फोटो है दो दोनो लगा देंगे नगर भटगांव मे चल रहे शिव महापुराण कथा के पहले दिन पुराण महात्म्य की कथा सुनाई पूर्व जन्म मे अच्छे कर्म किए होंगे तो इस जन्म मे प्रतिफल के रूप मे हमे आनंद की प्राप्ति होगी :- पंडित प्रेमशंकर चौबे

फोटो है दो दोनो लगा देंगे
नगर भटगांव मे चल रहे शिव महापुराण कथा के पहले दिन पुराण महात्म्य की कथा सुनाई
पूर्व जन्म मे अच्छे कर्म किए होंगे तो इस जन्म मे प्रतिफल के रूप मे हमे आनंद की प्राप्ति होगी :- पंडित प्रेमशंकर चौबे
भटगांव :- नगर भटगांव के स्टेट बैंक के सामने चल रहे पायल मेडिकल स्टोर व प्रशांत मेडिकल स्टोर के संचालक द्वारा संगीतमय शिव महापुराण कथा के पहले दिन पंडित प्रेमशंकर चौबे ने पुराण महात्म्य की कथा सुनाते हुए कहा कि व्यक्ति का पूरा जीवन यह जानने मे लग जाता कि उसका जन्म क्यो हुआ, हकीकत यह है कि हमारा जन्म अपने पूर्व जन्म के प्रतिफल को पाने और भगवान का भजन करने के लिए हुआ है। यदि हमने पूर्व जन्म मे अच्छे कर्म किए होंगे तो इस जन्म मे प्रतिफल के रूप मे हमे आनंद की प्राप्ति होगी।
हमे हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि विपरित परिस्थिति मे भगवान शिव ही तुम्हारे साथ रहेंगे। भगवान शिव को जल तो चढ़ाना लेकिन छल कपट से मत चढ़ाना। मन मे कपट रखकर जल मत चढ़ाना। निष्कपट भाव से, निर्मल मन से निर्मल ह्रदय से शिव जी को जल चढ़ाएं। साथ ही हमे जीवन मे जो कुछ मिला है वह हमारे कर्मो से मिला है। आगे भी जो कुछ मिलेगा वह अपने कर्मों से ही मिलेगा। पूजन की वस्तुएं विसर्जित करने के लिए जरूरी नही है कि नदी मे ही डाला जाए। कही भी एक गड्ढा करके उसमे भी यह वस्तुएं डाली जा सकती है। यदि हर वस्तु को हम पवित्र नदी मे ही ले जाकर विसर्जित करेंगे तो नदिया अपवित्र हो जाएंगी। शिव मंदिर मे जाकर वहा बिखरे पड़े सामान को हटाकर साफ सफाई करने से हमारे जीवन की गंदगी साफ हो जाती है तो जब मंदिर जाना शुरू करते है तो हजार सवाल होते है लोग पूछते है मंदिर क्यो जा रहे हो, क्या हो गया है, ऐसा करने से क्या होगा लेकिन यदि आप माल मे अथवा टाकीज मे जाओ तो कही कोई सवाल नही पूछेगा। जहां पंडित प्रेमशंकर चौबे ने आगे कहा कि जहां भगवान प्रतिष्ठित रूप से बैठते है वह मंदिर कहलाता है और जहां शिवजी बैठते है वहा शिवालय कहलाता है। हर शिव मंदिर मे शिव जी की प्रतिमा के सामने नंदी बैठा होता है वहा पर एक सूत्र बंधा होता है। जो कि यह साबित करता है कि हर दिन शिवजी नंदी पर सवार होकर इस मंदिर से गुजर कर जाते है। जो व्यक्ति बड़ा हो जाता है तो उसकी रोटी और हंसी कम हो जाती है। वह व्यक्ति भोजन मे कम ही रोटी खाता है और सामान्य रूप से बैठकर हंसी मजाक करने मे उसे अपने पद प्रतिष्ठा की हानि महसूस होती है। जब आप बड़े पद पर पहुंचकर भगवान के मंदिर मे सेवा करते हो तो हजारो लोगो को प्रेरणा देते हो। वही उन्होने कहा कि जिस घर मे ब्राम्हण देवता पूजन कराने आते है वहा पर घर की नारी को पूजन की थाली पहले से लगा कर रखना चाहिए।
हमे खुद बैठने का आसन भी खुद बिछाना चाहिए। अब तो यह हालात हो गई है जिस तरह से घर के माता पिता की सेवा का काम घर की लक्ष्मी का है। उसी तरह से पूजा की थाली लगाने का काम भी घर की लक्ष्मी का है। जो आज सत्ता और वैभव का सुख भोग रहा है उन्होने निश्चित तौर पर भगवान शिव भक्ति की होगी। तभी उन्हे यह सुख मिल रहा है। शिव भक्ति का हमेशा फल मिलता है, कैलाश पर्वत मे द्वार नही है, बाकी जगह द्वार होता है। 24 घंटो मे कभी भी भगवान के मंत्र का जाप करो कोई समस्या नही है। बहुत से लोग आफिस मे काम करते हुए, गाड़ी चलाते हुए भी कथा श्रवण करते है। वही संगीतमय शिव महापुराण कथा मे मुख्य यजमान बुध्देश्वर साहू और सावित्री साहू है। तो वही श्रोता गण हजारों की संख्या मे पहुंचकर कर शिव महापुराण की कथा सुन रहे है।