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बड़ा तालाब सहित भटगांव के अधिकांश तालाब के पानी ख़राब, साफ सफाई के अभाव मे नगरवासी ख़राब पानी मे नहाने के लिए है मजबूर, तालाब का अस्तित्व खतरे में, शासन-प्रशासन एवं जनप्रतिनिधि मौन,

बड़ा तालाब सहित भटगांव के अधिकांश तालाब के पानी ख़राब, साफ सफाई के अभाव मे नगरवासी ख़राब पानी मे नहाने के लिए है मजबूर,

तालाब का अस्तित्व खतरे में, शासन-प्रशासन एवं जनप्रतिनिधि मौन,

बलौदाबाजार – जिले के नगर पंचायत भटगांव का बड़ा तालाब जिसे जमीदारी शासन काल में खुदवाया गया था। जिसका बड़ा ही धार्मिक महत्व है. इनसे लोगों की जनभावनाएं जुड़ी हुई है, लगभग 25 -30 एकड़ में फैला हुआ है ,साफ़ सफाई के अभाव में अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर हैं. लेकिन इसका अस्तित्व बचाने के लिए न किसी का हाथ आगे आ रहा है न किसी की जुबान से आवाज निकल रही है. इसकी फरियाद की गुंज शासन प्रशासन और जिम्मेदार लोगों को भी सुनाई नहीं दे रही है, नगर में निस्तारी के लिए तालाब तो बहुत है. अधिकांश तालाबों से सिंचाई की जाती है और गर्मी के मौसम आते आते सुख जाती है, नगर में लगभग बीस हजार जनसंख्या होने के कारण इसी तालाब से नगर वासियों का निस्तारी होता है.

नगर में धार्मिक आयोजन करने के बाद देवी देवताओं का इसी तालाब में विसर्जन किया जाता है, इसी कारण लोगों का तालाब से जनभावनाएं जुड़ी हुई है. जमीदारी शासनकाल में खुदवाया हुआ तालाब साफ सफाई के अभाव में दिन प्रतिदिन तालाब का पानी गंदा होते जा रहा हैै, शासन प्रशासन एवं जनप्रतिनिधि द्वारा तालाब का साफ़ सफाई को लेकर नज़र अंदाज़ किया जा रहा है.

अगर समय रहते तालाब का साफ़ सफाई नहीं किया गया तो निश्चित ही एक दिन नगरवासियों को किसी गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ सकता है. उल्लेखनीय है कि यह तालाब निजी होने के कारण शासन प्रशासन द्वारा साफ़ सफाई को लेकर गंभीर नहीं है.

तालाब के किनारे बने कुछ समाजिक भवन में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिसका कुडा करकट भी इस तालाब में डाल दिया जाता है जिसके कारण यहां का पानी और भी गंदा हो जा रहा है। वहीं तालाब से लगे डबरी जो केवल मल मूत्र एवं कूड़ा दान का केंद्र बना है जिसके आसपास हॉटल एवं मकान से गन्दगी तालाब मे जाता है जो डबरी से होते हुए तालाब मे पहुँचता है. यह भी तालाब का पानी ख़राब होने का कारण है तथा तालाब मे मछली पालन मे कई प्रकार के अपशिष्ट पदार्थो का उपयोग किया जाता है जिससे अधिकांश तालाबों का यहीं हॉल है. सेठ तालाब, अड़बंधा, बड़ा तालाब इत्यादि तालाबों का यही दुर्दशा है. कई तालाबों के किनारे बोर पंप लगे हुए है जिससे निस्तारी हो जा रहा है वरना और हाहाकार मच जाता.

आखिर तालाबों के ख़राब होने के जिम्मेदार कौन है? अब देखना लाजमी होगा कि खबर के प्रकाशन के बाद शासन – प्रशासन, जनप्रतिनिधिगण, विभिन्न संगठन एवं आम नागरिक क्या प्रतिक्रिया देते हैं ये तो आने वाला समय ही बताएगा.

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