
हरेन्द्र बघेल रायपुर : प्रदेश के खाद्य-औषधि प्रशासन विभाग के अफसरों को प्रमोशन के लिए थोड़ा और इंतजार करना पड़ सकता है। विभाग में अंदरूनी तौर पर बिना वरिष्ठता सूची के ही प्रमोशन की कवायद पर बड़ा बवाल है। प्रमोशन उसे ही मिल सकता है जिस अफसर का नाम विभाग की सालाना वरिष्ठता सूची में हो। एक कोर्ट केस की वजह से विभाग के पास वरिष्ठता सूची ही नहीं है, इसके बाद भी प्रमोशन की कवायद की जा रही थी।
इस कवायद से उपजे विवाद पर विभाग के सचिव आर प्रसन्ना ने स्थिति को स्पष्ट किया है। उन्होंने कहा कि विभाग में किसी भी प्रमोशन के लिए वरिष्ठता सूची का होना अनिवार्य है। बिना वरिष्ठता सूची के प्रमोशन हो ही नहीं सकता। अब माना जा रहा है कि नए सिरे से सूची जारी किए जाने के बाद ही विभाग के खाद्य सुरक्षा अधिकारियों का प्रमोशन हो पाएगा।
पूर्व में खबर सामने आई थी कि कुछ चहेतों को प्रमोशन देने के चक्कर में डिपार्टमेंट नियमों की अनदेखी कर रहा है। कई तथ्य विभाग के सचिव से भी छिपाए जाने की बात सामने आई है। दरअसल बीते 16 दिसंबर काे खाद्य-औषधि प्रशासन विभाग की बैठक हुई। विभाग के अफसरों ने इस बैठक पर सवाल उठाया है। शिकायकर्ताओं ने जानकारी दी है कि जब पहले से ही वरिष्ठता सूची का मामला अदालत में है ऐसे में ये बैठक वैधानिक नहीं है। सूची को लेकर शिकायत करने वाले पक्ष को भी बैठक किए जाने की की कोई लिखित जानकारी नहीं दी गई।
नियंत्रक ने कहा था सूची नहीं है
बीते 13 दिसंबर को रायपुर के सर्किट हाउस में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की एक बैठक खुद सचिव IAS आर प्रसन्ना ने ली थी। इस बैठक में प्रमोशन के बारे में पूछे जाने पर विभाग के कंट्रोलर केडी कुंजाम ने कहा था कि कुछ कर्मचारियों की नियुक्ति से जुड़ा प्रकरण न्यायालय में होने की वजह से सूची पर रोक लगा दी गई थी। मंत्रालयीन सूत्रों ने बताया कि इसके ठीक तीन दिन बाद DPC की बैठक हो गई, जिसमें प्रमोशन का एजेंडा तय किया जा रहा था। जोकि बिना सूची के संभव नहीं।
विभागीय कर्मचारियों को सूची की जानकारी नहीं
कुछ विभागीय कर्मचारियों का आरोप है कि सूची के बिना ही प्रमोशन करने का प्रयास हो रहा है क्योंकि किसी सूची के बारे में उनको ही जानकारी नहीं है, जबकि सूची से पूरे विभाग को अवगत कराया जाता है । साल 2021 की सूची नियमों के मुताबिक 31 दिसंबर 2021 तक ही वैलिड होती है। प्रकरण कोर्ट में भी दाखिल है। काेई नई सूची विभाग ने जारी नहीं की है, ऐसे में अफसरों की मनमानी विभाग में काम कर रहे कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ साबित हो रहा है।