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25 वर्ष में सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले का बढ़ता स्वास्थ्य ग्राफ

आलेख : सीएमएचओ डॉ एफ आर निराला

25 वर्ष में सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले का बढ़ता स्वास्थ्य ग्राफ

आलेख : सीएमएचओ डॉ एफ आर निराला

सारंगढ़ बिलाईगढ़ : वर्ष 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुआ तब यह बीमारू राज्य की श्रेणी में था। हमारे स्वास्थ्य के रैंक खराब थे, लेकिन राज्य स्थापना और आज रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में देखे तो बहुत परिवर्तन देखने को मिलेगा। राज्य स्थापना के समय हमारे जिले की गठन नहीं हुआ था। बिलाईगढ़ ब्लॉक रायपुर जिले का हिस्सा रहा है जबकि सारंगढ़ और बरमकेला ये दोनों ब्लॉक रायगढ़ के हिस्से में था।

राज्य बनने के समय डॉक्टर की संख्या 10 और 4 स्पेशलिस्ट डॉक्टर थे। उस समय इस जिले अंतर्गत 46000 की आबादी में एक डॉक्टर और 55000 की आबादी में एक स्टाफ नर्स उपलब्ध थे। स्टाफ नर्स की संख्या भी मात्र 10 थे।

राज्य निर्माण के समय सारंगढ़ बिलाईगढ़ बरमकेला क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग की स्थिति

सन 2000 में जिले की आबादी 553813 थी। इस आबादी में स्वास्थ्य संस्था ब्लॉक पीएचसी हॉस्पिटल 2 एवं एक सिविल अस्पताल थे। जिले में एक भी एक्सरे मशीन नहीं थी। तब संस्था गत प्रसव की संख्या भी मात्र 13% रही है। जन्म दर 26 प्रति हजार जनसंख्या थी। मृत्यु दर तब 9.6 प्रति हजार जनसंख्या थी। शिशु मृत्यु दर 69 प्रति हजार जनसंख्या थी और मातृमृत्यु दर भी सन 2000 में 339 प्रति एक लाख जीवित जन्म थी। उस समय संक्रामक बीमारी टीबी की दर 323 प्रति एक लाख की आबादी में था जबकि कुष्ठ का प्रभाव दर सन 2000 में 18.5 प्रति दस हजार आबादी थी। उस समय हमारे जिले अंतर्गत एक भी सोनोग्राफी मशीन भी नहीं थी। उस समय टीकाकरण की औसत दर 56.5 % थी।

25 वर्ष में निरंतर बढ़ती स्वास्थ्य सुविधाएं

यदि स्वास्थ्य क्षेत्र में समस्त स्वास्थ्य संस्था और सेवा को देखे तो बहुत कुछ प्रगति होते दिखता है। 2025 में जिला अस्पताल सहित 3 सामुदायिक अस्पताल संचालित है, जिले में 13 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 90 उप स्वास्थ्य केंद्र है। जैसे अब जिला अस्पताल की स्वीकृति, 200 बिस्तर जिला निर्माण, स्पेशलिस्ट डॉक्टर की पदस्थापना, मेडिकल ऑफिसर, बैंडेड डॉक्टर सहित कुल 51 डॉक्टर कार्यरत है। अब प्रति 15000 की जनसंख्या में एक डॉक्टर है जबकि स्टाफ नर्स प्रति 18000 की जनसंख्या में एक स्टाफ नर्स कार्यरत है। हालांकि यह संख्या अभी भी पर्याप्त नहीं है, लेकिन सन 2000 से बेहतर कहा जा सकता है। वर्तमान में जन्म दर 15 प्रति हजार है, मृत्यु दर 7. 11 प्रति 1000 है जबकि शिशु मृत्यु दर अभी 15. 2 प्रति 1000 है। मातृ मृत्यु दर जिले का अभी 150 प्रति एक लाख जीवित जन्म है।

इसी तरह टीबी का प्रभाव दर अभी 96 प्रति लाख जनसंख्या है, जबकि सन 2000 में यह दर 323 थी और कुष्ठ की प्रभाव दर अभी प्रति दस हजार में 4.58 है। भले ही यह दर आज प्रदेश में सर्वाधिक है इनके अनेकों कारण भी है। आज जिले में 3 सोनोग्राफी मशीन , 3 डिजिटल एक्सरे मशीन क्रियाशील है।

