तीर्थो में स्नान दर्शन के बाद किसी बुराई को छोड़कर एक अच्छाई अवश्य ग्रहण करें एवं उस अच्छाई का आजीवन पालन करें ——-भाई श्यामसुंदर पटेल तीर्थ में जाने पर श्रेष्ठ कार्य ही करें— भाई श्यामसुंदर पटेल

तीर्थो में स्नान दर्शन के बाद किसी बुराई को छोड़कर एक अच्छाई अवश्य ग्रहण करें एवं उस अच्छाई का आजीवन पालन करें ——-भाई श्यामसुंदर पटेल
तीर्थ में जाने पर श्रेष्ठ कार्य ही करें— भाई श्यामसुंदर पटेल
बिलाईगढ़ ——-विकासखंड बिलाईगढ़ के ग्राम रिकोटार में दिनांक 10 1.2025 शुक्रवार से 12 -1- 2025 रविवार तक तीन दिवसीय वार्षिक राम-राम भजन, संत समागम एवं राम कथा प्रवचन का आयोजन किया गया। रामनामी हिंदू भजन समिति के अध्यक्ष ग्राम खुरसूला निवासी शिवराम जायसवाल एवं सह संचालक ग्राम रिकोटारर निवासी जयराम जायसवाल ने बताये कि इस तरह के आयोजन का यह 36 वां वर्ष है।
इस आयोजन में महामंडलेश्वर रामसुंदरदासजी पूर्व अध्यक्ष गौ सेवा आयोग छ ग शासन, श्री श्री 108 श्रीराम गोपालदास मारुति धाम देवघाट, पूज्यवर श्यामसुंदर दासजी हनुमान कुटी राहौद एवं माननीय निरंजन सेठ शिवरीनारायण विशिष्ट सम्मानित आमंत्रित अतिथिगण थे। राम राम भजन,संत समागम एवं राम कथा प्रवचन के तृतीय दिवस दिनांक 12 -1- 2025रविवार को ट्रांस महानदी क्षेत्र के प्रमुख रामायणी भाई श्यामसुंदर पटेल निवासी ग्राम बांसउरकुली ने भी उपस्थित होकर कथा सुनाया। उन्होंने श्रीरामचरितमानस के अंतर्गत—— को कहि सकइ प्रयाग प्रभाऊ। कलुष पुंज कुंजर मृगराऊ।। अस तीरथपति देखि सुहावा ।सुखसागर रघुवर सुखु पावा।। पंक्तियों की कथा सुनाते हुए कहा कि जब हम किसी तीर्थ में जाएं तो किसी जानकार व्यक्ति से उस तीर्थ की महिमा श्रवण करें। तीर्थ में विराजित देवी देवताओं का दर्शन पूजन करें ।तीर्थ के नियमों का श्रद्धापूर्वक पालन करें। तीर्थ स्थान में शुद्धता एवं पवित्रता का ख्याल रखते हुये वहां गंदगी न फैलाएं। तीर्थ दर्शन बाद मन में रहने वाले किसी एक बुराई का परित्याग अवश्य करें एवं एक अच्छे गुण को ग्रहण कर उसका आजीवन पालन करें। ऐसा करने से तीर्थ जाने पर जो समय खर्चा आदि लगता है उसका सही लाभ घर परिवार व समाज को प्राप्त हो जाता है। प्रयागराज को तीर्थो का राजा हमारे शास्त्रों में बताया गया है। प्रातः स्मरणीय पूज्यपाद गोस्वामी तुलसीदासजी प्रयागराज की महिमा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि जहां गंगा जमुना सरस्वती का पवित्र संगम है ।जिस तीर्थराज प्रयाग को देखकर कर आनंद और सुख के सिंधु भगवान श्रीरामचंद्रजी भी सुख की अनुभूति करते हैं ऐसे तीर्थराज की महिमा का वर्णन भला कौन कर सकता है। तीर्थराज प्रयाग में जाकर स्नान करने दर्शन करने से कलयुग के समस्त पापों का समन हो जाता है ।जिनके पास धन है व जिनके शरीर स्वस्थ हैं, ऐसे लोगों को जीवन में एक दो बार तीर्थराज प्रयाग का अवश्य दर्शन करना चाहिए। यदि संभव हो तो इस वर्ष लगने वाले कुंभ में जाकर वहां होने वाले सत्संग, कथा कीर्तन, साधु महात्माओं का दर्शन एवं संगम स्नान कर मनुष्य जीवन का लाभ अवश्य उठा लेना चाहिए, क्योंकि मनुष्य का तन क्षणभंगुर है। इसका कोई ठिकाना नहीं है कि यह कब समाप्त हो जाए।
आगे मानस प्रवक्ता भाई श्यामसुंदर पटेल ने और कहा कि तीर्थ में किया हुआ कोई भी कार्य अक्षय होता है इसलिए तीर्थ में जाकरके मनुष्य को श्रेष्ठ कार्य ही करना चाहिए। पुण्य कर्म करने पर तीर्थ में उसका फल कई गुना बढ़ जाता है। इसी तरह तीर्थ में जाकर पाप कर्म करने पर उसका परिणाम भी कई गुना बढ़कर कष्टकारी हो जाता है ।इसलिए तीर्थ में बुरे काम के बारे में कभी सोचना भी नहीं चाहिए। तीर्थ में जाने पर छोटे-छोटे धंधा कर अपने परिवार का पालन पोषण करने वाले रिक्शा चालक, साग भाजी या अन्य प्रकार के धंधा करने वाले लोगों से ज्यादा मोल भाव करके अपने समय का नुकसान नहीं करना चाहिए। ऐसे लोगों को एक दो रूपया अधिक दे देना ज्यादा पुण्य का काम होता है। तीर्थ में जाने पर अंधे लूले लंगड़े आदि को यथाशक्ति दान भी करना चाहिए।