त्रिकोणी संघर्ष के कगार पर बिलाईगढ़ विधान सभा

*त्रिकोणी संघर्ष के कगार पर बिलाईगढ़ विधान सभा*
बिलाईगढ़ / प्रज्ञा न्यूज़ 24 छत्तीसगढ़ /शैलेंद्र देवांगन
बिलाईगढ़ । बिलाईगढ़ विधान सभा क्षेत्र का इतिहास देखा जाए तो यह क्षेत्र किसी पार्टी विशेष का गढ़ नहीं है । जन मन ने जिसे चाहा उसी के शीश पर ताज पहनाया था ।बिलाईगढ़ विधानसभा पूर्व में भटगांव विधानसभा के नाम से जाना जाता है । 2008 से से पूर्व हुए परिसीमन में भटगांव विधानसभा का नाम विलोपित कर बिलाईगढ़ विधान सभा दिया गया ।भटगांव बिलाईगढ़ विधान सभा 1951 से विधानसभा सीट रहा है । लक्ष्मी नारायण दास कांग्रेसी नेता यहां के पहले विधायक हुए । यह सच है और इतिहास गवाह है कि – बिलाईगढ़ भटगांव विधान सभा में कांग्रेस के 9 विधायक विधानसभा पहुंचे ।वही जितेंद्र विजय बहादुर और रेशम लाल जांगड़े निर्दलीय विधायक बनके विधानसभा पहुंचे । भाजपा के चार विधायक विधानसभा पहुंचे ।
बिलाईगढ़ विधानसभा जो पूर्व में भटगांव विधानसभा के नाम से जाना जाता था। 19 51 में कांग्रेस विधायक लक्ष्मी नारायण दास बने , 19 57 जितेंद्र विजय बहादुर निर्दलीय विधायक बने , 19 62 रेशम लाल जांगड़े कांग्रेस विधायक बने, 1967 पी मंगली राम कांग्रेस विधायक बने , 1972 रेशम लाल जांगड़े निर्दलीय विधायक बने 1977 कन्हैया लाल कोसरिया कांग्रेस विधायक बने , 1980 कुमार भारती कांग्रेस विधायक बनें 1985 रेशम लाल जांगड़े भाजपा से विधायक बने , 1990 डॉ हरि दास भारद्वाज भाजपा से विधायक चुने गये , 1993 मायाराम नेगी कांग्रेस से विधायक बने, 1998 डॉ. हरिदास भारद्वाज भाजपा से विधायक बने , 2003 डॉ हरिदास भारद्वाज कांग्रेस से विधायक बने , भटगांव विधान सभा विलोपित हो बिलाईगढ़ विधानसभा के प्रथम विधायक 2008 डॉ. शिव डहरिया कांग्रेस से विधायक बने , 2013 डॉ . सनम जांगड़े भाजपा से विधायक बने , 2018 चंद्रदेव राय कांग्रेस विधायक बने 2023 विधानसभा चुनाव में बसपा , कांग्रेस और भाजपा के बीच त्रिकोणीय संघर्ष के आसार दिखाई दे रहे हैं ।
बिलाईगढ़ विधानसभा का इतिहास देखने से लगता है कि – यहां जनता सर्वोपरि है , इनके समक्ष किसी भी पार्टी का वर्चस्व दिखाई नहीं पड़ता और ना हीं सहानुभूति लहर यहां के मतदाताओं के लिए मायने रखता है । 1985 के चुनाव में पूरे देश में इंदिरा लहर चल रही थी , उसके बावजूद कांग्रेस प्रत्याशी कुमार भारती को पराजय का मुख देखना पड़ा और भाजपा प्रत्याशी रेशम लाल जांगड़े विजयी हुए थे । आसन चुनाव में 72 साल बाद बिलाईगढ़ विधानसभा क्षेत्र में राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने महिला प्रत्याशी कविता प्राण लहरे पर दांव लगाया है ।कविता प्राण लहरें राजनीति की मंजी हुई खिलाड़ी है ।
वही बसपा ने श्याम टंडन को पुनः टिकट प्रदान किया है ।टंडन जी अनुभवी राजनीतिज्ञ है , वें दो बार विधान सभा चुनाव हार चुके हैं । संभव जनता अब उन्हें पसंद कर ले ।
वैसे भाजपा ने दिनेश कुमार जांगड़े पर अपना दांव लगाया है , वैसे भी भटगांव बिलाईगढ़ विधान सभा में भाजपा से रेशम लाल जांगड़े और भाजपा से ही डॉक्टर सनम जांगड़े विजयी होकर विधायक बन चुके हैं , तो संभव है जांगड़े का फायदा पाने के लिए दिनेश कुमार जांगड़े को भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित किया है
चुनावी समर में तीनों पार्टी के दावेदार एक दूसरे से कम दिखाई नहीं दे रहे हैं । जीत और हार समय के गर्भ में समाया है , यह तो समय ही बताएगा विजय मुकुट किसके मस्तक पर सजेगा ।
विदित हो कि- आदर्श आचार संहिता लागू होते ही चुनाव आयोग पुलिस , आयकर विभाग एवं अन्य एजेंसियों को सक्रिय कर दिया है और यह एजेंसियां चुनाव के दौरान बाटें जाने वाले धन अथवा सामग्रियों की जप्ती कर रही है , लेकिन कोई भी समझ सकता है कि – सारा पैसा जप्त नहीं किया जाता होगा जो मतदाताओं को बांटने के लिए एक से दूसरे स्थान पर पहुंचाया जाता है । निर्वाचन आयोग के समक्ष समस्या केवल यही नहीं है कि – मतदाताओं के बीच पैसे या सामग्री बांटकर उनके वोट ख़रीदने की प्रवृत्ति बढ़ती चली आ जा रही है , बल्कि एक समस्या राजनीतिक दलों की ओर से किए जाने वाले अनाप-शनाप चुनावी वादे भी हैं , विभिन्न दल अपने घोषणा पत्रों में मुफ्त बिजली , पानी , ऋण माफी के साथ अन्य सामग्री अथवा सुविधा देने की वादे करने लगे हैं , यह लोग लुभावन वादे जिस पर अंकुश लगाया जाना निहायत जरूरी है अन्यथा रेवडी बांटने की यह संस्कृति प्रदेश और देश के माली हालात को खराब कर सकती है ।