15 अगस्त राष्ट्रीय पर्व पर एक मिडिल परिवार के बच्चे की एक जीवन गाथा एवं देशभक्ति छत्तीसगढ़ी बोली मे कविता… – देवेश की कलम से.
छत्तीसगढ़ : 15 अगस्त और 26 जनवरी आते ही कई बच्चे स्कूलों में स्काउट गाइड और कुछ कार्यक्रम में भाग लेते थे बात ये है की उस दिन सफेद जूते को पहनना होता था पर सबके पास सफेद जूते हो यह मुमकिन नहीं था अगर घर में चार पांच बच्चे रहते तो और भी नामुमकिन की हर साल सबके लिए नई नई जूते और ड्रेस लिया जा सके फिर क्या होता था सबसे बड़े लड़का या लड़की रहते उसी के लिए एक जोड़ी जूता खरीद लेते या यू कहे तो शुरु से ही सिर्फ सबसे बड़े वाले के लिए ड्रेस ,जूता ,पुस्तक ,या स्वेटर नया लेते थे ओ भी बस एक , फिर हर साल एक के बाद एक दूसरे फिर तीसरे फिर चौथे और वह पांचवे तक भी पहुंच जाता था उसे उसी सीजन या समय के लिए बस पहनते फिर वापस बड़ी पेटी या आलमारी में साफ करके डाल दी जाती थी ताकि अगले साल फिर अगले वाले के लिए काम आ जाए ऐसा कई साल तक चलता और उससे खुश भी रहते क्योंकि इतनी गरीबी रहती थी की कई घर के बच्चों को तो ये भी नसीब नही होती थी की किसी दूसरे का मांग कर पहनने का मौका मिल जाए और 15 अगस्त या 26जनवरी मना सके ।
उस जमाने की मैं एक छोटी सी कहानी लेकर आज 15 अगस्त के मौके पर आपके सामने लेकर आया हु वही लगभग वह बालक का नाम था नमन वह पांचवी कक्षा में था शायद उसको चौथी कक्षा से ही स्काउट गाइड में भाग लेने का मन था जब पांचवी में पहुंचा तो गुरुजी दो दिन पहले सब बच्चों को बोले की कौन कौन स्काउट में भाग लेना चाहता है तो उसमे सर्त ये था कि सफेद जूते और मोजा रहना चाहिए तो नमन फट से हाथ उठाया 60 बच्चो में वही कुछ 20 बच्चे के पास जूता रहा होगा आप सोच सकते हो कितनी गरीबी रही होगी फिर सबको दो दिन पहले तक खाकी का ड्रेस, पूलिश वाला टोपी, टाई और लाल कलर का बेल्ट, बांट दिया गया गुरुजी बोले खाकी का पेंट अपना वाला और बाकी सबको को जूता मोजा ,खाकी कपड़ा सबको अच्छे से धोकर प्रेस करके 15 अगस्त के दिन पहनकर आना है.
नमन घर पहुंचा सबसे पहले अपने मां को कहता हुआ ओ सफेद वाला जूता कहा है जिसे पिछले साल दीदी और भैया लोग स्काउट में पहनते थे मां बोली क्यों? नमन बोलता है मां मैं भी इस बार स्काउट में भाग लिया हु और 15 अगस्त को पहनूंगा, पेटी से खोज कर मां निकालकर देती है और मोजा भी रहता है पर जूते और मोजे का हालत ऐसा रहता है की धूल और रंग उधड़ा हुआ गंदा टाइप , नमन तुरंत उसे तलाब ले जाकर साफ करके आता है और रास्ते में सबको बताता है कि मैं स्काउट गाइड में भाग लिया हु और 15 अगस्त में कदम ताल करते सलामी दूंगा ,बहुत ही खुश शायद उसे सैनिक बनने की सोच आ गई हो ।
15 अगस्त को सुबह जल्दी उठकर सब अपना कपड़े और खाकी पेंट के साथ जूते को ले आता है तैयार होने के बाद मोजा को पहनता है तो नीचे खिसक जाता है फिर उसमे रबड़ लगा कर ऊपर तक ठीक से फिट करता है और फिर पहन लेता है पर ये क्या ये तो बड़ा हो गया पीछे तरफ थोड़ा ज्यादा जगह बच जा रहा था फिर नमन ने अंगूठे के पास एक पेपर लगा दिया ताकि जूता टाइट हो जाए फिर टाई,बेल्ट ,टोपी अच्छे से लगाकर चला गया ।
स्काउट में भाग लेने रास्ते भर अपने आपको ऐसा महसूस करा रहा था जैसे पुलिस या फौजी हो सीना तानकर चलते हुए स्कूल की प्रांगण में पहुंच गया फिर कुछ समय बाद शुरू हुआ कदम ताल और सलामी, बैंड बाजा की धुन में चलने लगी नमन दो चार कदम आगे बढ़ाया ही होगा को कि जोर से कदम रखने के कारण जूता खुल गए और फिर वैसे ही आधा पहने हुए जूते के साथ सलामी देते हुए कदम ताल करने लगा और जब रुके अपनी जगह पर तो मोजा भी नीचे खिसक गया था उदास मन से जूता और मोजा दोनो को ठीक करने लगा फिर बार बार जूता मोजा ठीक करने पर सब उसे देखने लगे उसे अच्छा नहीं लग रहा था फिर नगर भ्रमण के लिए निकल गए पूरे 1घंटे नगर भ्रमण करते तक 15 से 20 बार तो बस नमन जूता और मोजा ठीक करने में परेशान हो गया बाकी लोगो को जूते और मोजे देखकर अपने आप में नर्वस महसूस हुआ और घर पहुंचते पहुंचते जितने उमंग के साथ 15 अगस्त मनाने गया था उतनी उदासी के साथ घर आया और सोचने लगा कि काश मेरे पास भी अन्य लोगो की तरह मेरे ही साइज के जूते और मोजे होते तो ऐसे बार बार ठीक करने की जरूरत नहीं पड़ती मां को ये बात पता चली मां ने कहा तुम्हारे लिए ही साल नया जूता मोजा लेने लायक हम नही है अब ये सब स्काउट गाइड वगरह में भाग मत लेना बस पढ़ाई में ध्यान देना नमन समझ गया और ठीक है बोला पर नमन को धीरे से इसकी भी समझ आ गई कि सैनिक, देश की सेवा करने के लिए कितना दर्द सहते है और तकलीफ झेलते है कुछ दिन बाद 26 जनवरी गणतंत्र दिवस आया और वही उमंग के साथ स्काउट गाइड में सीना ताने कदम ताल करते जूता मोजा खिसकाते अपना नमन तिरंगे को सलामी देने वापस उसी स्कूल मैदान में पहुंच गया अब ओ इस बार जान गया था की सैनिक जब दर्द ,कमी ,और शारीरिक पीड़ा को सहते हुए देश के सीमाओं पर सीना ताने डटे रहते है तो ,सलामी देने के लिए थोड़ा बहुत जूता मोजा खिसकाना पड़े और लोगों की बेइज्जती सहना पड़े तो कोई बात नही क्योंकि तिरंगा अपना देश अपना लोग अपने तो सलामी क्या पड़ोसी देगा और पूरे भीड़ में इस बार उसी का आवाज गूंजने लगा ,,,,,, स्काउट सलामी दे……
जय हिंद जय भारत ,भारत माता की जय ,,,,,,,,,,
,,,,,,,,,,,,,,,, देवेश की कलम से,,,,,,,,,,,,,