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रायपुर मे प्रांतीय नारी सशक्तिकरण का 3 दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न

गायत्री परिवार के प्रमुख शैल बाला पंड्या दीदी जी, शैफाली दीदी जी एवं प्रतिकूलपति चिन्मय पंड्या जी रहें उपस्थित

दहेज़ प्रथा से लड़ने का सन्देश देकर नाटक मे बताया नारियो का महत्व

नशे के खिलाफ जुटी छत्तीसगढ़ के 5000 महिलाएं, दहेज़ प्रथा ख़त्म करने का भी संकल्प

छ. ग. सहित दूसरे प्रदेशो की 5000 महिलाएं हुई एकत्र, सांस्कृतिक झंकियों मे बताई परम्परा

शांतिकुंज हरिद्वार का ह्रदय स्थल है छत्तीसगढ़ – डॉ. चिन्मय पंड्या

देश मे सबसे आगे छत्तीसगढ़ की महिलाएं है जिसके प्रयास से आज इतना बड़ा कार्यक्रम सम्पन्न हुआ – शैफाली दीदी जी

छत्तीसगढ़ मे गायत्री परिवार मे एक साथ 5000 सक्रिय महिलाएं को देखकर लगा कि वाकई मे 21 वीं सदी नारी सदी बनकर रहेगी – शैल बाला पंड्या दीदी जी

छत्तीसगढ़ – आखिल विश्व गायत्री परिवार के 3 दिवसीय नारी सशक्तिकरण चेतना शिविर हवाई अड्डा के सामने जैनम मानस भवन रायपुर मे सम्पन्न हुआ. जिसमे छत्तीसगढ़ सहित अन्य प्रदेश की लगभग 5000 महिलाएं शिविर मे हिस्सा लिये. इस शिविर मे महिलाओं को धर्म संस्कृति के प्रति जागृत करने के साथ ही अन्य दायित्यो व अधिकार के विषय मे भी बताया गया.

पहले दिन के शिविर मे 2200 महिलाओं ने उपस्थिति देकर समाज मे फैली हुई विभिन्न प्रकार के कुरीतियों के खिलाफ सन्देश दिये. नशा मुक्ति, नारी जागरण, स्वास्थ्य और स्वच्छता, दहेज़ प्रथा, नारी जागरण सप्तसूत्री आंदोलन सहित कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम और झाँकिया प्रस्तुत की गई. मनमोहक रंगोली के द्वारा लोगों को जागरूक भी किया गया.

 

वहीं 28 दिसम्बर को शांतिकुंज हरिद्वार से नारी जागरण की प्रभारी शैफाली पंड्या दीदी जी भी सम्मिलित हुई जहाँ दीदी जी द्वारा सभी महिलाओं को प्रशिक्षण प्रदान भी किये तथा वहीं मुख्य अतिथि के रूप मे महिला आयोग के अध्यक्ष श्रीमती किरण मयी नायक जी रहे. नायक जी द्वारा उपस्थित महिलाओ को आधुनिक रीती रिवाज़ एवं पुराने रीति रीवाज को विस्तार से समझाते हुए दोनों मे अंतर बताते हुए कहा कि आज की महिलाओ प्रत्येक क्षेत्र मे पुरुष से कम नहीं है और कानूनी रूप से भी समान अधिकार प्राप्त है. आज के समय मे महिलाओ को कई परिवार, समाज मे भी रहकर कई समस्याओ का सामना करना पड़ रहा है जैसे दहेज़ प्रतारना, यौन उत्तप्रिड़न आदि समस्या है जिसके लिये संविधान मे क़ानून बना दिया गया है लेकिन अभी तक महिलाएं क़ानून के बारे मे नहीं जानती क्योंकि उनको चार दीवारी मे ही कैद कर दिया गया है. आज गायत्री परिवार के महिलाएं समाज के ऐसे महिलाओं को जागरूक कर रही है और उनके मूल कर्तव्यों के बारे मे घर जा जाकर जानकारी प्रदान कर रही हैं जिससे घर परिवार के बच्चे सहित सभी संस्कार वान बनते जा रहें है. समाज व देश की सेवा मे सभी सहयोग भी प्रदान कर रहे हैं.

