छत्तीसगढ़

एक ऐसा सरकारी स्कूल जहां हर शनिवार को दादी और नानी आकर सुना रहीं कहानियां

छत्तीसगढ़ सरकार ने शनिवार को सीजी बोर्ड के स्कूलों में नो बैग डे लागू किया है। इसमें प्राइमरी और मिडिल स्कूल के बच्चे हर शनिवार को स्कूल में योग, व्यायाम, खेलकूद और दूसरी एक्टिविटी करेंगे।

इसी क्रम में देवपुरी स्थित प्राथमिक शाला में दादी की कहानी के नाम से एक प्रयोग किया जा रहा है। इसमें बच्चों की दादी-नानी आ रही हैं और बच्चों को कहानी सुना रही हैं। इसके जरिए वे नैतिक शिक्षा का बोध बच्चों को करा रही हैं। बच्चों के ग्रैंड पैरेंट्स को बुलाने वाला यह अपनी तरह का पहला सरकारी स्कूल है।

देवपुरी स्कूल में 216 बच्चे हैं। इसमें शासन के आदेशानुसार बच्चों को एक्टिविटी कराई जाती है, लेकिन हेडमास्टर विशाखा तोपखानेवाले ने अपने स्कूल की अन्य शिक्षकों से चर्चा के बाद दादी की कहानी की शुरूआत की। यहां ऐसे काफी बच्चे हैं, जो गांव से आकर पढ़ रहे हैं, क्योंकि उनके पापा आसपास के मार्केट में काम करते हैं।

ऐसे बच्चे अपने दादा-दादी या नाना-नानी से दूर हैं। ग्रैंड पैरेंट्स अपने बच्चों को जो भी नैतिक शिक्षा वाली कहानी सुनाते हैं, उसका असर जीवनभर रहता है। इस कांसेप्ट को समझने के बाद स्कूल के शिक्षकों ने ये पहल शुरू की। हर शनिवार को दो दादी स्कूल में आती हैं और कहानी सुनाती हैं। वे छत्तीसगढ़ी और हिंदी में कहानी सुना रही हैं।

कहानी सुनाने के बाद इससे क्या सीखा, वो भी पूछती हैं। अपने बीच दादियों को देखकर सारे बच्चे उन्हें दादी कहकर संबोधित करते हैं। ये दादियां-नानियां2 छत्तीसगढ़ की लोक कथाएं, राम-कृष्ण भगवान की कहानी, श्रवण कुमार की कहानी, एकलव्य की कहानी, प्रहलाद की कहानी के अलावा पंचतंत्र की कहानियां भी सुनाती हैं। शिक्षकों का कहना है कि इस कांसेप्ट का असर बच्चों में दिख रहा है। वे कहानी सुनने के लिए शनिवार की प्रतीक्षा करते हैं।

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