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रजनीकांत साहू एमएससी (शिक्षक – गणित) ने गणित दिवस पर प्रस्तुत की स्वरचित कविता

रजनीकांत साहू एमएससी (शिक्षक – गणित) ने गणित दिवस पर प्रस्तुत की स्वरचित कविता

“पहला प्यार मेरी माँ, दूसरा ये गणित”

जिद्दी मैं शुरू से ही, शुरू से मैं ढीट ।

पहला प्यार मेरी माँ, दूसरा ये गणित ।।

इसके लिए कई चीजों से मैं हो गया वंचित ।

भले छूटे मेरे अपने भी पर छूटे ना मेरा गणित ।।

लोग डरते है हो जाते है इससे तो पीड़ित ।

पर मेरे लिए तो है मेरा प्यारा सा गणित ।।

आर्यभट्ट, रामानुजन, बौधायन, जैसो से सीखा मैंने रीत ।

तभी तो अच्छा लगता है मुझको ये गणित ।।

गुरु अच्छा ना मिले तो, हम हो जाते हैं भयभीत ।

मिल जाए तो सरल लगने लगता है गणित ।।

बार-बार हारोगे पर होना ना कभी क्रोधित ।

धीरे-धीरे तुम्हें अच्छा लगने लगेगा ये गणित ।।

तुम मेहनत करना कभी ना होना यूं ही पराजित ।

सीख जाओगे तुम भी ये प्यारा सा गणित ।।

कुछ चीज होते पास में पर मिलते नहीं सुनिश्चित ।

हां जान जाओगे यह है समांतर रेखा वाला जीवन गणित ।।

तुम्हें ले जाएगा अनंत तक जैसे पिया हो अमृत ।

कभी शून्य बनाकर मोह माया को दूर करता ये गणित ।।

जब ऊपर उठकर सोचोगे, तो होगा तुम्हें प्रतीत ।

सब शून्य है, मैं शून्य हूं और जान जाओगे असली गणित ।।

भाव मेरा विचार मेरा करता रहता है सिंचित ।

क्योंकि पहला प्यार मेरी मां, दूसरा ये गणित ।।

 

रजनीकांत साहू

एमएससी (शिक्षक गणित)

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