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नगर भटगांव मे सुहागिन महिलाओं ने वट सावित्री की पूजा अर्चना कर पति की दीर्घायु के लिए किये कामना…

नगर भटगांव मे सुहागिन महिलाओं ने वट सावित्री की पूजा अर्चना कर पति की दीर्घायु के लिए किये कामना…

भटगांव :- नगर भटगांव मे सुहागिन महिलाओं ने वट सावित्री की पूजा अर्चना कर पति की लंबी उम्र और सुख शांति की कामना किये। वही नव विवाहिताओ मे भी वट सावित्री पूजा को लेकर काफी उत्साह देखा गया। आपको बता दे कि वट वृक्ष को मौसमी फल अर्पित करने व कच्चे सूत से बांधने और बियने हथ पंखा से ठंडक पहुंचाने के बाद महिलाओं ने आस्था के साथ इसकी परिक्रमा की और पूजा के बाद वट सावित्री की कथा भी सुनी। वही व्रत रखने वाली महिला नवीन वैष्णव ने हमारे संवाददाता को बताया कि इस व्रत को सबसे पहले सावित्री ने अपने पति सत्यवान की प्राण को यमराज से वापस मांगकर लाई थी, तब से इस व्रत को सुहागिन महिलाएं करती आ रही है। वट सावित्री व्रत मे महिलाएं 108 बार बरगद की परिक्रमा करती है। और वट सावित्री पूजन बेहद ही फलदायक होता है। वही व्रत रखने वाली महिला तुलसी रघु ने बताया कि इस दिन महिलाएं सुबह से ही स्नान कर लेती है और सुहाग से जुड़ा हर श्रृंगार करती है, और जब तक पानी नही पीती है जब तक वह पूजा नही कर लेती है वट सावित्री के दिन महिलाएं त्यौहार की तरह अपने अपने घरो मे तरह तरह के पकवान भी बनाती है। और वट वृक्ष पूजन मे साल भर मे जो 12 महिने होते है उसके अनुसार सभी वस्तुएं भी 12 ही चढ़ाई जाती है। कच्चे धागे का जनेऊ बनाकर उसको अपने गले मे धारण करती है। वही नगर के शनि देव मंदिर के पास बरगद के पेड़ के नीचे पहुंची महिलाएं पूरे दिन पूजा अर्चना करती है।

जहां व्रत रखने वाली महिला दीपमाला वैष्णव ने बताया कि वट सावित्री कथा के श्रवण मात्र से महिलाओं के पति पर आने वाली बुरी बला टल जाती है। शास्त्रों मे पीपल के पेड़ की तरह बरगद के पेड़ का भी खास महत्व है। और पुराणों मे भी ऐसा माना गया है कि वटवृक्ष मे ब्रम्हा, विष्णु और शिव का वास होता है इस पेड़ के नीचे बैठकर पूजा और कथा करने से सभी इच्छाएं पूरी होती है। साथ ही यह पेड़ लंबे समय तक बना रहता है, इसलिए इसे अक्षयवट भी कहा जाता है।

वही सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र व सुख समृद्धि के लिए कामना करती है।

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