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अनियमितता व भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही से भाजपाइयों को पीड़ा क्यों? : कांग्रेस

रायपुर । हरेन्द्र बघेल । भ्रष्टाचार और अनियमित को लेकर भूपेश सरकार के द्वारा किए जा रहे कार्यवाहियों पर भाजपा नेताओं के अनर्गल बयानबाजी को लेकर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि 15 साल सुपर सीएम के अधीन सरकारी विभागों को ठेके पर चलाने वाले भाजपाई किस नैतिकता से भूपेश सरकार की जवाबदेही और पारदर्शिता पूर्ण प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं? भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों से किए गए वायदे के अनुरूप पदोन्नति और पदस्थापना के लिए पारदर्शिता पूर्ण व्यवस्था लागू की है। पदोन्नति क्रमोन्नति और पदस्थापना के लिए कर्मचारी संगठनों से समन्वय स्थापित कर प्राप्त सुझावों के अनुरूप पारदर्शी व्यवस्था बनाई गई है। शिक्षा विभाग में प्रमोशन के लिए 6 सदस्यीय अधिकारियों की कमेटी बनाई गई थी जिसकी निगरानी में संभाग वार पदोन्नति की प्रक्रियाएं पूरी की गई।

पदोन्नति के पश्चात पदस्थापना के लिए भी प्रत्येक संभाग में पांच जिम्मेदार अधिकारियों की कमेटी बनाई गई थी। पदोन्नति के पश्चात संशोधन को लेकर जरूर शिकायतें आई ओपन काउंसलिंग की प्रक्रिया और व्यवस्था में हेरफेर कर अनियमितताएं बरती गई ऐसे जिम्मेदार अधिकारियों पर न केवल बर्खास्तगी की कार्यवाही की गई है बल्कि जांच के उपरांत एफआईआर भी दर्ज किया जाएगा। भूपेश सरकार में किसी भी तरह की अनियमित और भ्रष्टाचार को कोई संरक्षण नहीं है।

प्रदेश प्रवक्ता ने कहा है कि भूपेश सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाइयों से भाजपाइयों में इतनी छटपटाहट क्यों? भ्रष्ट अधिकारियों से साठ-गांठ है, मिलीभगत है या सहभागी हैं? या भाजपाई ही असल षड़यंत्रकारी हैं? रमन सिंह के कुशासन में हर विभाग के लिए काउंटर तय होते थे एक सुपर सीएम हुआ करते थे जिनके निर्देशन और संरक्षण में सभी विभाग ठेके पर दिए गए थे दुर्भावना पूर्वक कार्यवाही के रमन सिंह के कुशासन मैं अनेकों उदाहरण है। एक दलित बेटी पोरा बाई को काल्पनिक आधार पर आरोपी बताते हुए जेल भेज दिया गया था जबकि तत्कालीन शिक्षा मंत्री केदार कश्यप की पत्नी के स्थान पर उनकी साली परीक्षा देते हुए रंगे हाथ पकड़ी गई लेकिन उन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। घटिया और गुणवत्ताहीन एक्सप्रेसवे के जिम्मेदार अधिकारियों को संरक्षण मिलता रहा है। भूपेश सरकार आने के बाद उन जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की गई। भूपेश सरकार में पारदर्शिता पूर्ण तरीके से संविधान और कानून सम्मत कार्यवाही हो रही है तो भाजपा नेताओं को पीड़ा हो रही है। रमन राज में विभागों को ठेके पर चलाने वाले भाजपाई आखिर किस नैतिकता से भूपेश सरकार की जवाबदेही और पारदर्शिता पूर्ण प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं?भाग में प्रमोशन के लिए 6 सदस्यीय अधिकारियों की कमेटी बनाई गई थी जिसकी निगरानी में संभाग वार पदोन्नति की प्रक्रियाएं पूरी की गई। पदोन्नति के पश्चात पदस्थापना के लिए भी प्रत्येक संभाग में पांच जिम्मेदार अधिकारियों की कमेटी बनाई गई थी। पदोन्नति के पश्चात संशोधन को लेकर जरूर शिकायतें आई ओपन काउंसलिंग की प्रक्रिया और व्यवस्था में हेरफेर कर अनियमितताएं बरती गई ऐसे जिम्मेदार अधिकारियों पर न केवल बर्खास्तगी की कार्यवाही की गई है बल्कि जांच के उपरांत एफआईआर भी दर्ज किया जाएगा। भूपेश सरकार में किसी भी तरह की अनियमित और भ्रष्टाचार को कोई संरक्षण नहीं है

उन्होंने कहा है कि भूपेश सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाइयों से भाजपाइयों में इतनी छटपटाहट क्यों? भ्रष्ट अधिकारियों से साठ-गांठ है, मिलीभगत है या सहभागी हैं? या भाजपाई ही असल षड़यंत्रकारी हैं? रमन सिंह के कुशासन में हर विभाग के लिए काउंटर तय होते थे एक सुपर सीएम हुआ करते थे जिनके निर्देशन और संरक्षण में सभी विभाग ठेके पर दिए गए थे दुर्भावना पूर्वक कार्यवाही के रमन सिंह के कुशासन मैं अनेकों उदाहरण है। एक दलित बेटी पोरा बाई को काल्पनिक आधार पर आरोपी बताते हुए जेल भेज दिया गया था जबकि तत्कालीन शिक्षा मंत्री केदार कश्यप की पत्नी के स्थान पर उनकी साली परीक्षा देते हुए रंगे हाथ पकड़ी गई लेकिन उन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। घटिया और गुणवत्ताहीन एक्सप्रेसवे के जिम्मेदार अधिकारियों को संरक्षण मिलता रहा है। भूपेश सरकार आने के बाद उन जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की गई। भूपेश सरकार में पारदर्शिता पूर्ण तरीके से संविधान और कानून सम्मत कार्यवाही हो रही है तो भाजपा नेताओं को पीड़ा हो रही है। रमन राज में विभागों को ठेके पर चलाने वाले भाजपाई आखिर किस नैतिकता से भूपेश सरकार की जवाबदेही और पारदर्शिता पूर्ण प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं?

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