
बिलासपुर : केंद्र सरकार का बेहद अहम जल जीवन मिशन छत्तीसगढ़ में घिसट रहा है, क्योंकि दिल्ली ने तीन साल में प्रदेश को दिए जाने वाले कुल फंड में से 700 करोड़ (7 अरब) रुपए रोक दिए हैं। इसका सीधा असर शहरों और गांवों में दिए जाने वाले नल कनेक्शनों पर पड़ा है। इस मिशन के तहत प्रदेश में तकरीबन 45 लाख नल कनेक्शन लगाए जाने हैं।
लेकिन केवल 8 अरब रुपए मिलने का असर ये हुआ है कि अब तक केवल 8 लाख कनेक्शन (करीब 18 प्रतिशत) ही लगाए जा सके हैं। जबकि अफसरों का दावा है कि पूरा फंड मिलता तो यह काम 50 फीसदी से अधिक हो सकता था। फंड रोके जाने का असर यह भी हुआ है कि कई जगह नल कनेक्शन लग गए, लेकिन वह स्त्रोत से नहीं जोड़े गए यानी पानी नहीं आ रहा है।
प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत नल कनेक्शन का काम कहीं 10 तो कहीं 20 से 30% ही हो सका है। हालांकि जितने नल लगे हैं, उनमें से भी किसी जिले में ज्यादा तो किसी में कम काम हुआ है। विभागीय रिकॉर्ड के अनुसार अब तक प्रदेश में धमतरी में सबसे अधिक 51% और गौरेला पेंड्रा मरवाही में सबसे कम 4% ही काम हो सका है। गांवों में जहां कनेक्शन हो चुका है, वहां अधिकांश में अभी पेयजल की सप्लाई शुरू नहीं हो सकी है। अर्थात घरों में नल लग गए, पाइपलाइन भी बिछ गई लेकिन एक बूंद पानी नहीं मिल रहा है।
जानकारों के मुताबिक जल जीवन मिशन में ज्यादा बड़ी बाधा काम में देरी है। केंद्र सरकार सालाना बजट आवंटित करती है लेकिन वहां का नियम यह हे कि जब तक राज्य से काम पूरा होने का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं भेजा जाएगा, तब तक दिल्ली से पैसे जारी नहीं होते।
समस्या यह है कि उपयोगिता प्रमाण पत्र में देरी के कारण अधिकांश प्रमुख जिलों में ठेकेदारों का दस से बीस करोड़ का भुगतान अटका है। इस वजह से नल कनेक्शन देने की रफ्तार राज्य में धीमी है। इधर, पीएचई के इंजीनियर इन चीफ टीजी कोसरिया का कहना है कि केंद्र सरकार से फंड मिल रहा है।
बस्तर संभाग में बेहतर काम
बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग और सरगुजा संभाग की अपेक्षा बस्तर संभाग में जल जीवन मिशन के तहत बेहतर काम हुआ है। हालांकि जिलों के हिसाब से धमतरी में 51% काम हुआ लेकिन बस्तर के सभी जिलों में यह औसत 30 से लेकर 35 प्रतिशत तक है।