कई निजी स्कूल संचालको के मनमानी चरम सीमा पर, शिक्षकों को सही समय पर पेमेंट नहीं करने पर स्कूल छोड़ने को मजबूर,बच्चों की पढ़ाई हो रही है प्रभावित,

कई निजी स्कूल संचालको के मनमानी चरम सीमा पर,
शिक्षकों को सही समय पर पेमेंट नहीं करने पर स्कूल छोड़ने को मजबूर
बच्चों की पढ़ाई हो रही है प्रभावित,
स्कूलो मे 2 माह,6 माह और 1 -2 वर्षों तक का पेमेंट रुका
बच्चों से ले रहें है मोटी रकम लेकिन टीचर को पेमेंट नहीं दे रहें है समय पर
अधिकांश स्कूल बना असुविधाओ का केंद्र, फिर भी अधिकारी मेहरबान
स्कूल के खिलाफ के. पी. पटेल की खास रिपोर्ट…
भटगांव/ बिलाईगढ़ – बिलाईगढ़ विकासखंड अधिकांश निजी स्कूल सहित भटगांव तहसील मे संचालित होने वाले अधिकांश कई ऐसे निजी स्कूल भी हैं जो बाहरी ढाँचा अलग तो अंदर की ढांचा अलग ही देखने को मिलता है. भटगांव मे भी ऐसे स्कूल है जो 1 वर्ष से भी अधिक हो जाने पर कई शिक्षकों का अभी तक पेमेंट नहीं किया गया और वहां के 3-4 शिक्षक 3-4 माह ही मे पढ़ाने के बाद ऐसा क्या कारण था कि बीच मे ही छोड़कर दूसरे स्कूल चले गए जबकि स्कूल मे लगभग 350-400 बच्चें अध्ययरत है जहाँ वार्षिक कुल आमदनी माने तो लगभग 35-40 लाख है तब भी प्रत्येक वर्ष शिक्षकों का बार बार बदलना या बीच मे छोड़ना ये समझ से परे हैं.
वहीँ एक पंजीयन एवं मान्यता से स्कूल दो जगह संचालित है. तो कई स्कूल को व्यवसायिक परिसर मे स्कूल संचालित किया गया और रोड के बिल्कुल किनारे हैं जहाँ बच्चों का कभी भी दुर्घटना हो सकती है.
भटगांव एवं आसपास के ऐसे कई स्कूल हैं जहाँ प्रत्येक 1-2 माह मे शिक्षक छोड़कर चले जा रहे है या तो पेमेंट का दिक्कत हो सकता है या फिर और कोई कारण. कई स्कूल मे तो प्राचार्य सहित कई मुख्य सब्जेक्ट के टीचर भी छोड़ दिये हैं. जिससे कई विषयों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. कई टीचर हैं जिसका पेमेंट 6-7 माह होने के बाद भी दिये नहीं हैं. ऐसे मे अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि वहां का मनेजमेंट कैसे हो सकता है.
कुछ ऐसे भी स्कूल मिलेंगे जहां हेडमास्टर एवं प्रिंसिपल की योग्यता नहीं हैँ जबकि डीएड एवं बीएड अनिवार्य हैँ और स्कूल मे 50 प्रतिशत से अधिक टीचर डीएड एवं बीएड धारी होना जरुरी है लेकिन यहाँ बात ही कुछ और है.
निजी स्कूल मे बिना अनुभव एवं योग्यता के शिक्षक 2-3 हजार मे भी कार्य कर रहें हैं जहाँ शिक्षा गुणवत्ताहिन बनते जा रहा है. साथ ही इस प्रकार निजी स्कूल मे बिना बीएड व डीएड होने से फ्रेसर काम करने के कारण लाखों बीएड व डीएड धारी बेरोजगारी का ताना झेल रहें हैं.
कुछ ऐसे भी स्कूल आपको देखने को मिलेगा जहाँ स्कूल केवल असुविधाओं का केंद्र बना हुआ है. बच्चों से मोटी रकम जरुर लेते हैं लेकिन सुविधा नहीं दे पाते न हीं टीचर को सही समय पर पेमेंट कर पाते जिसके कारण टीचर पढ़ाने के दौरान ही बीच मे छोड़कर दूसरे स्कूल चले जाते हैं या दूसरा काम करते हैं.यहाँ तक प्रवेश के समय पूरी दुनिया भर का सुविधा का प्रचार प्रसार करते हैं लेकिन पुरे वर्ष क्या कई वर्षों तक पूरा उस सुविधा को पूर्ण नहीं कर पाते और वहीँ ऐसे स्कूलो को अधिकारियो द्वारा बिना जाने परखे मान्यता भी दे देते हैं जहाँ केवल बच्चों के भविष्य का खेलवाड़ करते नज़र आते हैं. जहाँ संचालक मालामाल और पालक गोलमाल हो जाते हैं.
ऐसे कई स्कूलो को अधिकारियो द्वारा बारीकी से चेक किया जाये तो कई तरह के लापरवाही और असुविधा देखने को मिल सकता है. लेकिन अधिकारीगण भी केवल खानापूर्ति ही कार्यवाही करके वापस चले जाते हैं.
अब खबर प्रकाशन के बाद देखते हैं कि अधिकारीगण इन स्कूलो के खिलाफ क्या कार्यवाही करते हैं कि अपनी खुर्सी पर बैठे बैठे काम करते हैं.
क्या सभी निजी स्कूलो के शिक्षकों को सही समय मे पेमेंट दे पाते हैं कि वहीँ 1 वर्ष तक स्कूल के चक्कर लगाते रहेंगे. आखिर स्कूलों मे कमियों को कब तक पूरा किया जा सकेगा ये तो आने वाला समय ही बताएगा.
इस प्रकाशन के बाद यदि समय पर उपर्युक्त असुविधाओं को अतिशीघ्र पूरा नहीं किया गया तो सभी स्कूलो के नाम सहित होने वाले असुविधाओं को लेकर अतिशीघ्र प्रकाशन किया जायेगा.