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रायगढ़ जिले में 11 माह में सड़क हादसे में 291 लोगों ने गंवाई जान, 507 हुए घायल, सबसे अधिक मौत खरसिया, लैलूंगा और घरघोड़ा थाना क्षेत्र में

रायगढ़। विक्की पटेल । CG NEWS : जनवरी 2023 से नवंबर 2023 तक सड़क हादसों में जो 291 लोगों की मौत हुई है और 507 लोगों के घायल होने का आंकड़ा यातायात पुलिस के पास है। उसमें सबसे ज्यादा मौत खरसिया, लैलूंगा और घरघोड़ा में हुई है। खरसिया में 80 एक्सीडेंट हुए हैं, जिसमें 42 लोगों को जान गंवानी पड़ी है। उसी तरह लैलूंगा में 62 सड़क हादसों में 37 लोगों की मौत हुई है। बात करें घरघोड़ा की तो 46 सड़क दुर्घटनाओं में 32 बेगुनाहों को अकाल मौत हुई है। वर्ष के अंतिम माह में प्रतिदिन औसत 5 लोग सड़क दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं।

जानकारी देते हुए यातायात डीएसपी रमेश कुमार चंद्रा ने बताया कि वर्ष के नवंबर माह तक 22371 प्रकरण में 84 लाख 20 हजार रुपए वसूले गए हैं। 545 मामले कोर्ट में पेश किए गए जिनके उपर न्यायालय ने 4 लाख 55 हजार रुपए का फाइन किया है। रायगढ़ से तमनार मार्ग में कोयले की खदान, पॉवर प्लांट स्थापित हैं, लेकिन वो अपने सीएसआर मद से सड़क का निर्माण तो दूर की बात है उसकी मरम्मत भी नहीं कराते। इसी तरह रायगढ़ से घरघोड़ा मार्ग में कई स्पंज आयरन, प्लांट और फर्नेस रोलिंग मिल स्थापित है। ये भी क्षेत्र की जनता व राहगीरों का ध्यान नहीं रखते। घरघोड़ा से धरमजयगढ़ मार्ग में बरौद, जामपाली, छाल खदान से रोजाना हजारों गाड़ियों का आना-जाना लगता रहता है। इन्हीं भारी वाहनों के तले मासूमों की जान जाती है। बावजूद इसके उद्योग व खदान प्रबंधन सड़क के गड्ढों तक को नहीं भरा पाते हैं। हालांकि रायगढ़ से धरमजयगढ़ सड़क का निर्माण पीडब्ल्यूडी करा रहा है, लेकिन 23 माह में सिर्फ 47 प्रतिशत काम हुआ है। सड़क के कुछ हिस्से पर ही काम करने के बाद उसे कर दूसरे जगह काम शुरू करने से राहगीरों की परेशानी और बढ़ गई है। इस तरह पीडब्ल्यूडी विभाग का काम कछुआ गति से चल रहा है। सड़क सुरक्षा समिति की बैठक सिर्फ एजेंडों और सुझावों तक ही सीमित रह गई है। धरातल पर होने वाला काम महज खानापूर्ति ही नजर आ रही है।

बैठक में संबंधित विभागों के अधिकारी अपना-अपना व्यवहारिक परेशानी बताकर सुझाव तो जरूर देते हैं लेकिन उक्त सुझावों पर कितना अमल हुआ, क्या काम बाकी रह गया, इस पर संज्ञान लेना जरूरी नहीं समझते। इसी का नतीजा है कि सड़क हादसों पर विराम लगने के बजाए लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। बैठक में जरूर दुर्घटनाओं और मौत के आंकड़ों को देख कर चिंता जाहिर की जाती है, लेकिन उसे रोकने कोई ठोस रणनीति तैयार नहीं की जाती

 

 

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