वही 3 डेंटिस्ट साथ में डेंटल चेयर, जिले में 16 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा 118 उप स्वास्थ्य केंद्र स्वीकृत है। जिले में नए सृजित पद सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी की संख्या 78 है जबकि यह पद सन 2000 में सृजित ही नहीं थे। आज टीकाकरण कवरेज दर 88% है, जबकि ये सन 2000 में 56.5 % थी। वर्ष 2000 में सर्वाधिक मृत्यु के कारण संक्रामक बीमारी थी, लेकिन आज के संदर्भ में देखे तो सर्वाधिक मौतें असंक्रामक बीमारी जैसे उच्च रक्त चाप ,मधुमेह ,स्ट्रोक ,हार्ट अटैक ,कैंसर जैसे बीमारियों से मौतें हो रही है। सन 2000 में औसत आयु 60 से 65 वर्ष थी जो अब बढ़ कर 70 वर्ष के ऊपर हो चुकी है। तब संस्थागत प्रसव 13% से बढ़ कर आज 99% से ऊपर हो चुकी है। तब मरीजों को उपचार के लिए ज्यादा दूरी तय करना पड़ता था, लेकिन आज अधिकतम 3 से 5 किलो मीटर में उपचार की प्राथमिक व्यवस्था उपलब्ध है। आज सभी उपस्वास्थ्य केंद्र जो अब आयुष्मान आरोग्य मंदिर के रूप में परिणित हो चुका है जहां सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी के साथ 104 प्रकार की दवाइयां,12 प्रकार की स्वास्थ्य सेवा एवं 14 प्रकार की जांच की सुविधा उपलब्ध है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 114 प्रकार की दवाइयां तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 151 की दवाइयां उपलब्ध रहती है। ऐसे ही जिला अस्पताल में 223 प्रकार की दवाइयां सीएचसी में 41 एवं मितानिन के ईडीएल में 21 प्रकार की दवाइयां उपलब्ध होनी चाहिए।

आयुष्मान कार्ड और आयुष्मान वय वंदना कार्ड से गरीबों को लाभ

सन 2000 में इलाज के लिए सरकारी में निशुल्क सेवा के अलावा प्राइवेट में निशुल्क इलाज की व्यवस्था नहीं थी मगर आज प्रत्येक नागरिक को आयुष्मान कार्ड के जरिए पब्लिक हॉस्पिटल तथा प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज की निशुल्क व्यवस्था है। अब तो 70 वर्ष अधिक के नागरिकों को 5 लाख तक की अतिरिक इलाज की व्यवस्था उपलब्ध है। आज 91.5 % लोगो के पास निशुल्क इलाज कराने के लिए आयुष्मान कार्ड की व्यवस्था हो चुकी है वही 70 प्लस के 61% नागरिकों के पास इलाज के 5 लाख की अतिरिक्त व्यवस्था हो चुकी है जिले की लगभग 50% लोग आयुष्मान कार्ड का उपयोग भी कर चुके हैं। आयुष्मान वय वंदना आयुष्मान कार्ड बनाने के कार्य भी प्रगति पर है। इसके लिए पूरे स्वास्थ्य अमला लगातार नागरिकों से संपर्क कर रहे है, जिनका अभी तक नहीं बना है वे जल्द ही अपना आयुष्मान कार्ड बना ले समस्त स्वास्थ्य इंडिकेटर प्रगति में है, लेकिन हमें और बेहतर करने की जरूरत है।

सुविधा विस्तार में जिला प्रशासन कर रहा निरंतर मदद

कलेक्टर डॉ संजय कन्नौजे के नेतृत्व में जिला प्रशासन द्वारा लगातार समीक्षा करके सुविधा देने और उपलब्धि बढ़ाने के लिए प्रयास जारी है। आने वाले समय में और बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिले इसके लिए प्रयास चल रही है। जिला अस्पताल जो अभी वैकल्पिक व्यवस्था में चल रही है। पूरे दक्षता से स्वास्थ्य सेवा देने दृढ़ संकल्पित है। मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना अंतर्गत 104 मरीजों ने लाभ लिया है। इस योजना के अंतर्गत विशेष परिस्थिति में मुख्यमंत्री के जटिल बीमारियो के उपचार के लिए 25 लाख तक की इलाज की राशि स्वीकृत की जाती है। वैसे ही चिरायु कार्यक्रम के अंतर्गत ऑपरेशन योग्य जन्मजात विकृतियों वाले 150 बच्चों का निशुल्क ऑपरेशन कराया गया है। इन बिंदुओं के आधार पर कहा जा सकता है हम स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रगति में है। आप सब के सहयोग व साथ मिलने पर हम और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करा पाएंगे।

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