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राजीव गांधी फाउंडेशन और चैरिटेबल ट्रस्ट का FCRA लाइसेंस हुआ कैंसिल

एफसीआरए (FCRA) लाइसेंस के तहत स्थानीय संस्थाएं और एनजीओ विदेशी संस्थाओं, व्यक्तियों से अनुदान (Grant) ले सकती हैं.

गृह मंत्रालय ने राजीव गांधी फाउंडेशन और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट का एफसीआरए (FCRA) लाइसेंस रद्द कर दिया है. आरोप है कि राजीव गांधी फाउंडेशन (Rajiv Gandhi Foundation) ने फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट का उलंघन किया. जांच में पता चला है कि नियमों को ताक पर रखकर फाउंडेशन ने पड़ोसी देश चीन से फंड लिया गया. गृह मंत्रालय इस मामले की जांच लंबे समय से कर रहा था. जांच में राजीव गांधी फाउंडेशन के गलत पाए जाने पर गृह मंत्रालय के विदेश विभाग ने यह कार्रवाई की है.

एफसीआरए (FCRA) लाइसेंस के तहत स्थानीय संस्थाएं और एनजीओ विदेशी संस्थाओं, व्यक्तियों से अनुदान ले सकती हैं, लेकिन अनुदान लिए जाने की पूरी जानकारी केंद्र सरकार को दी जाती है. इससे यह पता लगाया जा सके कि जो अनुदान लिया गया है वह किस संस्था से किस कार्य के लिए लिया गया है. इसका इस्तेमाल देश हित में है और देश विरोधी गतिविधि में किया जाएगा.

1991 में हुआ था गठन 

बता दें कि, इस फाउंडेशन में सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, राहुल गांधी के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पी चितंबरम सदस्य हैं. 1991 के इस संस्था का गठन किया गया था. राजीव गांधी फाउंडेशन में वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए 2020 से इंटर मिनिस्ट्रियल कमेटी गठित की गई थी. इसमें ईडी के सीनियर अधिकारी भी थे. दो दिन पहले ही कमेटी ने जांच रिपोर्ट सबमिट की थी.

‘छह महीने के लिए अपडेट किया गया था लाइसेंस’

1991 में स्थापित इस फाउंडेशन ने 2009 तक स्वास्थ्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, महिलाओं और बच्चों, विकलांगता सहायता सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम किया. 2010 में, फाउंडेशन ने आगे शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला लिया और इसके लिए वेबसाइट बनाई. फाउंडेशन के एक करीबी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि फाउंडेशन का एफसीआरए लाइसेंस 2020 से तीन से छह महीने की छोटी अवधि के लिए अपडेट किया गया था.

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