्व में सामने आए ऐसे मामलों में संलिप्त अफसरों को जमानत न देने पर जोर दिया है। यहां भी यही हुआ और समीर विश्नोई को जमानत नहीं मिली।

छत्तीसगढ़ सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा-IAS अधिकारी समीर विश्नोई को निलंबित कर दिया था। प्रवर्तन निदेशालय-ED ने विश्नोई के यहां छापा मारकर 47 लाख रुपए कैश और दो करोड़ रुपए कीमत के गहने बरामद किए थे। उसके बाद विश्नोई को गिरफ्तार कर लिया गया था।

2016 बैच के IAS अफसर हैं समीर विश्नोई

2016 बैच के IAS अधिकारी समीर विश्नोई को ED ने 13 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। न्यायालय में उन्हें पहले आठ दिन और बाद में 6 दिन के लिए ED को रिमांड पर दिया था। यह रिमांड 27 अक्टूबर को पूरी हो रही थी। तब तक सरकार ने विश्नोई को कोई एक्शन नहीं लिया। इस बीच 19 अक्टूबर को एक आदेश जारी कर छत्तीसगढ़ इंफोटेक प्रमोशन सोसाइटी-चिप्स में रितेश अग्रवाल को अस्थायी तौर पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी नियुक्त कर दिया गया।

कोयला परिवहन में अवैध वसूली में भूमिका

ED ने अदालत को जो बताया था उसके मुताबिक 15 जुलाई 2020 को खनिज साधन विभाग के तत्कालीन संचालक समीर विश्नोई ने एक अधिसूचना जारी की। इस अधिसूचना ने किसी भी तरह के खनिज के परिवहन की अनुमति के लिए चल रही ऑनलाइन व्यवस्था को खत्म कर दिया।

10 अगस्त 2020 को जारी एक और अधिसूचना से खनिज परिवहन अनुमति के लिए केवल मैन्युअल पद्धति को अनिवार्य कर दिया गया। ED का कहना है, इस अधिसूचना के जरिये राज्य में पारदर्शी ऑनलाइन प्रक्रिया को खत्म कर दिया। उसके बाद खनिज शाखा से परमिट लेना अनिवार्य हो गया। इस व्यवस्था ने भ्रष्टाचार बढ़ाया। इसकी वजह से अवैध वसूली का एक बड़ा नेटवर्क खड़ा हो गया।

‘भ्रष्टाचार का पेंडोरा बॉक्स’

समीर विश्नोई को प्रवर्तन निदेशालय-ED ने कोयला कारोबारियों से मनी लॉन्ड्रिंग और आय से अधिक संपत्ति के आरोपों में गिरफ्तार किया है। इस गिरफ्तारी की भूमिका 2020 में खुद विश्नोई के हस्ताक्षर से जारी एक अधिसूचना से रखी गई। ED ने अदालत में पेश अपने दस्तावेजों में उस अधिसूचना को ‘भ्रष्टाचार का पेंडोरा बॉक्स’ बताया। कहा गया है, इस अधिसूचना ने ही खनिज परिवहन में अवैध वसूली का रास्ता खोला।

अदालत में ED की कहानी भी 15 जुलाई 2020 को जारी एक अधिसूचना से शुरू होती है। इसे खनिज संसाधन विभाग के तत्कालीन संचालक समीर विश्नोई ने जारी किया था। इस अधिसूचना ने किसी भी तरह के खनिज के परिवहन की अनुमति के लिए चल रही ऑनलाइन व्यवस्था को खत्म कर दिया।

16 महीनों में 500 करोड़

ED ने न्यायालय को बताया था कि, पिछले छापे के बाद मिले जिन दस्तावेजों को आयकर विभाग ने प्रवर्तन निदेशालय से साझा किया है उसमें अवैध उगाही के तथ्य हैं। उनमें कहा गया है कि 16 महीनों में ही कोयला परिवहन से 500 करोड़ रुपए की वसूली हुई। यह रकम बांटी गई।

एक डायरी में भी विश्नोई का नाम

जून 2022 में पड़े आयकर विभाग के छापों में एक डायरी मिली थी। उसमें कई जगह समीर विश्नोई को रकम देने का जिक्र है। एक पेज पर मार्च 2022 में समीर विश्नोई को 50 लाख रुपया देने की बात लिखी है। विश्नोई के घर से भी हाथ से लिखे कई ऐसे कागज मिले हैं, जिसमें रुपयों के लेन-देन का ब्यौरा दर्ज है।

पत्नी बोली थी मेरे पति बीमार हैं

IAS समीर की पत्नी ने ईडी के अधिकारियों पर धमकियां देने और मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने के आरोप लगाए हैं। प्रीति ने ही बताया है कि समीर समीर विश्नोई लिवर सिरोसिस, माइग्रेन और बीपी से ग्रसित हैं उन्हें दवाइयां चाहिए होती हैं , मगर उन्हें दवाइयां उपलब्ध नहीं करवाई गई और उन्हें परेशान किया गया।

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