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बलौदाबाजार के बारनवापारा अभयारण्य में कुएं में गिरे चार हाथी, 4 घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन

बारनवापारा में स्थित हरदी गांव में खेत में बने कुएं में चार हाथी देर रात गिर गए थे. रेस्क्यू के दौरान ग्रामीणों ने विरोध जताया.

बलौदाबाजार के बारनवापारा अभयारण्य में कुएं में गिरे चार हाथी, 4 घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन

बारनवापारा में स्थित हरदी गांव में खेत में बने कुएं में चार हाथी देर रात गिर गए थे. रेस्क्यू के दौरान ग्रामीणों ने विरोध जताया.

बलौदाबाजार: बारनवापारा अभयारण्य के ग्राम हरदी के पास स्थित एक खेत के पुराने कुएं में चार हाथी गिर गए, जिनमें एक शावक भी शामिल था. जैसे ही सुबह ग्रामीणों ने हाथियों की चिंघाड़ की आवाज सुनी, गांव में अफरातफरी मच गई. कुछ ही देर में यह खबर पूरे इलाके में फैल गई और आसपास के कई गांवों के ग्रामीण मौके पर पहुंच गए.

ग्रामीणों ने जताया विरोध

वन विभाग की टीम ने सूचना मिलते ही रेस्क्यू अभियान शुरू किया, लेकिन यह काम इतना आसान नहीं था. कुआं गहरा था और किनारे बेहद फिसलन भरे थे. स्थानीय ग्रामीणों ने शुरुआत में मदद करने से इनकार कर दिया. वजह थी, कुछ दिन पहले इसी इलाके में हुए हाथी हमले में एक किसान की मौत हो गई. ग्रामीणों का आरोप है कि उस समय विभाग का कोई जिम्मेदार मौके पर नहीं पहुंचा.

कुछ दिन पहले हाथी के हमले से ग्रामीण की मौत

जब वन विभाग की टीम जेसीबी लेकर खेत में पहुंची, तो गांव के लोग नाराज हो गए. खेत मालिक टिकनेस ध्रुव ने कहा- यह वही खेत है जहां हाथियों ने देर रात आतंक मचाया ओर फसलों को खराब किया. साथ में सोलर पैनल को भी क्षति पहुंचाई हैं. खेत में फसल लगी है खोदने से खराब हो जाएगी. इससे 10 दिन पहले हाथी के हमले से कनकुराम ठाकुर की जान गई थी. तब विभाग के लोग नहीं आए. अब जब हाथी गिरे हैं, तो पूरी टीम पहुंच गई. क्या इंसान की जान की कीमत नहीं है.

मृत किसान के रिश्तेदार बुजुर्ग ने भी वन विभाग के रेस्क्यू ऑपरेशन पर नाराजगी जताई. कहा कि गांव में पिछले छह महीने से हाथियों का आतंक है. बच्चों को स्कूल भेजने से डर लगता है. रात को कोई खेत में नहीं सो पाता. फिर भी कोई ठोस इंतजाम नहीं हुआ. अब जब जानवर फंसे हैं तो सब मशीन लेकर आ गए. गांव के कुछ लोगों का कहना था कि जेसीबी चलाने से उनकी धान की फसल खराब हो जाएगी. इसलिए वे रेस्क्यू अभियान में सहयोग नहीं करना चाहते थे. कई ग्रामीणों ने कहा कि हाथी अकसर फसलें रौंद देते हैं और जान का खतरा बना रहता है.

4 घंटे की जद्दोजहद, आखिरकार चारों हाथी सकुशल निकले: सुबह लगभग 8 बजे शुरू हुआ रेस्क्यू अभियान करीब 4-5 घंटे चला. बलौदाबाजार वनमंडल और बारनवापारा अभयारण्य की टीम मौके पर मौजूद रही. विभाग के अधिकारियों ने रस्सियों, मिट्टी भराई और जेसीबी की मदद से कुएं की एक साइड को तोड़कर धीरे-धीरे ढलान बनाई. करीब 4 घंटे की मशक्कत के बाद सबसे पहले दो शावकों को बाहर निकाला गया. इसके बाद एक वयस्क मादा और एक नर हाथी को भी सुरक्षित निकाल लिया गया. सभी चारों हाथी कुछ देर तक थके हुए खड़े रहे, फिर धीरे-धीरे पास के जंगल की ओर लौट गए.

कुएं की गहराई लगभग 25 फीट थी. ऊपर से देखने पर यह खुला नहीं दिखता था क्योंकि उसमें झाड़ियां उग आई थीं. संभवतः हाथियों का झुंड पानी पीने के लिए आया होगा और फिसलकर चारों नीचे गिर गए- कृष्णु चंद्राकर, बारनवापारा SDO

बारनवापारा के जंगल में फिलहाल 28 हाथियों का दल मौजूद है. पिछले दो महीनों से यह झुंड हरदी, टेंगनमारा, बार, अमोदी, और सुगंधिया जैसे इलाकों के बीच घूम रहा है। विभाग ने गांवों में चेतावनी जारी की थी, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यह सूचना अक्सर देर से पहुंचती है.

बारनवापारा अभयारण्य

बारनवापारा अभयारण्य छत्तीसगढ़ के सबसे प्रसिद्ध वन्यजीव क्षेत्रों में से एक है. यह अभयारण्य अपने शांत जंगलों, पहाड़ियों और सैकड़ों प्रजातियों के पक्षियों के लिए जाना जाता है. लेकिन हाल के वर्षों में यह क्षेत्र इंसान-हाथी संघर्ष का केंद्र बन गया है. यहां अक्सर हाथी दल की आवाजाही से नुकसान की खबर आती है. कभी फसलें रौंदी जाती हैं, कभी घर तोड़े जाते हैं. कई बार जानें भी चली जाती हैं. वन विभाग के लिए यह क्षेत्र इसलिए भी चुनौतीपूर्ण है क्योंकि गांव जंगल की सीमाओं के बिल्कुल पास बसे हैं.

स्थानीय लोगों की मांग

हरदी और आसपास के ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि हाथियों की आवाजाही की सूचना समय पर दी जाए. खुले कुओं को ढकने या चिन्हित करने की व्यवस्था की जाए. रात्रि गश्त और सायरन सिस्टम लगाया जाए ताकि गांव सतर्क रह सकें.

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