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सुपोषण रैली, प्रतियोगिता, प्रदर्शनी से होम साइंस द्वारा पोषण जागरूकता का आयोजन*

*सुपोषण रैली, प्रतियोगिता, प्रदर्शनी से होम साइंस द्वारा पोषण जागरूकता का आयोजन*

*(8 से 23 अप्रैल 2025 तक ‘भोजन हमें जोड़ता है’ थीम पर आयोजित किया जा रहा है पोषण पखवाड़ा)*

कोरबा :शासकीय इं.वि. स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोरबा गृह विज्ञान विभाग अंतर्गत पोषण एवं आहार द्वारा संस्था प्राचार्य डॉ.शिखा शर्मा ने संरक्षण एवं निर्देशन तथा सहायक प्राध्यापक होम साइंस डिपार्टमेंट अजय कुमार पटेल के मार्गदर्शन में पोषण पखवाड़ा 8 से 23 अप्रैल 2025 के तहत ‘भोजन हमें जोड़ता है’ थीम पर विविध जागरूकता कार्यक्रम खाद्य प्रदर्शनी, पोषण पिरामिड, सुपोषण रैली, न्यूट्रीशन एक्सप्रेस, क्वीज, समूह चर्चा, सेमिनार इत्यादि आयोजित किए जा रहे हैं। साथ ही छात्र-छात्राओं ने सक्षम आंगनबाड़ी केंद्र पोंड़ीबहार क्रमांक 3, कोरबा का शैक्षणिक भ्रमण किया। इस दौरान छात्रों ने बच्चों, गर्भवती महिला, धात्री माता, किशोरी बालिकाओं को शासन द्वारा दी जाने वाली योजनाओं का लाभ, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच, कॉउंसलिंग, दवा वितरण, वजन जांच, रेडी तो ईट फ़ूड और नॉन फॉर्मल एडुकेशन के बारे में विस्तृत जानकारी ली।

फ़ूड एंड न्यूट्रिशन डिपार्टमेंट से सहायक प्राध्यापक अजय कुमार पटेल ने बताया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के अनुसार आज भी छोटे बच्चों में कुपोषण की व्यापकता देखने को मिल रही है। 5 वर्ष से कम आयु के 35.5% बच्चे स्टंटिंग (बौनापन) के शिकार हैं। 19.3% बच्चे वेस्टिंग (दुर्बलता) के शिकार हैं। 32.1% बच्चे अल्प-वजन के शिकार हैं। 3% बच्चे अति-वजन के शिकार हैं। 15-49 आयु वर्ग की महिलाओं में कुपोषण का स्तर 18.7% है। कुपोषण की स्थिति से निजात पाने व एक स्वस्थ और मजबूत जीवन की नींव के लिए पोषण के पांच आधार सूत्र : सुनहरे 1000 दिन, एनीमिया प्रबंधन, डायरिया रोकथाम, स्वच्छता एवं साफ-सफाई, पौष्टिक आहार को अपनाना बहुत जरूरी है। शिशु के जन्‍म के बाद के पहले हजार दिन बच्चे के शारीरिक विकास और मस्तिष्क की वृद्धि के लिए सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं। मां का दूध बच्चों के लिए अमृत के समान है। इस अवधि में, बच्चे का शरीर और मस्तिष्क असाधारण गति से विकसित होते हैं। यहीं से उसकी सीखने की क्षमता, रोग-प्रतिरोधक क्षमता और संपूर्ण स्वास्थ्य की नींव रखी जाती है। बच्चों की डाइट में अनाज, सब्जियां, फल, अंडा, डेयरी, मछली या मीट खिलाएं।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संगीता खेस, सहायिका श्यामा प्रजापति ने बताया कि पोषण पखवाड़ा का यह सातवां एडिशन है और इसका उद्देश्‍य बच्‍चों और महिलाओं को स्‍वस्‍थ एवं पौष्टिक खाना देना होगा। स्वास्थ्य विभाग से आरएचओ रुक्मणी निराला, मितानिन रजनी पांडेय ने बताया कि बच्‍चों की जिंदगी के पहले 1000 दिनों में पोषण देने पर फोकस किया जाता है, क्‍योंकि यह बच्‍चों के विकास के लिए अहम समय होता है। पोषण पखवाड़ा को सफल बनाने में होम साइंस विभाग से मुस्कान साहू, सुरभि, निकिता सिंह राजपूत, दिशा राजपूत, सत्यनारायण राठौर, चवन साहू, विकास सोनवानी इत्यादि छात्रों का सराहनीय योगदान है।

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