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श्रावण मास रविवार, हरेली अमावस्या, छत्तीसगढ़ के पहले त्यौहार पर विशेष… हरेली पर किसान नागर, गैंती, कुदाली, फावड़ा समेत कृषि के काम आने वाले सभी तरह के औजारों की साफ-सफाई कर किए पूजा-अर्चना… किसानों का लोक पर्व ‘हरेली’ पर कृषि उपकरण व गाय, बैल की पूजा अर्चना कर खिलाये लोंदी…

श्रावण मास रविवार, हरेली अमावस्या, छत्तीसगढ़ के पहले त्यौहार पर विशेष…

हरेली पर किसान नागर, गैंती, कुदाली, फावड़ा समेत कृषि के काम आने वाले सभी तरह के औजारों की साफ-सफाई कर किए पूजा-अर्चना…

किसानों का लोक पर्व ‘हरेली’ पर कृषि उपकरण व गाय, बैल की पूजा अर्चना कर खिलाये लोंदी…

दीपक वर्मा / प्रज्ञा 24 न्यूज़ / 08 अगस्त 2021

बलौदाबाजार – आज रविवार हरेली पर किसान नागर, गैंती, कुदाली, फावड़ा समेत कृषि के काम आने वाले सभी तरह के औजारों की साफ-सफाई कर उन्हें एक स्थान पर रखकर और इसकी पूजा-अर्चना किए । इस अवसर पर सभी घरों में गुड़ का चीला बनाया । हरेली के दिन ज्यादातर लोग अपने कुल देवता और ग्राम देवता की पूजा करते हैं। लिहाजा, ग्रामीण क्षेत्रों में सुबह से शाम तक उत्सव जैसी धूम रही। कोरोना कॉल के कारण थोड़ा रौनक कम नजर आई लेकिन घर परिवार मे यह त्यौहार धूम धाम से मनाते नजर आये।

इस दिन बैल, भैंस और गाय को बीमारी से बचाने के लिए लोंदी खिलाने की परंपरा है। लिहाजा, गाँव में यादव समाज के लोग सुबह से ही सभी घरों में जाकर गाय, बैल और भैंसों को लोंदी खिलाये । इस दिन यादव समाज के लोगों को भी स्वेच्छा से दाल, चावल, सब्जी और अन्य उपहार दिए गए ।

लगी नारियल की बाजी 

हरेली में गाँव व शहरों में नारियल फेंक प्रतियोगिता होती है। सुबह पूजा-अर्चना के बाद गाँव के चौक-चौराहों पर युवाओं की टोली जुटेगी और नारियल फेंक प्रतियोगिता का आयोजन हुआ ।

लोकहित के लिए विशेष समस्याओं से बचने के लिए साधना

इसी दिन से प्रदेश में लोकहित की दृष्टि से जिज्ञासु शिष्यों को पीलिया, विष उतारने, नजर से बचाने, महामारी और बाहरी हवा से बचाने समेत कई तरह की समस्याओं से बचाने के लिए तंत्र साधना भी करते है । यह सिलसिला भाद्र शुक्ल पंचमी तक चलेगा।

यादव ,लोहार का महत्व

हरेली के दिन गाँव-गाँव में लोहारों की पूछपरख बढ़ जाती है। इस दिन यादव हर घर के मुख्य द्वार पर नीम की पत्ती लगाकर और लोहार चौखट में कील ठोंककर आशीष दिए । मान्यता है कि ऐसा करने से उस घर में रहने वालों की अनिष्ट से रक्षा होती है। इसके बदले में किसान उन्हे दान स्वरूप स्वेच्छा से दाल, चावल, सब्जी और नगद राशि भी दिए ।

गेड़ी की रहेगी धूम

हरेली में जहाँ किसान कृषि उपकरणों की पूजा कर पकवानों का आनंद लेते हैं, वहीं युवा और बच्चे गेड़ी चढ़ने का मजा लिए । लिहाजा, सुबह से ही घरों में गेड़ी बनाने का काम शुरू हो जाता है । ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो इस दिन 20 से 25 फीट ऊँची गेड़ी बनवाते चढ़ते हैं ।

 

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