
24 लाख घरों में संपन्न होगा गायत्री महायज्ञ…
छत्तीसगढ़ : अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वाधान में गृहे गृहे गायत्री यज्ञ का कार्यक्रम 15 मई रविवार व16 मई सोमवार बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर प्रातः 9:00 बजे से 12:00 बजे तक भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में 24 लाख घरों में अपने अपने घरों पर एक साथ गायत्री यज्ञ करने का विधान बना है बात उस समय की है जब सृष्टि बनी थी जीवन का कुछ ज्ञान ना होने के कारण मनुष्य उल्टे सीधे कार्य करता था दुखी बना रहता था एक दिन सब मिलकर ब्रह्मा जी के पास गए और अपना कष्ट बताया तथा उसका निवारण पूछा प्रजापिता ब्रह्मा ने कहा हे मनुष्यों मैंने जिस दिन तुम्हें पैदा किया उसी दिन यज्ञ की भी रचना की तुम सब यज्ञ के द्वारा देवताओं को प्रसन्न करो देवता तुम्हें धन-धान्य से भर देंगे बस उसी दिन से यज्ञ हमारी संस्कृति का मूल आधार बन गया जन्म से लेकर मृत्यु तक हिंदुओं का कोई ऐसा संस्कार नहीं है जिसमें यज्ञ ना होता हो अंत में यज्ञ रुपी जीवन भी उसी यज्ञ में समर्पित कर दिया जाता है इसी तथ्य से यह भली-भांति समझा जा सकता है कि भारतीय संस्कृति में यज्ञ का कितना महत्वपूर्ण स्थान है हिंदू धर्म में यज्ञ के स्थान पिता का है गायत्री सद्भावना है यह विश्वकर्मा देव संस्कृति के निर्माता यज्ञ पिता गायत्री माता एक के बिना दूसरा अपूर्ण हैं हिंदू धर्म की पूर्णता इन दोनों के समान प्रतिष्ठा से ही संभव हुई प्राचीन काल में जहां आश्रमों में सामूहिक संध्या वंदन का क्रम चला करता था वहां अखंड अग्नि स्थापित रहती थी उसी का परिणाम था कि यहां ऋतुएं सदा अनुकूल रहती थी पृथ्वी देवता व वरुण देवता मरूत देवता सभी प्रसन्न रहते थे परिपूर्ण अन्न पैदा होता था रसदार फलों की कोई कमी नहीं थी लोग बहुत स्वस्थ और मेधावी थे देश बड़ा समृद्ध था लोग खुशहाल थे.
कभी-कभी देश की समृद्धि और समुन्नती असुर प्रवृत्ति के पड़ोसी देशों को रास नहीं आते थे वह इस यज्ञ संस्कृति पर आक्रमण करते रहते थे जब जब ऐसा हुआ महापुरुष जन्में और यज्ञों की रक्षा की त्रेता में भगवान राम ने इसी तरह सुबाहु खरदूषण ताड़का आदि राक्षसों से यज्ञ की रक्षा की थी द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण ने यज्ञ की रक्षा की थी मध्ययुग में एक बार इस देश पर जबरदस्त आक्रमण हुए फल स्वरुप अखंड अग्निया बुझ गई.यज्ञ परंपरा या तो समाप्त हो गई या फिर वह थोड़े से वाममर्गीयो के स्वार्थ का साधन मात्र रह गई देश सभी दृष्टि से निस्तेज और बर्बाद हो गया स्थिति ऐसी हो गई कि लोग धीरे-धीरे यज्ञ को भूल गए ऐसी स्थिति में परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी एक छोटे से गांव आवल खेड़ा आगरा में अवतरण”हुआ पहले उन्होंने देश की स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी और देश की आजादी की संध्या बेला में गायत्री तपोभूमि मथुरा में अखंड अग्नि की स्थापना की पवित्र अग्नि सारे देश में फैल गई पांच कुंडीय नौ कुंडीय 24कुंडीय 51 कुंडीय 108 कुंडीय तक पहुंचे सारे राष्ट्र को एक सूत्र में आबंधकरनेवाले अश्व मेध यज्ञों की श्रृंखला ने तो सारे देश और विश्व में एक नई क्रांति खड़ा कर दी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा वैज्ञानिकों के सहयोग से वैज्ञानिक प्रयोग हुए और यह सिद्ध हो गया कि यज्ञ ना केवल वायु को शुद्ध करते हैं अपितु कैंसर जैसे रोगों को पैदा करने वाली जहरीली गैसों से भी मनुष्य को बचाते हैं पानी के बैक्टीरिया तथा रोगों के जीवाणुओं को नष्ट करने की यज्ञ में अभूतपूर्व क्षमता पाई गई है कुछ दिन पूर्व गुजरात के सूरत शहर में भयंकर प्लेग फैला तब गायत्री परिवार ने एक-एक दिन में 24:24 यज्ञ सूरत के मोहल्ले मोहल्ले में संपन्न किए उससे प्लेग नियंत्रण में आया जो कार्य दवाएं नहीं कर सके वही यज्ञ ने किया फलस्वरूप तत्कालीन दिल्ली की सरकार तक ने सारे देश में हवन की सिफारिश की उन दिनों शांतिकुंज से सबसे अधिक हवन सामग्री सारे देश में गई कल्पना की जा सकती है यज्ञ मनुष्य जाति के लिए कितने बड़े वरदान हैं जहां कहीं भी यज्ञ हो रहा है वह उसी आंदोलन का एक भाग है आप सब को यह समझना होगा कि यह यज्ञ मनुष्य जीवन के लिए कितनी उपयोगी हैं वैज्ञानिक भी हैं आम आदमी भी इतनी बात समझ सकता है कि अपवित्र या गंदी वस्तु की गंध जिस प्रकार मन को परेशान कर देती है फूलों की अगरबत्ती सुगंध पाते ही मन प्रफुल्लित हो उठता है मन प्रसन्नता से भर जाता है विषैला दुआ जब बीमारी पैदा कर सकता है तो सुगंधित धुआं शरीर को बल भी देता होगा.
इसी तारतम्य को ध्यान में रखते हुए अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा परिवार समाज राष्ट्र विश्व के कल्याण हेतु गृहे गृहे गायत्री यज्ञ कार्यक्रम रखा गया है जिला जांजगीर चांपा के संयोजक बिहारीलाल ताम्रकार जी ने अपील किया है कि लोग अपने अपने घरों पर परिवार के साथ इस यज्ञ अभियान को संपन्न करें ताकि हमारा घर परिवार समाज व राष्ट्र सुखी समुन्नत खुशहाल हो सके।