आखिर शिक्षक दिवस पर क्यों नही होता सावित्री बाई फुले का ज़िक्र- संतोष सोनवानी

छत्तीसगढ़ के सभी प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में सावित्री बाई फुले की फोटो चित्र लगाने एवं उनके व्यक्तित्व का संक्षिप्त विवरण पाठ्यक्रम में शामिल करने का आदेश स्वागत योग्य- संतोष सोनवानी
बिलाईगढ़-24/09/2022- आखिर क्या कारण है जो देश की प्रथम महिला शिक्षिका को भुला दिया गया,क्यों शिक्षक दिवस पर मां सावित्री बाई फुले का ज़िक्र नही होता।
सभी प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में सावित्री बाई फुले की फोटो चित्र लगाने एवं उनके व्यक्तित्व का संक्षिप्त विवरण पाठ्यक्रम में शामिल करने माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी घोषणा स्वागत योग्य है।
जनता कांग्रेस पार्टी,छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष श्री संतोष सोनवानी ने सावित्री बाई फुले का नाम लेकर बताया हिन्दू धर्म,समाज व्यवस्था और परंपरा में स्त्रियों,शुद्रों और वंचितों के लिए तय स्थान को आधुनिक भारत मे पहली बार जिस महिला ने संगठित रूप से चुनौती दी उनका नाम सावित्री बाई फुले है।
जिस समय देश की बमुश्किल 4.5 प्रतिशत जनता ही साक्षर हुआ करती थी और लड़कियों को 9-10 साल की उम्र में विवाह करके चल संपत्ति की तरह एक घर से दूसरे घर भेज दिया जाता था। जब लड़कियां खासकर पिछड़ी और दलित, शूद्र का पढ़ना लिखना,भारतीय संस्कारों के विरुद्ध माना जाता था। उस वक्त भयानक कुपोषण और बाल विवाह इत्यादि के कारण महिलाओं की औसत उम्र 30-35 वर्ष ही हुआ करती थी। ऐसे वक्त में गाली, धमकी खाते हुये,मलमूत्र गोबर थूक बर्दाश्त करते हुए पूरी जिंदगी लड़कियों की शिक्षा और मजबूती में लगा देना कितनी दूरदर्शी और मजबूत इरादों वाली बात रही होगी। पूरा इतिहास पलट जाइये,सावित्री बाई फुले से बेहतर उदाहरण नही मिलेगा। एक शिक्षित व्यक्ति हूँ,अनुसूचित जाति से हूँ यह मुझसे भला और कौन समझ सकता है।