वहीं शांतिकुंज हरिद्वार से नारी जागरण की प्रभारी शैफाली पंड्या दीदी जी एवं छत्तीसगढ़ महिला प्रकोष्ठ के प्रभारी प्रो. कुंती दीदी द्वारा महिलाओं को समय प्रबंधन के लिये टिप्स भी दिये जहाँ दीदी जी ने कहा कि वर्तमान मे अधिकतर महिलाएं मूल रूप से पढ़ाई लिखाई एवं नौकरी करती हैं या घर मे रहकर अपने परिवार की सेवा जतन करती है जहाँ अपने चार दीवारी मे सिमट कर रह जाती है.

शिविर के माध्यम से उन्हें अपने व्यवसाय के साथ किस प्रकार अपने समय का नियोजन करके अपने पारिवारिक एवं सामाजिक दायित्व का निर्वहन किया जाये इसके टिप्स भी दिये गये. संयुक्त परिवार के महत्व भी उन्हें समझाया गया. आने वाले पीढ़ी को संस्कार वान बनाने के लिये नारी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है.

वहीं 29 दिसम्बर को अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख शैल बाला पंड्या दीदी जी एवं देव संस्कृति विश्व विद्यालय के प्रतिकूलपति डॉ. चिन्मय पंड्या जी का आगमन हुआ. दीदी जी के दिव्य सन्देशो ने उपस्थित 5000 महिलाओं एवं कार्यकर्ताओ को भाव विभोर कर दिये तथा सभी महिलाओं ने एक साथ परिवार, समाज एवं देश की सेवा करने के लिये संकल्पित भी हुए.

 

दीदी जी ने गुरुदेव के सन्देश को आगे देते हुए कहा कि हमारे गायत्री परिवार के संस्थापक, युग दृष्टा , परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य व माताजी भगवती देवी शर्मा जी ने वर्षो पहले ‘ 21 वीं सदी नारी सदी ‘ का उद्घोष किया था आज वो सफलता की ओर अग्रसर है. यदि हमारे भावी पीढ़ी सशक्त होगी तो हमारा देश भी सशक्त होगा.

वहीं देव संस्कृति विश्व विद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने सभी कार्यकर्ताओ को गुरुदेव का सन्देश देते हुए कहा कि इस 3 दिवसीय कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु आप सभी नारी शक्तियों का आभार एवं गुरु सत्ता का आशीर्वाद मिले. छत्तीसगढ़ हमारे शांतिकुंज हरिद्वार का ह्रदय स्थल है जहाँ सबसे अधिक कार्यकर्त्ता यहाँ से हैं जो शांतिकुंज के बागडोर को सम्हाले हैं और यह कार्यक्रम करके सिद्ध भी कर दिये कि यहाँ की बहने भाइयों से कम नहीं है जो 1 वर्ष के अंतराल मे ही इतना बड़ा आयोजन करके 5000 से भी अधिक महिलाओं को एक साथ एक जगह इकट्ठा करके प्रशिक्षण प्रदान करने का अवसर प्राप्त किये .

वहीं कार्यक्रम का समापन शांतिकुंज के प्रतिनिधियों एवं प्रमुख अतिथियों की उपस्थिति मे दीप महायज्ञ मे पूर्णाहुति करके किया गया.जहाँ छत्तीसगढ़ के कोने कोने से महिला कार्यकर्ताएँ और आसपास प्रदेश की महिलाये भी उपस्थित होकर तन मन धन से समर्पण की भावना के साथ कार्यक्रम को सफल बनाने मे सहयोग प्रदान किये.

 

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