
जाने तापमान बढ़ने का कारण, तापमान का शरीर पर प्रभाव एवं लू से बचने के उपाय
छत्तीसगढ़ : इन दिनों नवतपा मे छत्तीसगढ़ सहित पुरे भारत के अधिकांश स्थानों पर तापमान 43 से 48 डिग्री पहुंच गया है जहाँ कूलर और ए सी भी फ़ैल हो गये हैं. घर मे रखा पानी भी गर्म हो जा रहा है. गावों मे तालाबों के पानी सूखने के कगार मे हैं. इस वर्ष तापमान मे सबसे अधिक वृद्धि हुई है जहाँ मानव जीवन से लेकर प्राकृतिक प्रभाव एवं अन्य जीव जंतु पर बुरा प्रभाव देखने को मिल रहा है.
तापमान का शरीर पर प्रभाव –
यदि आपका शरीर अत्यधिक गर्म हो रहा है, और आपको उच्च तापमान, आपकी त्वचा पर उभार, मांसपेशियों में ऐंठन, सिरदर्द, चक्कर आना, मतली या कई अन्य लक्षण हैं, तो आपको गर्मी से संबंधित सबसे आम बीमारियों में से एक हो सकता है: घमौरियां, गर्मी ऐंठन, गर्मी से थकावट या हीट स्ट्रोक।
दुर्भाग्य
अल नीनो या प्रदूषण में बड़े बदलाव जैसे कारकों के बिना भी हम वैश्विक तापमान में एक वर्ष से अगले वर्ष तक परिवर्तनशीलता देखते हैं। इस सितंबर के इतने चरम मौसम का एक कारण संभवतः मौसम प्रणाली का भूमि की सतह को गर्म करने के लिए सही जगह पर होना था। जब हमारे पास भूमि क्षेत्रों पर लगातार उच्च दबाव प्रणाली होती है, जैसा कि हाल ही में पश्चिमी यूरोप और ऑस्ट्रेलिया जैसे स्थानों पर देखा गया है, तो हम स्थानीय तापमान में वृद्धि और बेमौसम गर्मी की स्थिति देखते हैं। चूंकि पानी को गर्म करने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है और समुद्र चारों ओर घूमता है, इसलिए जब हमारे पास उच्च दबाव प्रणाली होती है तो हमें समुद्र के तापमान में उतनी त्वरित प्रतिक्रिया नहीं दिखाई देती है। लगातार समुद्री गर्मी के साथ-साथ कई भूमि क्षेत्रों को गर्म करने वाली मौसम प्रणालियों की स्थिति भी वैश्विक-औसत गर्मी में योगदान देती है।
जलवायु परिवर्तन
समग्र +1.7° सेल्सियस वैश्विक तापमान विसंगति में अब तक का सबसे बड़ा योगदानकर्ता मानव-जनित जलवायु परिवर्तन है। कुल मिलाकर, जलवायु पर मानवता का प्रभाव लगभग 1.2 डिग्री सेल्सियस की ग्लोबल वार्मिंग रहा है। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की रिकॉर्ड-उच्च दर का मतलब है कि हमें ग्लोबल वार्मिंग में भी तेजी आने की उम्मीद करनी चाहिए। जबकि मानवता के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कई दशकों में सितंबर के तापमान में देखी गई प्रवृत्ति को स्पष्ट करते हैं, वे वास्तव में पिछले सितंबर (जब ग्रीनहाउस प्रभाव लगभग आज जितना मजबूत था) और सितंबर 2023 से बड़े अंतर को स्पष्ट नहीं करते हैं। इस वर्ष और पिछले वर्ष के बीच अधिकांश अंतर ला नीना से अल नीनो में स्विच करने और सही समय पर सही जगह पर सही मौसम प्रणालियों के कारण आया है। नतीजा: हमें जलवायु कार्रवाई में तेजी लाने की जरूरत है सितंबर 2023 दर्शाता है कि जलवायु परिवर्तन और अन्य कारकों के संयोजन से हम चिंताजनक रूप से उच्च तापमान देख सकते हैं। ये विसंगतियाँ पेरिस समझौते में उल्लिखित 1.5 डिग्री सेल्सियस ग्लोबल वार्मिंग स्तर से ऊपर प्रतीत हो सकती हैं, लेकिन यह दीर्घकालिक ग्लोबल वार्मिंग को निम्न स्तर पर रखने के बारे में है, न कि गर्मी के अलग अलग महीनों के बारे में। लेकिन हम जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को और अधिक स्पष्ट रूप से सामने आते देख रहे हैं। सबसे कमज़ोर लोग सबसे अधिक प्रभाव झेल रहे हैं क्योंकि अमीर देश ग्रीनहाउस गैसों का सबसे बड़ा अनुपात उत्सर्जित कर रहे हैं। अधिक रिकॉर्ड तोड़ने वाले वैश्विक तापमान और विनाशकारी चरम घटनाओं को रोकने के लिए मानवता को नेट ज़ीरो की राह में तेजी लानी चाहिए.
