भटगांव के सुहागन महिलाओं ने रखा वट् सावित्री का व्रत, नगर के कई स्थानों मे हुआ विधी विधान से पूजा पाठ,पति के लम्बी आयु के लिए की कामनाये

भटगांव के सुहागन महिलाओं ने रखा वट् सावित्री का व्रत,
नगर के कई स्थानों मे हुआ विधी विधान से पूजा पाठ,पति के लम्बी आयु के लिए की कामनाये
भटगांव : नगर पंचायत भटगांव में वट् सावित्री की पूजा धूमधाम से की गई। नगर के अलग अलग स्थानों में बरगद पेड़ की परिक्रमा कर अखंड सौभाग्यवति का वरदान मांगा।
सावित्री व्रत को सावित्री अमावस्या या वट पूर्णिमा भी कहा जाता है।वट सावित्री के दिन सुहागिनें अपनी पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखती हैं। साथ ही अपने पति की कामयाबी और सुख-समृद्धि के लिए कामना भी करती हैं। वट सावित्री के वृक्ष के साथ सत्यवान और सावित्री की पूजा भी की जाती है।वटसावित्री पूजा को लेकर वटवृक्ष के तले, व्रतधारी सुहागिनें अपने पति के दीर्घायु की कामना करते हैं। इस बार वट सावित्री व्रत पर काफी शुभ योग बन रहा है। वट सावित्री के दिन ही शनि अमावस्या भी है। इसे शनि जयंती भी कहा जाता है। ऐसे में वट सावित्री का महत्व और भी बढ़ जाता है।
भटगांव नगर के सेठ तालाब, अड़बंधा तालाब, बड़े तालाब एवं अन्य तालाब किनारों मे स्थित वट वृक्ष का विधिवत पूजा अर्चना कर अपने पति के लम्बी आयु के लिये शुभकामनायें किया गया, नगर मे इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। अलग अलग क्षेत्रों में सुहागिनों ने 16 श्रृंगार कर इस पर्व की सार्थकता केा सिद्ध किया।
सावित्री व्रत के दिन शुभ मुहूर्त पर वट वृक्ष की पूजा से वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। वट सावित्री का व्रत विवाहित महिलाएं पति की लम्बी आयु के लिए रखती हैं।पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से पति की आयु लम्बी होने के साथ रोगमुक्त जीवन के साथ सुख-समृद्धि की प्राप्ति भी होती है। वट सावित्री के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा करने के साथ व्रत सावित्री की कथा भी सुनती है।
पूजा पाठ के दौरान वट वृक्ष के नीच सावित्री और सत्यवान की मूर्ति को स्थापित करते है। इसके बाद वट वृक्ष में जल अर्पित करके फूल, भीगे चने, गुड़ और मिठाई चढ़ाई जाती है। इसके बाद वट वृक्ष के चारों तरफ रोली बांधते हुए सात बार परिक्रमा करती हैं। हाथ में चने लेकर वट सावित्री की कथा सुनाई या पढ़ जाती हैं।