मुख्य खबरलोकप्रियसारंगढ़ बिलाईगढ़

श्री विष्णु महापुराण ज्ञान यज्ञ चतुर्थ दिवस। कर्म का फल अवश्य भोगना पड़ता है- पं अनिल शुक्ला।

श्री विष्णु महापुराण ज्ञान यज्ञ चतुर्थ दिवस।

कर्म का फल अवश्य भोगना पड़ता है- पं अनिल शुक्ला।

बिलाईगढ़ – पावन नगर बिलाईगढ़ में राज महल प्रांगण में राजपरिवार द्वारा संकल्पित विष्णु महापुराण ज्ञान यज्ञ के चतुर्थ दिवस पर व्यास पीठ से पं अनिल शुक्ला बसहा वाले द्वारा भगवान के विविध अवतारों की कथाओं का विस्तार पूर्वक वर्णन सुनाया गया , इसी क्रम में महाराज प्रियव्रत के पावन चरित्र का गुणगान किया गया, उन्होंने बताया कि महाराज प्रियव्रत ही परम प्रतापी राजा हुए जिन्होंने पृथ्वी को सात भागों में विभक्त कर सात द्वीपों का एवं सात सागरो का निर्माण किए, उन्ही के कुल में भगवान का ऋषभ नारायण के रूप में अवतरण हुआ, भगवान ऋषभदेव सांसारिक जीवो की मुक्ति के लिए एक दिव्य सूत्र बताए कि अहिंसा परमो धर्म: , कोई भी मन,वचन और कर्म से अहिंसा व्रत धारी बन जाए तो उसी के द्वारा उसकी मुक्ति संभव है, भगवान ऋषभदेव के सुपुत्र हुए महाराज भरत, परम प्रतापी राजा भरत के कारण ही यह पावन भूमि भारत वर्ष के नाम से सुशोभित हुई, लेकिन महाराज भरत को मुक्ति बनाने में तीन जन्म लग गये, अंतिम जन्म में जड़भरत बनकर अंत समय में नारायण का ध्यान लगाकर मुक्त हुए।

आगे, खगोल,भुगोल का विस्तार पूर्वक वर्णन सुनाया गया, साथ साथ कर्मफल भोग के स्थान स्वर्ग और नरक का वर्णन सुनाया गया, महाराज श्री ने बताया कि प्रत्येक प्राणी को अपने शुभ और अशुभ कर्मों का फल अवश्य भोगना पड़ता है, बिना भोगे किसी भी जीव की मुक्ति संभव नहीं है। जीवों की यही कर्म फल भोग का स्थान ही स्वर्ग और नरक है।

राजमहल प्रांगण में चल रही विष्णु महापुराण की कथा श्रवण हेतु नगर के श्रोताओं की नित्य उपस्थिति हो रही है, संकल्प कर्ता बिलाईगढ़ स्टेट राजा साहब परम श्रद्धेय श्री ओंकारेश्वर शरण सिंह जी द्वारा आगंतुक भक्तों के लिए भोजन प्रसाद भंडारा की नित्य व्यवस्था की गई है तथा कथा श्रवण हेतु भक्तों से आग्रह किया गया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button