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शिवकथा भवरोग की रामबाण औषधि है—परम पूज्य ब्रजनंदन जी महाराज 

शिवकथा भवरोग की रामबाण औषधि है—परम पूज्य ब्रजनंदन जी महाराज 

बिलाईगढ——विकासखंड बिलाईगढ़ के ग्राम टुन्डरी में स्वर्गीय श्रीमती पीलाबाई साहू के स्मृति में छत्रसाल साहू संयुक्त महासचिव छ ग कांग्रेस कमेटी, अमित- कमला साहू, गजेंद्र- पिंकी साहू एवं उनके परिवार द्वारा मुक्ति शिव महापुराण कथा का आयोजन किया गया है। जबलपुर मध्यप्रदेश से आए हुए परम पूज्य ब्रजनंदनजी महाराज व्यासासीन होकर भावमयी कथा का रसपान करा रहे हैं। उन्होंने कथा के पंचम दिवस दिनांक 28.8.2024 को कथा सुनाते हुए बोले कि कथा का आज अंतिम दिवस है। कल हवन, भंडारा, ब्राह्मण भोज एवं वार्षिक श्राद्ध होगी। उसके बाद हम लोग चले जाएंगे। 3 सितंबर से महाकाल की नगरी उज्जैन में शिव कथा होगी ।जिसका सीधा प्रसारण आस्था चैनल में शाम के समय होगी। मैं जाते-जाते यह सत्य कह रहा हूं कि यह शिव कथा इस भवरोग की रामबाण औषधि है ।

 

भवरोग के विषय में आद्य शंकराचार्यजी ने कहा है कि हम लोग बार-बार माता के जठर में आते हैं। संसार में जन्म होता है, फिर काल पाकर मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं ।इस बीच में हम लोगों को नाना प्रकार के कष्टों से गुजरना पड़ता है। पुनरपि जननं पुनरपि मरणं, जननी जठरे शयनं। भज गोविंदम् भज गोविंदम मूढमते।। इस तरह अनादि काल से हम लोगों का जीवन प्रवाह चलते आ रहा है ।इन कष्टों से मुक्ति पाने का कलिकाल में सरल उपाय शिव कथा श्रवण है। इसलिए जहां कहीं भी कथा हो, समय निकालकर अवश्य सुनना चाहिए। कथा से जीव की व्यथा मिटती है ।मन को शांति मिलती है। कथा में कही गई सार बातों को अमल में लाने से परिवार देश समाज का भला होता है। भगवान सदाशिव बड़े भोले एवं अवढर दानी हैं ।उन्हें वस्तु नहीं भाव प्रिय है। इसलिए श्रद्धा विश्वासपूर्वक शिव भक्ति करना चाहिए। समस्त विद्या, कलाएं ,गायन, वादन, नृत्य संगीत सभी भगवान शिव की ही देन है। इसलिए उन्हें त्रिभुवन गुरु कहा जाता है। जैसे कि मानस में लिखा है—- तुम त्रिभुवन गुरु वेद बखाना ।आन जीव पामर का जाना।।

कथा व्यास परम पूज्य ब्रजनंदनजी महाराज बैद्यनाथ भगवान की कथा को विस्तार से सुनाते हुए बताए कि लंकाधिपति रावण चाह कर भी भगवान शिव को लंका नहीं ले जा पाए। व्यक्ति कहीं दर्शन तीर्थाटन के लिए जा पाए या न जा पाए लेकिन भारत के झारखंड राज्य में स्थित बैद्यनाथ धाम अवश्य जीवन में एक बार जाना चाहिए। सत्संग भजन कीर्तन कथा श्रवण से ही जीवन में शांति आती है। बाकी सांसारिक पदार्थों से क्षणिक सुख भले ही मिल जाए किन्तु चिंता कभी समाप्त नहीं हो सकती।। इसलिए मानस में लिखा गया है कि– चिंता सांपिनी को नहीं खाया। को जग जाही न ब्यापी माया।। हमारे देश के प्रसिद्ध संत पलटूदासजी ने क्या खूब लिखा है कि चिंता के ज्वाला में सभी जले जा रहे हैं ।इस चिंता रूपी ज्वाला से मुक्त होने का तो एक ही उपाय है कि भगवान के आश्रित होकर उनके नाम का सुमिरन किया जाए ।पलटूदास जी के शब्दों में — चिंता की लगी है आगि,जरै सकल संसार। जरै सकल संसार, जरत नरपति को देखा। बादशाह उमराव जरत हैं ,जरत है शैयद शेखा।। जंगम सेवरा जरै,जरै कनफटा उदासी ।।सुर् नर मुनि सब जरै, जरै जति जोगी सन्यासी।। बचते कोउ न भाग दोपहरे लागी आगी।। दास पलटू बचते कोई संत, जिन लिया नाम आधार। चिंता की लगि है आगि, जरै सकल संसार।। यह शिव कथा चिंता को मिटाकर भवरोग समाप्त करने वाली परम पावन कथा है। जिसमें हम और आप लोग विगत 5 दिनों से अवगाहन करते आ रहे हैं। मैं आशा करता हूं कि विगत 5 दिनों में कही गई बातों में से अपने उपयोगी काम की सार-सार बातों को आप लोग जीवन में अवश्य अपनाओगे और जो अपनाएगा उसके व उसके परिवार का भला होगा।

कथा आयोजक छत्रसाल साहूजी एवं उनके परिवार द्वारा भव्य कथा पंडाल का निर्माण किया गया है। कथा श्रोताओं के लिए भोजन भंडारा का उत्तम व्यवस्था किया गया है।

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