
हमर सियान मन के चिन्हा और संस्कृति ला बचावा गा संगवारी,
हमर परंपरा हमर छत्तीसगढ़ के संस्कृति हमर पहचान हरय़ .छत्तीसगढ़ म लोक व्यवहार म लोकाचार के बड़ महत्व हे.
छत्तीसगढ़ में ‘देवारी’ और ‘दियारी’ किसान के धान (अन्न) का घर में आने का लोक उत्सव है. पशुधन के सम्मान का रूप है. दीपावली पर्व का लोकसंस्करण है. यह लोकपर्व उजास का प्रतीक है. ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ के महत बोध से सम्पन्न. हमारे देश के विविध क्षेत्रों में दीपावली के उत्सव को अनेकविध रूपों में मनाया जाता है. छत्तीसगढ़ के मैदान में दीपावली को ‘देवारी’ कहा जाता है और छत्तीसगढ़ के दण्डकारण्य क्षेत्र बस्तर में ‘दियारी’. ‘देवारी’ से आशय है लगातार तीन दिन तक चलने वाला उत्सव. प्रथम दिन सुरहुत्ती, द्वितीय दिन गोबरधन पूजा, तृतीय दिन मातर. जबकि बस्तर में तीन दिन तक चलने वाली ‘दियारी’ में प्रथम दिन लछमी जगार, द्वितीय दिन गोड़धन पूजा और तृतीय दिन गोठान पूजा के साथ बासी तिहार मनाया जाता है!
छत्तीसगढ़ के मैदान में दीपावली का शुभारंभ ‘सुआ गीत’ के साथ होता है-
‘तरी हरि नाना मोर ननरी नाना