
छत्तीसगढ़ मे बढ़ रहा है आउटसोर्सिंग व अन्य राज्यों के व्यक्तियों का रौब, बिना पुलिस वेरिफिकेशन के छ. ग. मे जमा लिये अपना धंधा/ व्यापार
लोकल व्यक्ति को बहला फुसलाकार कर रहें है शोषण, मिल रहा है आसपास के जन प्रतिनिधियों एवं नेताओं का सरंक्षण
एडिटर के. पी. पटेल की कलम से…
रायपुर : छत्तीसगढ़ मे अक्सर देखा गया है कि अधिकांश जिलों क्या नगर गॉव तक अन्य राज्यों के व्यक्ति अपना पैर पसार लिये हैं, जो एक अंगद के पैर के समान स्थाई अपना धंधा जमाकर रौब भी मार रहें हैं. इनका मुख्य कारण यहाँ कि लाचार पुलिस व्यवस्था और आसपास के लोग है जो उन्हें इस प्रकार का स्थाई व्यापार का मौका दिये है और उसके प्रत्येक कार्यों मे सहयोग देकर उनको यहाँ रहने का बढ़ावा दिये जो बाद मे उनकी असलियत और मुख्य चरित्र जानने पर उन्हें गाली देते हैं या उनके प्रति घृणा करते है. लेकिन तब तक आसपास के छत्तीसगढ़ के मासूस व्यक्तियों का यूज़ करके छोड़ दिया जाता है और वहीं अन्य राज्य के व्यक्ति उस गली या गांव का शेर बना घूमता रहता है क्योंकि कई वर्षो बाद उसकी पहचान अब अपने पैसों के दम पर एवं चापलूसी के माध्यम से लोकल प्रतिष्ठित व्यक्तियों, नेताओं, जन प्रतिनिधि एवं अधिकारीयों के आसपास घूमते नजर आते हैं.
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छत्तीसगढ़ मे आप अक्सर देख सकते है जहाँ गांव से लेकर शहर तक अन्य राज्यों के व्यक्ति अपना व्यवसाय / व्यापार जमा लिये है. जैसे हरियाणा जलेबी, पंजाबी ढाबा, राजस्थानी हॉटल, स्कूल मे झारखण्ड और ओड़िसा के व्यक्ति बिना डरे स्कूल का संचालन, मध्यप्रदेश का गुपचुप चाट इत्यादि पंचर दुकान से लेकर, नास्ता सेंटर, गुपचुप चाट, हॉटल, ढाबा और स्कूल तक मे अपना अड्डा जमा चुके है क्योंकि उनका सहायता हमारे ही छत्तीसगढ़ के भोले भाले लोग करते है और उनको मालूम नहीं होता कि हम एक सांप को दूध पिलाकर भरण पोषण कर रहें है जो एक दिन हमें ही या अपने आसपास के लोगों को डस लेगा. जबतक उनका हमारे से कार्य रहेगा तब तक मीठी मीठी बात करके साथ मे रखेगा और जब उनका लाभ उन व्यक्तियों से पूरा हो जायेगा उसके बाद वह उनको पहचानने से भी इंकार कर देगा.
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छत्तीसगढ़ मे अन्य राज्यों के व्यक्तियों का पनाह देने का मुख्य कारण है यहाँ लाचार कानूनी व्यवस्था और भोले भाले जनता का सहयोग. क्योंकि जब भी अन्य राज्यों के व्यक्ति छत्तीसगढ़ के किसी भी स्थान पर निवास करें या अपना व्यापार बढ़ाये तो सबसे पहले उनका पुलिस वेरीफिकेशन होना चाहिए.
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वहीं छत्तीसगढ़ के लोग जब अन्य राज्यों मे अपने कार्य के लिये जाते हैं तो केवल एक लेबर ( मजदूर ) ग्रेड ही समझा जाता है जिसे बहुत ही मुश्किल से रहने के लिये किराया मिलता है या फिर झुग्गी झोपड़ी बनाकर मज़बूरीवस वहां रहकर कार्य करना पड़ता है. अस्थायी या स्थायी व्यापार दूर की बात है. यहाँ तक दूसरे राज्य मे एक ठेला भी लगाने के लिये जगह नहीं दिया जाता.
छत्तीसगढ़ मे आउटसोर्सिंग के जरिये कई कंपनी, प्राइवेट कंपनी और यहाँ तक कई सरकारी संस्थान मे भी अन्य राज्य के व्यक्ति यदि किसी भी पोस्ट मे हो तो वे अपने रिस्तेदारों से लेकर अपने मित्रों को भी सोर्स के जरिये उस कंपनी मे बेखौफ़ जॉब मे रख लिया जाता है और अपने छत्तीसगढ़ के अन्य कर्मचारियों मे अपना रौब जमाना शुरू करता है ताकि परेशान होकर वह व्यक्ति उस जॉब को छोड़ दे और उसके जगह मे उनके रिश्तेदारों को जॉब मिले.
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इस लेख का लिखने का तात्पर्य है कि छत्तीसगढ़ वासियों को अपने ही राज्य के व्यक्तियों को प्राथमिकता दें उनका हर प्रकार का सहयोग करें और दूसरे राज्य के व्यक्तियों को बिना जाने पहचाने और बिना पुलिस वेरीफिकेशन के अपने आसपास पनाह न दें ताकि वर्तमान समय मे होने वाले कई हनहोनी दुर्घटनाओ से बचा जा सके.