
हरेन्द्र बघेल रायपुर। छत्तीसगढ़ में अब अपनी मांगों को लेकर कर्मचारी उग्र आंदोलन की आरे बढ़ रहे है। प्रदेश के स्कूलों में खाना बनाने वाली 87 हजार रसोइयों ने भी मोर्चा खोल दिया है। इन सभी रसोइयों ने रायपुर मे आवाज उठाने महासमुंद से यात्रा की है और रायपुर पहुंची है।
मध्यान्न भोजन रसोइया महासंघ की अध्यक्ष नीलू ओगरे ने कहा कि प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना (मिड-डे मील योजना) अंतर्गत छत्तीसगढ़ प्रदेश 33 जिलों के 146 विकासखंडों में संचालित 45610 शालाओं में अध्ययनरत 29,93,170 के लिए 87026 रसोइया भोजन बनाने नियोजित किया गया है। रसोइया एवं रसोइया सह सहायिका का मानदेय वर्तमान में 1500 प्रतिमाह है। प्रत्येक वित्तीय वर्ष में केवल 10 माह के लिए ही देय होता है।
यह मानदेय अत्यंत कम है, जिससे रसोइया एवं रसोइया सह सहायिका को आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है। कई बार इसमें बढ़ोतरी करने की मांग को लेकर शासन-प्रशासन तक पहुंचे है लेकिन अबतक केवल आश्वासन ही मिला है। सरकार ने जनघोषणा-पत्र में भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ-साथ स्कूल के अन्य कर्मचारियों को कलेक्टर दर के अनुसार वेतन दिए का वादा किया था।
3 मार्च को होगा बड़ा प्रदर्शन
प्रदेश के समस्त रसोइया 28 फ़रवरी को अपने-अपने जिले से पदयात्रा करते हुए रायपुर पहुंच रहे है। प्रदेश के चारों ओर से आज आने वाले रसोइया आज मंदिरहसौद में रात्रि विश्राम कर कल 2 मार्च को धरना स्थल के लिए रवाना होंगे। 3 मार्च 2023 को धरना स्थल तुता नवा रायपुर में धरना प्रदर्शन एवं विधानसभा घेराव के लिए निकलेगी तथा प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा जावेगा।