ऐतिहासिक 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ के तृतीय एवं चतुर्थ दिवस मे विभिन्न संस्कार, पूर्णाहुति एवं विदाई के साथ संपन्न

ऐतिहासिक 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ के तृतीय एवं चतुर्थ दिवस मे विभिन्न संस्कार संपन्न
सायंकालीन दीप महायज्ञ का आयोजन, 3100 दीपक प्रज्वलित
दीपको से सुसज्जित स्वास्तिक, ओम एवं मशाल प्रतिक चिन्ह बना आकर्षक का केंद्र
पूर्णाहुति एवं विदाई के साथ सम्पन्न हुआ कार्यक्रम
भटगांव/बिलाईगढ़ – नगर पंचायत पवनी के स्कूल मैदान मे 7 से 10 जनवरी 4 दिनों तक 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन किया गया जहां श्री गायत्री प्रज्ञा पीठ पवनी के नेतृत्व मे एवं नगरवासियो के सहयोग से यह ऐतिहासिक कार्यक्रम सम्पन्न हुआ
7 जनवरी को भव्य दिव्य कलश यात्रा के साथ कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ जो 8,9 एवं 10 जनवरी तक 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ 2-3 पालियो मे संपन्न हुआ जहाँ विभिन्न संस्कार जैसे पुंसवन संस्कार, विद्या आरम्भ, मुंडन, दीक्षा एवं यज्ञॉपवित इत्यादि संस्कार निःशुल्क कराये गए.
वहीँ प्रतिदिन ऋषि पुत्रो द्वारा सायंकालीन 5 से 8 बजे तक जीवन के विभिन्न विषयो पर कथावाचन एवं उद्बोधन किया गया.
वहीँ यज्ञ के तृतीय व चतुर्थ दिवस विभिन्न संस्कार जैसे पुंसवन( गर्भवस्था मे होनेवाले संस्कार) नामकरण ,विद्यारम्भ, मुंडन आदि संस्कार किया गया। शांतिकुंज से आये युग ऋषियों ने विभिन्न संस्कारों के बारे मे विस्तृत रूप से श्रद्धालुओं को समझाया । यज्ञ कि महिमा बताई एवं यज्ञ कार्य सम्पन्न कराया।अपने वक्तव्य मे उन्होंने गर्भाधान से लेकर मृत्यु पर्यन्त सोलह संस्कारो को क्यों करना चाहिये इसे समझाया और बताया कि श्रद्धा, आत्मसंयम और पुरुषार्थ का समन्वय ही हमें जीवन के उच्चतर लक्ष्यों की ओर ले जाता है।श्रद्धा हमें विश्वास और धैर्य देती है।
संयम हमें सही दिशा में केंद्रित रहने की शक्ति प्रदान करता है और पुरुषार्थ हमारे प्रयासों को सफलीभूत बनाता है । इन गुणों को अपनाकर, जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और शांति प्राप्त की जा सकती है।
“श्रद्धा और आत्मविश्वास को सहेजना” वास्तव में जीवन की चुनौतियों का सामना करने और उन्हें अवसर में बदलने का मंत्र है।
श्रद्धा जीवन में सकारात्मकता और आध्यात्मिकता का आधार है। यह न केवल हमें आत्मबल प्रदान करती है, बल्कि हमारे विचारों और कर्मों को भी पवित्र और उच्च बनाती है।श्रद्धा एक ऐसा गुण है जो हमें हर चुनौती का सामना धैर्य और समर्पण के साथ करने की शक्ति देता है। यह हमारे भीतर विश्वास, आस्था और दिव्यता को जागृत करता है, जिससे हम अपने जीवन को एक उच्च उद्देश्य की ओर प्रेरित कर सकते हैं।इसे सहेजने का अर्थ है, अपने मन और आत्मा को नकारात्मकता से दूर रखते हुए, सत्कर्मों और सकारात्मक सोच के साथ जीवन जीना। श्रद्धा हमें यह सिखाती है कि सच्चे प्रयास और विश्वास से ही जीवन का वास्तविक उद्देश्य प्राप्त किया जा सकता है। सायंकालीन दीप महायज्ञ मे 3100 दीपक प्रज्वलित किया गया जहाँ दीप से कई मनमोहक कला का प्रदर्शन किया गया. आज पूरा नगर दिपो से जगमगाता हुआ दिखाई दिया जैसे दीपावली पर्व मनाया जा रहा हो. यह दीपोत्सव पर्व नगर के लिए बहुत ही आकर्षक रहा.
कार्यक्रम के अंतिम दिन दीक्षा एवं यज्ञॉपवित संस्कार सम्पन्न किया गया और पूर्णाहुति के साथ शांतिकुंज प्रतिनिधि ऋषि पुत्रो की विदाई देकर कार्यक्रम का समापन किया गया. 4 दिनों तक आगंतुक सैकड़ो हजारों गायत्री परिजनो एवं श्रद्धालुओं के लिए भगवती भोजनालय मे भोजन प्रसाद इत्यादि की व्यवस्था किया गया था.
इस ऐतिहासिक 4 दिनों के कार्यक्रम मे नगर पंचायत पवनी सहित जिले के कोने कोने से गायत्री परिजन एवं श्रद्धालूगण हजारों की संख्या मे शामिल होकर गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मन्त्र सहित अन्य 33 कोटि देवी देवताओं को आहुति प्रदान करके नगर सहित पुरे देशवासियो की सुख समृद्धि एवं विश्व शांति के लिए शुभकामनायें किये. कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए नगर व आसपास के विभिन्न संगठन, आर एस एस, स्काउट गाइड, एन एस एस एवं स्कूल के बच्चो, महिला संगठन, युवा संगठन, पुलिस विभाग, ब्लॉक् व जिला के गायत्री परिजनों, भोजनालय मे 4 दिन तक सेवा दिए भवरपुर के सभी श्रद्धावान लोगो,दिनेश टेंट हॉउस, पत्रकार साथियो इत्यादि का भरपूर सहयोग रहा.