ग्रामीण क्षेत्र मुख्यमार्ग शहर से जुड़ने तरस रहे है, जिससे ग्रामीण वैकल्पिक मार्ग में चलने को है मजबूर… गगोरीताड़ा के ग्रामीण आज भी कीचड़ भरे रस्ते से चलने को हैं मजबूर…
ग्रामीण क्षेत्र मुख्यमार्ग शहर से जुड़ने तरस रहे है, जिससे ग्रामीण वैकल्पिक मार्ग में चलने को है मजबूर…
गगोरीताड़ा के ग्रामीण आज भी कीचड़ भरे रस्ते से चलने को हैं मजबूर…
बलौदाबाजार – छत्तीसगढ़ में अब हर गाँव, कस्बा शहरों से जुड़ गए हैं, ऐसे में अब भी कई ग्रामीण क्षेत्र मुख्यमार्ग शहर से जुड़ने तरस रहे है, जिससे मजबूर हो ग्रामीण वैकल्पिक मार्ग में चलने को मजबूर है।
दरसल हम बात कर रहें है ग्राम पंचायत टेढ़ीभदरा के आश्रित ग्राम गगोरीटांडां की। जहाँ के ग्रामीण आज भी कीचड़ भरे रास्ते में चलने को मजबूर है। अब तक इन ग्रामीणों को मुख्यमार्ग नहीं मिल सका है, जिससे ग्रामीणों को आवागमन करने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मुख्यमार्ग नहीं होने के कारण सिंचाई विभाग के बनाए वैकल्पिक मार्ग पर आवागमन कर रहे हैं। यह वैकल्पिक मार्ग जो गगोरीटांडां सहित कई गाँवो को जोड़ते हुए सीधा बोइरडीह बांध पहुँचता है। इन्ही मार्ग में यहां के निवासी आवागमन करते है। लेकिन बारिश शुरू होते ही यह मार्ग कीचड़ से भर जाता है, और ग्रामीणों का आना-जाना दूभर हो जाता है।
ग्रामीणों की माने तो मुख्यमार्ग की मांग को लेकर हर राजनीतिक पार्टियों से लेकर सरकार और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा चुके है। बावजूद किसी ने इस गांव की ओर ध्यान नहीं दिया, जिसके कारण इन ग्रामीणों को पक्की सड़क अब तक नहीं मिल पाई है। ग्रामीणों ने बताया कि इस मार्ग के लिए उन्होंने जमीनी स्तर पर लड़ाई लड़ी, रोड पर उतरे और रोड जाम किए, पूर्वव्रती सरकार से गुहार भी लगाई गई। साल 2011 में इस सड़क के लिए शासन ने कार्रवाई का आश्वासन दिया था। आनन-फानन मुख्यमार्ग निकाला और शासकीय रिकॉर्ड में मुख्यमार्ग अंकित कर दिया। लेकिन यह मार्ग केवल कागजों में ही रह गया, और अब तक इन ग्रामीणों को मुख्यमार्ग नहीं मिल सका। आखिरकार इन ग्रामीणों का मुख्यमार्ग कहा गुम हो गया जो सोचनीय है।
अब काँग्रेस की सरकार आने के बाद इन ग्रामीणों में उम्मीद की नई किरण जगी है। 2019 में सरपंच सुशील भारती ने क्षेत्रीय विधायक चंद्रदेव राय को इस विषय में पत्र लिखा था। विधायक ने मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना में इस ग्राम को शामिल करने मुख्यमंत्री से अनुशंसा भी की थी। ऐसे में अब देखने वाली बात होगी की इन ग्रामीणों को आवागमन के लिए मार्ग मिल पायेगा या..नही?