लू से बचने के उपाय :
तेज धूप और नौतपा से तापमान में वृद्धि के कारण नागरिकों को लू लगने की संभावना है, जिससे आम जनजीवन के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। धूप में घर से अनावश्यक नही निकले। यदि जरूरी हो तो सर और चेहरे को कपड़े, टोपी से ढके। साथ में पानी की बोतल अवश्य रखें।
सभी कलेक्टर ने जिला अस्पताल सहित समस्त सामुदायिक, प्राथमिक एवं उप स्वास्थ्य केन्द्रों के संस्था प्रभारियों को लू से बचाव एवं उपचार हेतु पर्याप्त मात्रा में आवश्यक जीवन रक्षक दवाईयां एवं ओ. आर. एस. की उपलब्धता सुनिश्चित कर मरीजों का उपचार करने को कहा है। मैदानी स्वास्थ्य अमलों और मितानिनों के माध्यम से लू लगने के लक्षण के कारण और बचाव के उपायों के संबंध में स्वास्थ्य जागरूकता एवं प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। अगर ओ.आर.एस. न हो तो घर पर ही एक गिलास पानी में एक चम्मच शक्कर व एक चुटकी नमक मिलाकर जीवन रक्षक घोल तैयार किया जा सकता है। गांव में मितानिनों या डिपो होल्डर के पास ओ.आर.एस. और दवाईयां लेकर प्राथमिक उपचार के पश्चात निकट के स्वास्थ्य केन्द्र या चिकित्सक के पास जाकर मरीज को भर्ती कर उपचार कराना चाहिए। लू लगना या हीट-स्ट्रोक, खतरनाक एवं जानलेवा भी हो सकता है।
लू के लक्षण में सिर में भारीपन और दर्द, तेज बुखार के साथ मुंह का सूखना, चक्कर और उल्टी आना, कमजोरी के साथ शरीर में दर्द होना, शरीर का तापमान अधिक होने के बावजूद पसीने का न आना, अधिक प्यास लगना भूख न लगना बेहोश होना शामिल है
लू से बचने के उपाय अंतर्गत धूप में निकलने से पहले सिर व कानों को कपड़े से अच्छी तरह से बांध लें। पानी अधिक मात्रा में पियें। अधिक समय तक धूप में न रहे। गर्मी के दौरान मुलायम सूती कपड़े पहने ताकि हवा और कपड़े पसीने को सोखते रहे। अधिक पसीना आने की स्थिति में ओ.आर.एस. घोल पिये। चक्कर, उल्टी आने पर छायादार स्थान पर विश्राम करें। शीतल पेय जल पिये, फल का रस, लस्सी, मठा आदि का सेवन करें। प्रारंभिक सलाह के लिए 104 आरोग्य सेवा केन्द्र से निःशुल्क परामर्श ले। उल्टी, सर दर्द, तेज बुखार की दशा में निकट के अस्पताल अथवा स्वास्थ्य केन्द्र से जरूरी सलाह ले।
लू लगने पर किया जाने वाला प्रारंभिक उपचार अंतर्गत बुखार से पीड़ित व्यक्ति के सर पर ठंडे पानी की पट्टी लगायें, कच्चे आम का पना, जलजीरा आदि, पीड़ित व्यक्ति को पंखे के नीचे हवा में लेटायें, शरीर पर ठंडे पानी का छिड़काव करते रहें, पीड़ित व्यक्ति को शीघ्र ही किसी नजदीकी चिकित्सा केन्द्र में उपचार हेतु ले जायें, आंगनबाड़ी मितानिन तथा ए.एन.एम. से ओ. आर. एस. की पैकेट के लिए संपर्क करें।
भीषण गर्मी में लू से बचने के लिए पानी पीये भले ही प्यास न लगे, मिर्गी या हृदय, गुर्दे या लीवर से संभावित रोग वाले जो तरल प्रतिबंधित आहार लेते हो या जिनको द्रव्य प्रतिधारण की समस्या है, उनको तरल सेवन बढ़ाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। अपने आप को लू से बचकर (हाइड्रेटेड) रखने के लिए ओआरएस घोल, घर के बने पेय जैसे- लस्सी, नींबू का पानी,छाछ आदि का सेवन करें।