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जांजगीर  – याददाश्त क्षमता बढ़ाने में योग एवं ध्यान का अभ्यास अत्यंत कारगर : डॉ पटेल

जांजगीर  – याददाश्त क्षमता बढ़ाने में योग एवं ध्यान का अभ्यास अत्यंत कारगर : डॉ पटेल

 

जांजगीर : शासकीय ठाकुर छेदीलाल बैरिस्टर अग्रणी महाविद्यालय जांजगीर में प्राचार्य डॉ अम्बिकाप्रसाद वर्मा के संरक्षण एवं मार्गदर्शन में कैरियर काउंसिलिंग का आयोजन किया गया।

 

विधि विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता शासकीय महाविद्यालय बरपाली के राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी एवं शासकीय महाविद्यालय बाँकी मोंगरा के हिंदी विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक, योगाचार्य एवं यूथ मोटिवेटर डॉ शिवदयाल पटेल रहे। डॉ पटेल ने कहा कि किसी भी परीक्षा में सफलता के लिए लक्ष्य निर्धारण महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लक्ष्य निर्धारण के पश्चात योजनाबद्ध तरीके से तैयारी, योजना के क्रियान्वयन में ईमानदारी के साथ निष्ठा एवं लगन से मेहनत के साथ-साथ विद्यार्थी की याददाश्त क्षमता का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है। याददाश्त क्षमता को बढ़ाने के लिए नियमित रूप से प्रातः योग एवं प्राणायाम अत्यंत कारगर सिद्ध हो सकता है।

डॉ पटेल ने स्वामी विवेकानंद की याददाश्त क्षमता का उदाहरण देते हुए बताया कि योग और ध्यान के अभ्यास से उनकी याददाश्त क्षमता फ़ोटो स्कैनर मेमोरी की तरह हो गयी थी। एक बार पुस्तक को पढ़ लेने के बाद वह उन्हें पूरी तरह से याद हो जाती थी। डॉ पटेल ने नेट, सेट, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षा में सफलता के गुर बताये। विधि विभाग के अध्यक्ष एवं सहायक प्राध्यापक लॉ प्रो आभा सिन्हा ने कहा कि विद्यार्थियों के द्वारा लॉ विषय का चयन ही अपने आपमें जीवन में सफलता का प्रथम पायदान है। इसका दायरा अत्यंत व्यापक है, सिविल जज, सहायक प्राध्यापक लॉ, न्यायालयों में स्वतंत्र रूप से वकालत अथवा किसी उद्योग एवं कंपनी के वकील के रूप में व्यवसाय कर सकते हैं। सबसे बड़ी बात वकालत का पेशा सम्मान का पेशा है। लोग सम्मान से वकील साहब कहकर बुलाते हैं। डॉ अभय सिन्हा सहायक प्राध्यापक विधि ने कहा कि मौलिक अधिकारों की रक्षा, गरीबों की सेवा, जरूरतमंद लोगों की मदद,देश की सेवा, भ्रष्टाचार एवं अन्याय के विरोध करने में एक विधि के जानकार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। देश की आजादी में वकीलों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। कार्यक्रम के सफल आयोजन में वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ के पी कुर्रे, डॉ आर के पांडेय, डॉ मंजुलता कश्यप, प्रो राकेश चंद्रा, डॉ डी एस मरावी, छात्र- छात्राएं कृष्ण कुमार चंद्रा, विवेक सिंह सिदार, मकरध्वज, उजाला सूर्यवंशी मधुलता साहू, अनित कुमार, अजय भारद्वाज, अश्वनी कुमार, भुवनेश्वरी यादव, आकाश कुमार श्रीवास, मेघा शुक्ला, श्राद्ध मिश्रा, तारेश्वर प्रसाद, मनमोहन, साविन्द कुमार, ताराचंद भरद्वाज, योगेंद्र, तिलेश्वर,रविचरण, कविता बंजारे, धनेश्वरी पटेल, कुसुमलता, निशा, अस्मिता, उमा कश्यप, वृहस्पति चौहान, सीमा चौहान, भुवनेश्वरी कश्यप एवं महाविद्यालय स्टॉफ की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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