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Pandit Pradeep Mishra Katha: भक्ति, विश्वास एवं अन्न के प्रभाव को लेकर कथा का विस्तार, शिव भक्ति में लीन हो जाओ…वे सुनेंगे जरूर-पंडित प्रदीप मिश्रा

दुर्ग । मशहूर कथावाचक सिहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा इन दिनों छत्तीसगढ़ में हैं. कुरूद में शिवपुराण कथा करने के बाद पंडित प्रदीप मिश्रा दुर्ग के अमलेश्वर में 26 मई से शिवपुराण कथा का वाचन कर रहे . दुर्ग में पंडित प्रदीप मिश्रा का कार्यक्रम चल रहा है भीषण गर्मी को देखते हुए कार्यक्रम स्थल में पानी का इंतजाम किया गया है. साथ ही कई जगहों पर शावर सिस्टम भी लगाए गए है ।

अमालेश्वर में सीहोर वालें पं. प्रदीप रहे कथा के चौथे दिवस समर्पण भक्ति, विश्वास एवं अन्न के प्रभाव को लेकर अपनी कथा को विस्तार दिया। पं. प्रदीप मिश्रा ने शिव तत्व पर तीन समर्पण पत्र भी पड़ा।उन्होंने अपील करते हुए कहा की बहुत से लड़के मिलेंगे जो अपना नाम धर्म बदलकर बहलाएंगे। पैसे दिखाएंगे फिर बेटी उनके चंगुल में फंसी तो सूटकेस में शरीर के टुकड़े मिलेंगे। इसलिए बिटिया सब निर्णय खुद ले, लेकिन विवाह का निर्णय माता-पिता के ऊपर छोड़ दें। कोई भी माता-पिता अपने संतान के लिए अच्छे से अच्छा जीवनसाथी खोजता है। बेटियों का एक गलत निर्णय दो परिवार खराब कर देता है। पं. मिश्रा ने कहा कि जब जीवन मिला है तो परोपकार, पुण्य कर जीवन को संवारना चाहिए। किसी को धोखा नहीं कथा वाचक ने कहा पागल दिख जाए तो देना चाहिए। कि यदि कोई समझ लेना इसने कभी धन, पद, मान के लिय किसी को धोखा दिया है।

शिव भक्ति में लीन हो जाओ, एक न एक दिन भगवान जरूर सुनेगा

जिस घर का बच्चा शिव मंदिर की सीढ़ी चढ़ता है, उस घर का वृद्ध कभी वृद्धाश्रम के सीढ़ी नहीं चढ़ता। अभी कुछ वर्षों के मंदिरों में ताले पूर्व तक शिव लगे होते थे। कोई झांकने नहीं जाता था। सावन में कुछ लोग ही पूजा करते थे। शिव की कितनी बेटी है, कोई नहीं जानता था। प्रत्येक महीने शिव रात्रि कोई नहीं जानता था। कांवर लेकर कोई कोई ही जाता था, पशुपतिनाथ का व्रत कोई नहीं जानता था। पर अब शिव की महिमा देखो, शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। । अब शिव युग आ गया है। घर के बच्चे भी घर से जल लेकर शिव मंदिर जा रहे हैं। जन्म – मृत्यु के प्रपंच से बचना है तो शिव भक्ति में लीन हो जाओ। मोबाइल के माध्यम से किसी से बात करते हैं तो सामने बाला नहीं दिखता लेकिन हम अपनी दिल की बात कह देते हैं, सामने वाला सुन् भी लेता है। उसी तरह शिवालय में एक लोटा जल सेकर चले जाएं, अपनी सम समस्या दिखेंगे नहीं महादेव से कह दें। वे सुनेंगे जरूर, समस्या दूर करेंगे। पं. मिश्रा ने कहा कि जिस देवी देवता से आपका चित्त जुड़ जाए, उनका ध्यान पूरे समर्पण से करें, वे आपकी जरूर सुनेंगे।

ऋषि अंगिरा ने धर्मगुप्त को श्राप दिया कि अगले जन्म में तुम पागल हो जाओगे

कथा वाचक पं. मिश्रा ने चंद्रवंश के राजा के पुत्र धर्मगुप्त एवम ऋषि अंगिरा की कथा का बखान करते हुए कहा कि राजा के पुत्र धर्मगुप्त बहुत ही श्रद्धा भक्ति एवं दान पुण्य करने वाला था, पर एक दिवस वह दिखावा का ढोंग करने वाला धोखेबाज मित्र के घर एक रात्रि विश्राम कर भोजन कर लिया। इससे धर्मगुप्त का मन भी धोखेबाज हो गया और उसने उसकी जान बचाने वाले रिच्छ को ही धोखा देना चाहा। वह रीछ और कोई नहीं ऋषि अंगिरा जो धर्म गुप्त की परीक्षा ले रहे थे। ऋषि अंगिरा ने धर्मगुप्त को श्राप दिया कि अगले जन्म में तुम पागल हो जाओगे। अगले जन्म में पागल हो गया। पं. मिश्रा ने कहा कि जब जीवन मिला है तो परोपकार, पुण्य कर जीवन को संवारना चाहिए। किसी को धोखा नहीं देना चाहिए। कथा वाचक ने कहा कि यदि कोई पागल दिख जाए तो समझ लेना इसने कभी धन, पद, मान के लिय किसी को धोखा दिया है।

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