तालाबों का अस्तित्व खतरे में ! लोग फेंक रहे कूड़े- कचरे, सौंदर्यीकरण के लिए फूंके जा चुके लाखों रूपये

सूरजपुर। जिले का गौरव माने जाने वाले तालाबों का अस्तित्व अब खतरे में है, जो तालाब कल तक स्थानीय लोगों की आस्था का प्रतीक माने जाते थे, वह आज कचरे के ढेर में तब्दील हो गए हैं, हालांकि कागजों में इन तालाबों के सौंदर्यीकरण के लिए सरकार की कई योजनाओं के तहत लाखों रुपए खर्च किए जा चुके हैं। बावजूद इसके इनकी स्थिति समय के साथ ही और बदतर होती जा रही है, जहां एक ओर स्थानीय लोग इसका कारण नगर पालिका की लापरवाही को मान रहे हैं तो वही नगर पालिका गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहा है।
तस्वीरों में दिखता कचरे का अंबार, आम लोगों के घरों से निकलते गंदे पानी को अपने में समाता यह नजारा सूरजपुर जिला मुख्यालय के तालाबों के लिए आम बात है, जिला मुख्यालय में कुल 7 तालाब मौजूद हैं, जो कई सौ वर्ष पुराने हैं, यह तालाब स्थानीय लोगों के लिए आस्था का केंद्र हुआ करता था, सभी जाति और धर्म के लोग इन तालाबों में पूजा पाठ किया करते थे, लेकिन पिछले कुछ सालों से यहां फैली गंदगी की वजह से लोगों ने इन तालाबों से दूरी बना ली है, कुछ तालाबों का अस्तित्व लगभग नष्ट हो चुका है और कुछ बच्चे तालाब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं, नगर के सभी तालाबों में गंदगी का अंबार है नगर के मीट मार्केट की पूरी गंदगी तालाबों में फेंकी जाती है, साथ ही आसपास के लोगों के घर का गंदा पानी भी तलाब में जा रहा है, जिसकी वजह से यहां का पानी इतना दूषित हो चुका है कि इंसान तो क्या जानवर भी इन तालाबों से दूरी बनाकर रखते हैं, हालांकि स्थानीय लोगों के द्वारा समय-समय पर तालाबों की सफाई के लिए पहल किया जाता रहा है, लेकिन वह भी नाकाफी है, तालाबों की इस स्थिति का कारण स्थानीय लोग नगर पालिका और जिला प्रशासन के इच्छाशक्ति की कमी को मानते है।
वहीं संबंधित अधिकारी गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं, नगरपालिका के सीएमओ के अनुसार उनके कार्यकाल में तालाबों के सौंदर्यीकरण के लिए कोई कार्य नहीं किया गया है और पहले किए गए कार्य की उनके पास जानकारी मौजूद नहीं है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि तालाबों के खतरे में पड़े अस्तित्व को लेकर नगर पालिका परिषद कितना गंभीर है।
तालाबों का हमारे धर्म में भी विशेष स्थान है, कहते हैं मरने के बाद वैतरणी तालाब पार करके ही स्वर्ग का रास्ता तय किया जाता है, लेकिन सूरजपुर में अधिकारियों की उदासीनता के कारण यह तालाब नरक में तब्दील हो गए हैं, सवाल अभी भी वही है आखिर जिम्मेदार कौन ?