

वंदे भारत ट्रेन को धुलाई के लिए कोचिंग डिपो तक लाने के लिए रेलवे प्रशासन को काफी मशक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अब तक जितनी भी ट्रेनों के कोच इस डिपो में मरम्मत और धुलाई के लिए आते हैं उन सभी को डीजल इंजन लगाकर कोचिंग यार्ड में लाया जाता है लेकिन 20 साल में यह पहला ऐसा मौका आया है जब किसी ट्रेन की रैक को बिना ओएचई तार के करंट के बगैर वाशिंग यार्ड में नहीं ले जाया जा सकता है। वह भी इसलिए क्योंकि वंदे भारत ट्रेन के इंजन की डिजाइन कुछ इस तरह से की गई है कि उसके सामने किसी और इंजन लगाने की गुंजाइश ही नहीं है।
22 साल पुराने बिलासपुर कोचिंग डिपो का इस तरह का रेनोवेशन पहली बार हो रहा है। चार पिट लाइन में अब तक ट्रेनों की धुलाई होती रही है। यहां तक ट्रेनों के रैक को लाइनें के लिए डीजल इंजन का उपयोग होता रहा है लेकिन जैसे ही वंदे भारत ट्रेन चलाने की हलचल हुई तो बिलासपुर डिपो में आनन-फानन में तैयारी शुरू कर दी गई।

चूंकि वंदे भारत ट्रेन की रैक बिना इलेक्ट्रिक के नहीं चलेगी इसलिए बिलासपुर कोचिंग डिपो के पिट लाइन नंबर को ही ओएचई तार वाला तैयार करने का निर्णय लेकर काम शुरू कराया गया। पिछले चार दिन से यहां पर काम जारी है। ओएचई तार के लिए खंभ लगाने और सबसे ज्यादा पेड़ों की शाखाओं की कटिंग का काम किया गया। सैकड़ों पेड़ों की हजारों शाखाओं को बेहरमी से काटकर गिरा दिया गया है।
दूरंताे और राजधानी की तरह किराया
वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का पूरा किराया दूरंतो और राजधानी एक्सप्रेस की तरह है। वंदे भारत का किराया एसी चेयर कार में बिलासपुर से नागपुर तक 930 रुपए और एग्जीक्यूटिव चेयरकार का किराया 1865 रुपए होगा। ट्रेन का सबसे कम किराया रायपुर का है। रायपुर तक एसी चेयरकार का किराया 382 और एग्जीक्यूटिव चेयरकार का किराया 750 रुपए है। इस तरह से जैसे-जैसे स्टेशन की दूरी बढ़ेगी किराया भी बढ़ता जाएगा। यह किराया दूरंतो और राजधानी एक्सप्रेस की तरह है।
7 के बाद आएगी वंदे भारत ट्रेन की रैक
वंदे भारत ट्रेन की रैक का बिलासपुर में बेसब्री से इंतजार हो रहा है, लेकिन अभी यहां पर रखने की कोई व्यवस्था नहीं है इसलिए रैक अभी नहीं भेजी गई है। दिल्ली से यह रैक 7 दिसंबर को रवाना होकर 8 दिसंबर को यहां पहुंची। दो दिन तक उसकी जांच करने के बाद उसे चलाने की अनुमति दी जाएगी। दो दिन से इसी की चर्चा चल रही है। किसी ने कहा रैक को नागपुर में लाकर रखा गया है तो सभी लोग नागपुर में पूछताछ करने लगे। पता चला रैक वहां पहुंची ही नहीं है।




